इराक में पर्यटकों का धूम धड़ाका
३१ जुलाई २०१३हर साल हजारों तीर्थयात्री इराक आते हैं. बेबीलोन सभ्यता की गोद कहलाने वाले इराक में अब अलग तरह के पर्यटक आ रहे हैं और सरकार इसे बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है. इराक में हर साल लाखों शिया तीर्थयात्री आते हैं. उत्तर में समारा और दक्षिण में बसरा शिया मुसलमानों के लिए अहम माने जाते हैं.
अब तक वहां की सरकार तेल निर्यात पर निर्भर है और तीर्थयात्री भी ज्यादातर ईरान से आते हैं. इसलिए बगदाद में अधिकारी पश्चिमी देशों से पर्यटन बढ़ाने की सोच रहे हैं. इराक में लोग दिलचस्पी भी ले रहे हैं लेकिन वहां की मूलभूत संरचना में कमी और नौकरशाही मेहमानों के लिए बड़ी परेशानी है. इराक की वीजा प्रणाली भी जटिल है और देश में कुछ ही टूरिस्ट एजेंसियां पर्यटकों को लाती हैं. ब्रिटेन की कंपनी के साथ आई लिंडा कोनी कहती हैं, "हम जहां भी गए, सब कुछ अलग था. अरब लोग, उनका इतिहास, पुरानी इमारतें, सब कुछ बेहद दिलचस्प था."
2009 से ब्रिटिश कंपनी हिंटरलैंड लोगों को इराक की सैर करवा रही है. इसमें नौ से लेकर 16 दिन लगते हैं और करीब 3,000 डॉलर खर्च होते हैं. इसमें फ्लाइट और वीजा का खर्च भी शामिल है. इराक में पर्यटक कंपनी की गाड़ी में मालिक जेफ हान के साथ सफर करते हैं. पर्यटकों को कहा जाता कि वह अपने सफर के बारे में जानकारी अपने तक रखें और ज्यादा लोगों को न आकर्षित करें. वह इराक के उत्तर में निमरूद और हातरा जाते हैं फिर बेबीलोन होते हुए बसरा पहुंचते हैं. बसरा से वापस बगदाद जाया जाता है और वहां से फिर लंदन के लिए विमान से.
लेकिन अब भी इराक में सुरक्षा बहुत अच्छी नहीं है. बगदाद की सैर कर रहे जेफ हान और उनके मेहमानों को चेकप्वाइंट पर रोका गया और पुलिसकर्मियों ने उनसे पहचान पत्र मांगे जो आम तौर पर केवल पत्रकारों के साथ होता है. अधिकारी भी कहते हैं कि पर्यटन को आगे बढ़ाने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं और ज्यादातर पैसे युद्ध के बाद देश के पुनर्निर्माण में लगाए जा रहे हैं. जहां तक वीजा का सवाल है, तीर्थयात्रियों को प्राथमिकता दी जाती है.
यूरोपीय यात्रियों के मामले में पर्यटन मंत्रालय के बाहा अल मयाही कहते हैं कि यूरोप में इराक को हिंसा और आतंकवाद से जोड़ा जाता है, "हमें इसे बदलना होगा. हमें बड़ी कोशिश करनी पड़ेगी ताकि हम लोगों को बता सकें कि इराक में इतिहास है और संस्कृति भी है". अल मयाही कहते हैं कि इराक में सालाना बीस लाख पर्यटर आते हैं और अगर कोशिश की जाए तो यह आंकड़ा 60 लाख तक पहुंच सकता है. 21 साल के जैन अली कहते हैं कि बगदाद वैसा नहीं है जैसा टीवी में दिखाते हैं, यानी बम और हमलों का शहर, "पर्यटकों को यहां आना चाहिए, इस शहर को देखना चाहिए और मैं जानता हूं कि वह वापस आएंगे."
फिलहाल इराक केवल रोमांच ढूंढने वाले यात्रियों को लुभा रहा है.
एमजी/एजेए (एएफपी)