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इतिहास में आजः 23 जून

२३ जून २०१३

23 जून 1985 के दिन एयर इंडिया का मॉन्ट्रियल से लंदन होते हुए नई दिल्ली आने वाला हवाई जहाज आतंकी हमले का शिकार हुआ.

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तस्वीर: Reuters/Mani Rana

9,400 मीटर यानी 31,000 फीट की ऊंचाई पर इस विमान में बम धमाका हुआ. बोईंग 747-237बी इस धमाके के साथ अटलांटिक महासागर में क्रैश हो गया. धमाके के समय विमान आयरलैंड की हवाई सीमा में उड़ रहा था.

प्लेन में सवार 329 यात्रियों में से कोई नहीं बचा. इसमें 268 कनाडा के, 27 ब्रिटिश और 24 भारतीय नागरिक सवार थे. कनाडा के इतिहास और आयरलैंड की हवाई सीमा में होने वाला यह सबसे बुरा हवाई हादसा था.

किसी जंबो जेट में हुई यह पहला बम धमाका था.

1988 में लॉकरबी बम धमाके में ऐसा ही तरीका इस्तेमाल किया गया था. विस्फोटक एक रेडियो में रखा हुआ था और धमाका टाइमर से किया गया था. यह बम सूटकेस में था.

1985 में हुआ यह धमाका नारिटा एयरपोर्ट पर हुए बम धमाके के एक घंटे के अंदर हुआ था. नारिटा में विस्फोटक विमान में पहुंचने से पहले ही फट गया. इस धमाके से मिले सबूतों से संकेत मिला था कि हमलावर दो विमानों को एक साथ उड़ाना चाहते थे.

इस हमले की जांच और सुनवाई करीब 20 साल चली. कनाडा की अदालत जांच और सुनवाई के बाद इस नतीजे पर पहुंती कि धमाकों के मुख्य संदिग्ध बब्बर खालसा गुट के सिख चरमपंथी थे और उनके साथ कनाडा का एक गुट जुड़ा हुआ था. इन धमाकों में शामिल होने का दोषी सिर्फ इंदरजीत सिंह रेयात पाया गया. उन्हें बम बनाने और इन बमों का फ्लाइट 182 और नैरिता में धमाका करने के दोष में 15 साल कैद की सजा हुई.

2006 में गर्वनर जनरल इन काउंसिल ने सुप्रीम कोर्ट जज जॉन मेजर के नेतृत्व में एक जांच आयोग बनाया. इसकी रिपोर्ट 17 जून 2010 को जारी की गई. इसमें कहा गया कि कनाडा की सरकार, रॉयल कनाडियाई माउंटेड पुलिस और कनाडा की सुरक्षा और खुफिया सर्विस के एक कि बाद एक गलतियों की श्रृंखला के कारण ये आतंकी हमले हुए.

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