इन जानवरों को बचाने का आखिरी मौका
अंधाधुंध शिकार और आवास के नष्ट होने के कारण दुनिया भर में कई जीव खतरे में पड़ गए हैं. आइए जानते हैं ऐसी विलुप्त हो रही आठ प्रजातियों के बारे में जिन्हें बचाने के लिए तुरंत कदम उठाने होंगे.
उत्तरी सफेद राइनो
इस प्रजाति का आखिरी नर सूडान भी हाल ही में मर गया. विलुप्त हो चुकी इस प्रजाति को अब भी वैज्ञानिक आईवीएफ तकनीक के जरिए फिर से वापस लाने की कोशिशों में लगे हैं. वहीं बाकी ने मान लिया है कि हमने इन्हें हमेशा हमेशा के लिए खो दिया.
दक्षिण चीनी बाघ
बाघों की सभी प्रजातियों में यह सबसे ज्यादा खतरे में है. सन 1970 से ही एक भी दक्षिण चीनी बाघ प्राकृतिक माहौल में नहीं दिखा है. कब्जे में रखे गए ऐसे बाघ भी संख्या में 80 से कम ही हैं. इन्हें भी एक तरह से खत्म मान ही लिया गया है.
आमूर तेंदुआ
प्रकृति में ऐसे 80 से भी कम तेंदुए रहते हैं. इस तरह यह हमारी पृथ्वी पर पाई जाने वाली सबसे दुर्लभ बड़ी बिल्लियों में से एक है. दक्षिणी चीन, उत्तरी रूस और कोरियाई प्रायद्वीप के जंगलों में इसका प्राकृति आवास रहा है. इसे सबसे बड़ा खतरा शिकार और घटते जंगलों से है.
वाक्विता या खाड़ी सूंस
खाड़ी सूंस के नाम से लोकप्रिय वाक्विता दुनिया की सबसे दुर्लभ समुद्री जीव है. इस समय शायद ऐसी केवल 15 मछलियां ही बची हों. हालांकि इसका कभी भी सीधे शिकार नहीं किया गया लेकिन कैलिफोर्निया के खाड़ी इलाके में एक दूसरी मछली टोटोआबा को पकड़ने के लिए डाले जाने वाले जालों में यह अकसर खुद ही फंस जाया करती है.
काला गैंडा
इनका भी वही हश्र हो सकता है जो सफेद राइनो का हो गया है. यह तादाद में केवल 5,000 ही बचे हैं. जिनकी तीन उपजातियां पहले ही गायब हो चुकी हैं. अवैध शिकार के कारण इनकी यह हालत हुई है और अब भी लोग सींग के लिए इनके पीछे पड़े हैं.
लाल भेड़िया
दुनिया में केवल 30 लाल भेड़िए ही बचे हैं. रेड वुल्फ को गंभीर रूप से खतरे में पड़ी प्रजाति माना जाता है और इसे बचाने के काफी प्रयास जारी हैं. यह ग्रे वुल्फ और कायोटे के बीच का एक आनुवंशिक मिश्रण है. 1960 के दशक में चलाए गए एक अभियान से इन्हें काफी नुकसान पहुंचा. अब यह केवल उत्तरी कैरोलाइना में ही बचे हैं.
साओला
इन्हें सबसे पहले 1992 में देखा गया. शर्मीले और छुप कर रहने वाले साओला को 'एशियाई यूनिकॉर्न' भी कहा जाता है. इनका दिखना इतना दुर्लभ है कि आज तक केवल चार को ही रिसर्चर उनके प्राकृतिक आवास में देख सके हैं. विएतनाम और लाओस के जंगलों में इनका आवास माना जाता है. वे भी शायद 100 के आसपास ही बचे हैं.
पूर्वी गोरिल्ला
धरती पर जिंदा बचा सबसे बड़ा प्राइमेट अब अवैध शिकार और जंगलों के कटने के कारण खुद खतरे में है. गोरिल्ला की यह उपजाति आबादी में कुल 3,800 के आसपास बची है. इनकी आबादी को स्थाई बनाने में अब भी काफी प्रयास किए जाने बाकी हैं. (इनेके मूलेस/आरपी)