इतिहास में आजः 18 अगस्त
१७ अगस्त २०१३शायर के मन की थाह लेना वैसे भी मुश्किल है लेकिन गुलजार के तो आवाज की गहराई का भी सिरा नहीं मिलता. आप कितनी भी कोशिश करें उनके शब्दों से अभिभूत हो सकते हैं, उन्हें पकड़ नहीं सकते उनके सिरे नहीं टटोल सकते. शायर, लेखक, निर्देशक गुलजार ने करीब छह दशकों के अपने करियर में कविता, गीत, शेर, टीवी सीरियल, फिल्में समेत उर्दू और हिंदी साहित्य की कई विधाओं के लिए कलम चलाई है.
1954 में काबुलीवाला के साथ शुरू हुआ बॉलीवुड से उनका रिश्ता इस वक्त भी पूरे दम खम के साथ जारी है और हर गुजरते वक्त के साथ नए मोती गढ़ रहा है. गंभीर अहसास और रूमानियत भरे गीतों के साथ ही कजरारे कजरारे और बीड़ी जलइले जैसे गीत भी उनकी कलम ने लिखे हैं. यह कहना भी गलत नहीं कि उनका अंदाज हिंदी फिल्मों की एक धारा है जिसने बहुत से कलाकारों को निखरने की जमीन दी है.
हिंदी फिल्मों के वो अकेले शायर हैं जिनके हिस्से में भारत के सारे बड़े फिल्मी पुरस्कारों के अलावा अंतरराष्ट्रीय जगत का ऑस्कर और ग्रैमी पुरस्कार भी हासिल है. गुलजार ने अभिनेत्री राखी से शादी की लेकिन बेटी मेघना के जन्म के कुछ ही समय बात दोनों अलग हो गए.
एनआर/एजेए