इस थेरेपी की मदद से दूर होगा ऊंचाई का डर
२३ दिसम्बर २०१७निकोल फेरिंग को ऊंचाई से इतना डर लगता है कि उनके लिए खिड़की साफ करना तक मुश्किल हो जाता है. उन्हें खिड़की के बाहर ऊपर की ओर देखते ही डर लगने लगता है, हाथ कांपने लगते हैं और किसी न किसी चीज का सहारा लेने की जरूरत महसूस होने लगती है.
निकोल के घर से कुछ ही किलोमीटर दूर में बोट्रोप में टैट्राहेड्रॉन है. तिकोने पैरामिड का एक स्टील का ढांचा जो निकोल के घर से दस गुना ज्यादा ऊंचा है. ये लोकप्रिय टूरिस्ट डेस्टिनेशन है. लेकिन निकोल के लिए ये किसी यातना से कम नहीं. "इतना ऊंचा, इंसान कभी भी गिर सकता है. यह सिर्फ तारों से कसा हुआ है, ये अच्छा नहीं है." उन्होंने कई बार इस पर चढ़कर अपने डर को जीतने की कोशिश की लेकिन नाकामी हाथ लगी. "अभी मेरे भीतर साहस है, लेकिन जैसे जैसे मैं ऊपर जाऊंगी, वो खत्म होता जाएगा."
रेगेन्सबुर्ग यूनिवर्सिटी में आंद्रेयास म्युलबेर्गर और थेरेसा वेक्सलर, डर और फोबिया के एक्सपर्ट हैं. उनकी मदद से निकोल एक बार फिर बोट्रोप के टैट्राहेड्रॉन पर जाती हैं, लेकिन इस बार वर्चुअल रियलिटी के जरिये. यह ढांचा उन्हें डर से बाहर निकलने के लिए आदर्श है. लेकिन टेस्ट में वे डर के उच्चतम स्तर पर पहुंच जाती हैं, वो भी तब जब उन्हें पता है कि वो असल में स्टील के ढांचे पर नहीं खड़ी हैं. इसके बावजूद डर उन पर हावी हो चुका है. आंद्रेयास म्युलबेर्गर बताते हैं, "असल में लोग उस चीज से दूर भागते हैं जो उन्हें डराती है. वे इस तरह की थेरेपी की कल्पना भी नहीं कर सकते. वर्चुअल रियलिटी में वे इसका सामना करने के लिए ज्यादा तैयार होते हैं."
आभास जितना सटीक होगा, इलाज भी उतना ही आसान और बेहतर होगा. थेरेपी को कारगर बनाने के लिए मनोचिकित्सक पंखा चला देते हैं, ताकि उसकी हवा मरीज के बालों को उड़ाए. रेलिंग की तरह यहां भी उनके सामने पकड़ने के लिए एक डंडा है. फेहरिंग कहती हैं, "मुझे डर का सामना तब तक करना होगा जब तक वह कम नहीं होने लगता और फिर एक सकारात्मक अहसास होता है." यह थेरेपी सब के लिए काम नहीं करती. लेकिन निकोल को इसने मदद पहुंचाई हैं. वर्चुअल रियलिटी थेरेपी की मदद से अब वह ऊंचाई पर जा पा रही हैं.
रिपोर्ट: मार्टिन पीक