इतिहास में आज: 6 जून
५ जून २०१३फिल्मों में आने से पहले सुनील दत्त मुंबई रेडियो में बतौर प्रस्तुतकर्ता काम करते थे. इस बीच उनकी मुलाकात अक्सर फिल्मी हस्तियों से साक्षात्कार के लिए हो जाया करती थी. ऐसी ही एक मुलाकात के बाद उन्हें रमेश सहगल ने अपनी फिल्म रेलवे प्लेटफॉर्म के लिए हीरो के किरदार का प्रस्ताव दिया और सुनील दत्त बॉलीवुड पहुंच गए. उन्होंने बीआर चोपड़ा के साथ लगातार सात फिल्में कीं. लेकिन उनकी पहली बड़ी पहचान महबूब खान की फिल्म मदर इंडिया(1957) में बिरजू के किरदार से बनीं. इस फिल्म में उनकी मां का किरदार नरगिस ने निभाया था, जिन्हें बाद में सुनील दत्त ने अपनी जीवन संगिनी बनाया. गुमराह, वक्त, हमराज, साधना और सुजाता उनकी कुछ और लोकप्रिय फिल्में रही हैं. फिल्म पड़ोसन में भी उनके काम को काफी सराहा गया. हालांकि जिद्दी और अक्खड़ बिरजू के पात्र के बाद निर्देशकों को लगने लगा कि प्रेमी की भूमिका में वह अच्छे नहीं लगेंगे.
सत्तर के दशक में उन्होंने फिल्म निर्माण की ओर रुख किया. 1981 में कैंसर से उनकी पत्नी नरगिस दत्त की मृत्यु के बाद वह काफी टूट गए. बाद में काफी समय तक वह राजनीति और समाज सेवा के क्षेत्र में सक्रिय रहे. 1984 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी के टिकट पर मुम्बई उत्तर पश्चिम लोक सभा सीट से चुनाव जीता और सांसद बने. वे यहां से लगातार पांच बार चुने गए. बेटे संजय दत्त के साथ 2003 में उन्होंने फिल्म 'मुन्ना भाई एमबीबीबीएस' में भी काम किया. 2005 में दिल का दौरा पड़ने से उनका देहांत हो गया.