इतिहास में आजः 5 अगस्त
५ अगस्त २०१३पांच अगस्त 1888 का दिन था, जब अपने पति को बिना बताए और अधिकारियों की अनुमति लिए बिना बेर्था बेंज जर्मनी के मानहाइम से प्फोर्जहाइम अपनी मां से मिलने चली गई. उनके साथ उनके दो लड़के यूजीन और रिचर्ड थे. दस्तावेज बताते हैं कि वह अपने पति कार्ल बेंज के इस अविष्कार की मार्केटिंग भी करना चाहती थी क्योंकि बेंज खुद यह नहीं कर पा रहे थे. इसके बाद इस कार ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा.
जाते समय उन्हें काफी परेशानियों का सामना भी करना पड़ा. उन्हें कार का ईंधन लिग्रोइन ढूंढना पड़ा जो उस समय केमिस्ट की दुकानों में ही मिलता था. आज भी वीसलॉख की यह टाउन फार्मेसी मौजूद है. इसके बाद ब्रुखसाल नाम की जगह पर कार की चेन रिपेयर की गई तो प्फोर्जहाइम के उत्तरी इलाके में ब्रेक की लाइनिंग बदली गई.
आज ये ऐतिहासिक रास्ता द बैर्था बेंज मेमोरियल रूट कहलाता है. जर्मनी के बाडेन व्युर्टेम्बर्ग राज्य में पर्यटक 194 किलोमीटर लंबे रास्ते पर देख सकते हैं कि कहां बैर्था बेंज ने क्या किया था और वह दुनिया के सबसे पहले ऑटोमोबाइल की पहली लंबी यात्रा महसूस कर सकते हैं.
बैर्था रिंगर (बेंज) 1849 में प्फोर्जहाइम में पैदा हुईं. 1871 में उन्होंने अपने मंगेतर कार्ल बेंज की वर्कशॉप में निवेश किया ताकि वह पहली कार बना कर उसका पेटेंट करवा सकें. 20 जुलाई 1872 में बैर्था रिंगर ने कार्ल बेंज से शादी की. उनके पांच बच्चे हुए- यूजीन (1873), रिचर्ड (1874), क्लारा (1877), थिल्डे (1882) और एलेन (1890) .