इन गवर्नरों ने दिया आरबीआई से इस्तीफा
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और सरकार के बीच टकराव और मतभेद का सिलसिला नया नहीं है. कुछ मौकों पर आरबीआई गवर्नरों ने इस्तीफे दे दिए तो कई बार बिगड़ती बात बन गई. एक नजर ऐसे गवर्नरों पर जिन्होंने पद से इस्तीफा दिया.
उर्जित पटेल
निजी कारणों का हवाला देते हुए आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने 10 दिसंबर 2018 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. माना जाता है कि यह इस्तीफा पटेल और केंद्र सरकार के बीच मतभेदों का नतीजा है. जानकारों के मुताबिक दोनों पक्षों में स्वायत्ता के मसले पर टकराव की स्थिति थी.
क्या था विवाद
स्थानीय मीडिया के मुताबिक वित्त मंत्रालय रिजर्व बैंक कानून की धारा सात को लागू करने पर सोच विचार कर रही थी. यह धारा बैंक के गवर्नर को जनहित के मुद्दों पर निर्देश देने का अधिकार देती है. कहा तो यह भी गया कि सरकार बैंक से 3 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की मांग कर रही है, जिसका आरबीआई विरोध कर रहा है.
आर एन मल्होत्रा
आर एन मल्होत्रा फरवरी 1985 से दिसबंर 1990 तक आरबीआई के गवर्नर रहे. वीपी सिंह सरकार ने मल्होत्रा का कार्यकाल बढ़ा दिया था. लेकिन वीपी सिंह के बाद केंद्र में आई चंद्रशेखर सरकार में वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा और मल्होत्रा के मतभेदों के चलते गवर्नर ने अपना पद छोड़ दिया. इसके बाद एस वेंकटरमन केंद्रीय बैंक के गवर्नर नियुक्त किए गए.
सर बेनेगल रामाराउ
आरबीआई के इतिहास में इस्तीफे का सबसे पहला मामला साल 1957 में सर बेनेगल रामाराउ का था. रामाराउ के तात्कालीन वित्त मंत्री टीटी कृष्णामचारी के साथ कई मुद्दों पर मतभेद थे. वित्त मंत्री कृष्णामाचारी ने आरबीआई को अप्रत्यक्ष रूप से वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाली संस्था कहा था, जिसके बाद रामाराउ ने प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के सामने आगे काम करने को लेकर अपनी असमर्थता जताई और पद से इस्तीफा दे दिया.
मनमोहन सिंह
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बेटी ने अपनी किताब में खुलासा किया था कि साल 1984 में मनमोहन सिंह ने आरबीआई के गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया था. दरअसल उस वक्त केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विदेशी बैंकों को लाइसेंस जारी करने की शक्तियां आरबीआई से वापस लेने को मंजूरी दी थी. लेकिन सिंह के इस्तीफे को सरकार ने नहीं माना और कैबिनेट प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जिसके बाद मनमोहन सिंह ने अपना कार्यकाल पूरा किया.