इस नर्स ने ली 100 मरीजों की जान
३१ अक्टूबर २०१८41 साल का नील्स होएगेल इन मरीजों को बचा कर खुद को सुपरहीरो साबित करना चाहता था. होएगेल से जब जज ने पूछा कि क्या उस पर लगाए गए आरोप सही हैं तो उसने 'हां' में जवाब दिया. इसके साथ ही उसने कहा, "वह सब जो मैंने स्वीकार किया है, सही है." अदालत में होएगेल जब पुलिस और अपने वकील के साथ आया, तो उसने अपना चेहरा नीले रंग के प्लास्टिक फोल्डर से छिपा रखा था.
होएगेल को 2015 में घातक इंजेक्शन दे कर दो मरीजों की हत्या करने का दोषी माना गया और उसे 15 साल के जेल की सजा हुई. इस साल जनवरी में अभियोजकों ने उसके खिलाफ 97 लोगों की हत्या करने का नया आरोप लगाया. कोर्ट की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि अब यह संख्या 100 तक पहुंच चुकी है.
जांच अधिकारियों का कहा है कि होएगेल के हाथों मारे गए लोगों की संख्या 200 से ऊपर भी जा सकती है. हालांकि उन्हें यह भी डर है कि शायद वे असल संख्या नहीं जान पाएंगे क्योंकि बहुत से संभावित पीड़ितों के शव का अंतिम संस्कार हो चुका है. ऐसा लगता है कि होएगेल ने हर बार एक ही तरह से लोगों की जान ली. वह पहले ऐसा इंजेक्शन देता था जिससे दिल का दौरा पड़े. उसके बाद वह उन्हें बचाने की कोशिश करता था जो लगभग हर बार नाकाम रहती थी. अभियोजकों का कहना है कि उसके अंदर खुद को महान दिखाने की महत्वाकांक्षा थी. वह दुनिया को दिखाना चाहता था कि वह इंसानों की जान बचाने में माहिर है. उसकी हरकतों के शिकार हुए लोगों में 34 से 96 साल के लोग हैं.
होएगेल के जुर्म कबूल करने के बाद भी उस पर मुकदमा चलता रहेगा. पीड़ित परिवारों को उम्मीद है कि अभी इस अपराध से जुड़ी और भी जानकारियां सामने आएंगी. फ्रांक ब्रिंकर्स के पिता की मौत होएगेल के जरूरत से ज्यादा दवा देने के कारण हुई थी. ब्रिंकर्स ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "हम चाहते हैं कि उसे ऐसी सजा मिले जिसका वह हकदार है. जब यह मुकदमा खत्म हो जाएगा तो हम सब कुछ पीछे छोड़ देंगे और हमारे लिए सब खत्म हो जाएगा."
उत्तरी जर्मनी के ओल्डेनबुर्ग शहर के अभियोजकों का कहना है कि जांच और जहर से जुड़ी रिपोर्टों से पता चलता है कि होएगेल ने ओल्डेनबुर्ग के एक क्लीनिक में 35 और पास के शहर डेलमेनहोर्स्ट के एक दूसरे क्लीनिक में 62 लोगों को ऐसी दवाइयां दीं जो उन्हें मार सकती थीं.
10 साल पहले एक जर्मन नर्स को 28 बुजुर्ग मरीजों की हत्या करने का दोषी माना गया था. उसका कहना था कि बुजुर्गों का दुख देख कर उसने उन्हें मारने की सोची. इस नर्स को उम्रकैद की सजा मिली. इसी तरह ब्रिटेन के डॉ हैरोल्ड शिपमैन के बारे में माना जाता है कि उसने 250 से ज्यादा लोगों की हत्या की. इनमें से ज्यादातर बूढ़ी और मध्यम आयु की महिलाएं थीं जो उसकी मरीज थीं. 'डॉ डेथ' के नाम से कुख्यात शिपमैन को साल 2000 में 15 उम्र कैद की सजा सुनाई गई. 2004 में डॉ शिपमैन ने जेल में खुदकुशी कर ली.
एनआर/एके (रॉयटर्स, एएफपी)