इतिहास में आज: 13 मार्च
१२ मार्च २०१४जालियांवाला बाग हत्याकांड भारत के इतिहास में सबसे भयानक दिनों में से एक है. 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के निकट जलियांवाला बाग में बैसाखी के दिन रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी. इस सभा को भंग करने के लिए अंग्रेज अफसर जनरल माइकल ओ डायर ने अंधाधुंध गोलियां चलवा दीं. इस हादसे में हजार से ज्यादा लोग मारे गए और 2000 से ज्यादा जख्मी हुए. सैकड़ों महिलाओं, बूढ़ों और बच्चों ने जान बचाने के लिए कुएं में छलांग लगा दी.
अंग्रेजों का मकसद था भारतीय स्वतंत्रता के लिए उठ रही आवाजों को दबाना, लेकिन इस घटना ने आजादी की आग को और हवा दे दी. बचपन में ही मां बाप को खो चुके उधम सिंह की परवरिश अनाथालय में हुई थी. इस घटना ने उनके मन में भी गुस्सा भर दिया. पढ़ाई लिखाई के बीच ही वह आजादी की लड़ाई में कूद पड़े. जनरल डायर को मारना उनका खास मकसद बन गया.
1934 में वह लंदन जाकर रहने लगे. 13 मार्च 1940 को 'रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी' की लंदन के 'कॉक्सटन हॉल' में बैठक थी. इस बैठक में डायर को भी शामिल होना था. ऊधम भी वहां पहुंच गए. जैसे ही डायर भाषण के बाद अपनी कुर्सी की तरफ बढ़ा किताब में छुपी रिवॉल्वर निकालकर उधम सिंह ने उसपर गोलियां बरसा दीं. डायर की मौके पर ही मौत हो गई. उधम सिंह को पकड़ लिया गया और मुकदमा चला. 31 जुलाई 1940 को उन्हें फांसी दे दी गई.