इस कार को बच्चे भी चला सकते हैं
१३ फ़रवरी २०१८आज के जमाने में जब बाजार सामान से भरे पड़े हैं, तब खरीदो और फेंको का सिद्धांत चलता है. फोन हो, टीवी या फर्नीचर, उन्हें कुछ साल के लिए खरीदा जाता है और फिर फेंक कर नया ले लिया जाता है. लेकिन एक जमाना ऐसा भी था, जब कुछ भी बर्बाद नहीं किया जाता था. पैकेजिंग का सामान भी नहीं. यूरोप में साबुन की लकड़ी की पेटियों से गाड़ी बना ली गई थी और इसे नाम दिया गया था सोप बॉक्स कार.
इसमें किसी तरह की मोटर नहीं होती थी. लकड़ी के एक डब्बे में लोग बैठ कर ढलान पर फिसलने लगते थे. गुरुत्वाकर्षण ही मशीन का काम किया करता था. इसीलिए कई जगह इन्हें ग्रैविटी रेसर का नाम भी मिला. इन खिलौनानुमा गाड़ियों की लोकप्रियता ऐसी थी कि साल 1904 में पहली बार जर्मनी में इन कारों की रेस भी आयोजित हुई. अब एक सदी बाद इन कारों को नया रूप मिला है.
फ्रांक बांकोनिन बच्चों के लिए सोप बॉक्स कार तैयार कर रहे हैं और वह भी एकदम विंटेज लुक के साथ. दक्षिण जर्मनी के बीबर्ग के रहने वाले फ्रांक ने 2012 में इसकी शुरुआत की. दरअसल फ्रांक के गांव में सोप बॉक्स कारों की रेस हुई. 16 साल की उम्र से ही वे अपने लिए गाड़ियों को कस्टमाइज़ करते रहे हैं, इसलिए रेस के लिए एक नई कार बनाना उनके लिए कोई मुश्किल काम नहीं था. लेकिन रेस के बाद घर में कार रखने की जगह नहीं थी, इसलिए उन्होंने उसे बेच दिया. इसके बाद उनकी बनाई गयी कारों की इतनी मांग बढ़ी कि उन्होंने कारें बनाना ही शुरू कर दिया. वैसे तो वे पेशे से फॉरन सेल्स एजेंट हैं लेकिन इन कारों से उन्होंने अपनी अलग ही पहचान बना ली है.
कारों के शौकीन क्रिस्टियान हास ने इनसे अपनी बेटियों के लिए गाड़ियां बनवाई. पहले उन्होंने बुगाटी-35 का रेप्लिका ऑर्डर किया. बुगाटी-35 मोटर स्पोर्ट्स के इतिहास की सबसे सफल रेसिंग कार मानी जाती है. बेटियों को यह इतनी पसंद आई कि पापा को एक और कार ऑर्डर करनी पड़ी. इस बार 1938 वाली बेंटले. इसका असली मॉडल क्रिस्टियान हास खुद चलाते हैं.
वे पुरानी कारों के बड़े फैन हैं और अपने इस शौक को अपनी बेटियों में भी डालना चाहते हैं. इसके लिए वे बेटियों को पुरानी कारों की रेस दिखाने विंटेज कारों की रैली रेस में हिस्सा लेने भी ले जाते हैं. इन्होंने अपनी बेटियों के लिए जो सोप बॉक्स कारें ऑर्डर की हैं, उनकी खासियत यह है कि उनमें मोटर लगी है. इन्हें ठीक वैसे ही बनाया गया है जैसे पुराने जमाने में गाड़ियां बनाई जाती थीं. इनमें लकड़ी के फ्रेम पर अल्युमीनियम की बॉडी लगाई जाती है और बारीकी पर जितना ध्यान दिया जाता है, वह काबिले तारीफ है.
क्रिस्टियान हास की दोनों बेटियों यूलिया और कारलोटा को भी इन्हें चलाने में खूब मजा आता है. उनके लिए यह अहसास अद्भुत है कि आठ नौ साल के बच्चे हो कर भी वे कार चला सकते हैं. कभी वे अपनी सोप बॉक्स बेंटले चलाती हैं, तो कभी बुगाटी और कभी कभी तो दोनों बहनें एक साथ अपनी टू सीटर लगोंडा रापिएर की भी सवारी करती हैं.
रेगीना नीडेंसू