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इशरत जहां मामले पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

७ अक्टूबर २००९

इशरत जहां मामले में सुप्रीम कोर्ट का गुजरात सरकार, सीबीआई और केंद्र को नोटिस. हाईकोर्ट की तमांग रिपोर्ट पर लगी रोक को हटाने के बारे में पूछा. गुजरात पुलिस पर इशरत औऱ 3 दोस्तों को फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मार गिराने का आरोप.

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इशरत की मां शमीमा: इंसाफ़ की गुहारतस्वीर: AP

मुंबई की उन्नीस साल की छात्रा इशरत जहां और उसके तीन मित्रों को गुजरात पुलिस द्वारा के साथ जून 2004 में हुई कथित मुठभेड़ में मारे जाने के मामले में गुजरात सरकार एक बार फिर घिरती नज़र आ रही है.

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके उनसे चार हफ्ते के भीतर इस सवाल का जवाब देने को कहा है कि हाई कोर्ट द्वारा तमांग रिपोर्ट पर लगाई गयी रोक को क्यों न हटा दिया जाए.

पिछली आठ सितम्बर को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एस पी तमांग ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा था कि इन चारों की गुजरात पुलिस ने योजनाबद्ध तरीके से निर्दयतापूर्वक ह्त्या की थी और इनका पाकिस्तान-स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के साथ कोई संबंध नहीं था. इस रिपोर्ट के आते ही गुजरात सरकार के प्रवक्ता जयनारायण व्यास ने उसे चुनौती दी थी.

गुजरात पुलिस का दावा था कि इशरत और उसके सहयोगी गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या करना चाहते थे. इस फर्जी मुठभेड़ में पुलिस दल का नेतृत्व तत्कालीन डिप्टी पुलिस कमिश्नर धनञ्जय वंजारा कर रहे थे जो इस समय सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ काण्ड के सिलसिले में जेल में हैं. इशरत जहां और उसके साथियों की हत्या में शामिल एक अन्य वरिष्ठ अफसर भी जेल की सलाखों के पीछे है.

गुजरात सरकार की अपील पर राज्य के हाई कोर्ट ने तमांग रिपोर्ट पर रोक लगा दी थी. इस पर 17 सितम्बर को इशरत जहाँ की मां शमीमा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करके रोक हटाये जाने का अनुरोध किया था.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस इसलिए भेजा है क्योंकि तमांग रिपोर्ट को चुनौती देते हुए गुजरात सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के उस हलफनामे का ज़िक्र किया था जिसमें खुफिया एजेंसियों के हवाले से कहा गया था कि इशरत जहाँ और उसके साथियों का लश्कर-ए-तैयबा के साथ संबंध हो सकता है. लेकिन इस बारे में केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम का कहना है कि खुफिया एजेंसियों द्वारा दी गयी सूचनाओं के आधार पर जांच को आगे बढाया जाता है, उन्हें ही ठोस प्रमाण नहीं मान लिया जाता. चिदंबरम ने कहा कि यूं भी किसी ने यह नहीं सुझाया था कि खुफिया सूचना के आधार पर किसी को मार दिया जाए.

जो भी हो, अब गुजरात सरकार को एक बार फिर फर्जी मुठभेडों के दाग धोने के लिए मशक्कत करनी पड़ेगी.

रिपोर्ट-कुलदीप कुमार, नई दिल्ली

संपादन- एस जोशी