इतिहास में आजः 15 सितंबर
१३ सितम्बर २०१४भारत की सिंचाई व्यवस्था का बुनियादी तंत्र और बाढ़ से बचने के तरीकों पर पहला काम विश्वेश्वरैया ने ही किया. उन्होंने पढ़ाई के बाद महाराष्ट्र में काम किया और बाद में उनकी सलाह से भारत के अलग अलग हिस्सों में बांधों का निर्माण किया गया. उन्होंने कावेरी नदी के पास जिस केआरएस बांध का निर्माण अपनी देख रेख में कराया, उसे प्रमुख बांधों में गिना जाता है. भारत की इंजीनियरिंग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने में उनका प्रमुख योगदान रहा.
ब्रिटिश राजघराने ने विश्वेश्वरैया के काम से प्रभावित होकर उन्हें 1911 में सर की उपाधि प्रदान की और भारत के आजाद होने पर उन्हें 1955 में देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया. विश्वैश्वरैया मैसूर के दीवान भी हुआ करते थे और उस क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता असीम थी. हाल ही में कन्नड़ के सबसे पुराने अखबार प्रजावनी ने जो सर्वे किया, उसके तहत वह कर्नाटक के सबसे लोकप्रिय शख्सियत हैं.
कर्नाटक की राजधानी बैंगलोर के पास 1860 में जन्मे विश्वेश्वरैया का निजी जीवन भी विरोधाभास से जुड़ा था. उन्हें कर्नाटक से जुड़ा माना जाता है लेकिन वह मूल रूप से तेलुगु थे और उनके पिता कर्नाटक आकर बस गए थे. उन्होंने सेंट्रल कॉलेज बैंगलोर से बीए यानि कला की पढ़ाई पूरी की और उसके बाद उस वक्त के मद्रास में पढ़ने चले गए. बाद में उन्होंने पुणे इंजीनियरिंग कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की.
उनकी देख रेख में मैसूर के आस पास तेजी से औद्योगिक विकास हुआ. कर्नाटक का विशाल वीटीयू यानि विश्वेश्वरैया टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी यूनिवर्सिटी उन्हीं के नाम पर है, जिसके तहत 100 से ज्यादा कॉलेज चलते हैं.