इन तरीकों से प्रदर्शनकारियों और उपद्रवियों को किया जाता है नियंत्रित
हांगकांग में इन दिनों प्रदर्शन चल रहा है. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया. एक नजर उन तरीकों पर जिससे दुनिया के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित किया जाता है.
लाठी चार्ज
उग्र विरोध-प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों तितर-बितर करने के लिए कुछ देशों में लाठी चार्ज का भी सहारा लिया जाता है. भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश में लाठी चार्ज के मामले अक्सर आते हैं. 2019 में हांगकांग में प्रत्यर्पण बिल को लेकर हो रहे प्रदर्शन के दौरान पुलिन इसी से मिलता-जुलता तरीका अपनाया. हालांकि विकसित देशों में लाठी चार्ज को अमानवीय करार दिया गया है.
आंसू गैस
उग्र प्रदर्शन या उपद्रव को नियंत्रित करने के लिए पुलिस आंसू गैस का प्रयोग करती है. आंसू गैस की वजह से आंखों में तेज जलन होती है और यह भीड़ को दूर हटने पर मजबूर कर देती है.
मिर्ची बम
मिर्ची बम को आलियोरेजन भी कहा जाता है. फेंकने के बाद जब यह फटता है तो आंखों और त्वचा में जलन होने लगती है. हालांकि, जब लोगों की संख्या काफी ज्यादा होती है तो यह तरीका उतना असरदार नहीं होता है. इसका असर कुछ लोगों पर ही हो पाता है.
प्लास्टिक की गोलियां
पुलिस उपद्रवियों पर नियंत्रण के लिए प्लास्टिक की गोलियों का इस्तेमाल करती है. इससे जान को नुकसान नहीं पहुंचता है लेकिन चोट की वजह से लोग भाग जाते हैं.
रबर की गोलियां
रबर की गोलियों का प्रयोग पुलिस वैसे समय में करती है जब उन्हें लगता है कि प्रदर्शनकारी उग्र हो चुके हैं. रबर की गोलियां शरीर को चोटिल कर देती है और इससे किसी की जान जाने का खतरा भी नहीं होता है.
वॉटर कैनन
प्रदर्शनकारियों को तितर बितर करने के लिए पुलिस अक्सर वॉटर कैनन का इस्तेमाल करती है. इसमें प्रदर्शनकारियों के ऊपर पानी की तेज बौछार की जाती है. बौछार के दायरे में आने वाले लोग पानी के वेग से छटक से जाते हैं.
पैलेट गन
भारत के जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजों को नियंत्रित करने के लिए पैलेट गन का इस्तेमाल किया गया था. इसमें एक बार में प्लास्टिक और रबर के कई छर्रे निकलते हैं जो सामने वाले को घायल कर देते हैं. हालांकि, कई मानवाधिकार संगठनों ने इस तरीके का मुखर विरोध किया. कहा गया कि इस वजह से कई लोगों की आंखों की रौशनी चली गई. कुछ लोगों के चेहरे पूरी तरह से खराब हो गए.
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