इतिहास का गुम कलाकार
आज भले ही लोग उन्हें न जानते हों लेकिन जर्मनी के वास्तुकार और पुरातत्वविद फ्रांस क्रिस्टियान गाऊ ने मिस्र की नील नदी के पास के इलाकों खासकर नूबिया क्षेत्र की प्राचीन सभ्यता को मसझने में बहुत अहम भूमिका निभाई है.
खोज की यात्रा
प्राचीन मिस्र की सभ्यता ने कई जर्मनों को प्रभावित किया है. जर्मन वास्तुकार फ्रांस क्रिस्टियान गाऊ ने इसी जिज्ञासा में नूबिया की यात्रा की जो उस समय मिस्र और सूडान का हिस्सा था. नील नदी के आसपास पूजाघरों वाले इलाकों को दस्तावेज की शक्ल दे कर चित्रण करने वाले गाऊ पहले कलाकार थे. इस तस्वीर में उन्होंने देंदूर के पूजाघर को कैनवास पर उतारा.
जोखिम और क्रांति
फ्रांस क्रिस्टियान गाऊ खतरा उठाने में पीछे नहीं रहते थे. गाऊ कोलोन में पैदा हुए थे यहीं उनकी कलाकृतियों की प्रदर्शनी लगाई गई है. पढ़ाई के दौरान वह जर्मनी से पेरिस चले गए. फ्रांसीसी क्रांति ने उन्हें अपनी ओर खींचा.
पेरिस से रोम
1818 से 1820 तक के गाऊ नेपोलियन बोनापार्ट के लिए घूमे. उन्हें नेपोलियन का मकबरा बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. लेकिन फ्रांस की रूस पर चढ़ाई करने के बाद इस पर पानी फिर गया. गाऊ इसके बाद रोम चले गए.
अनछुआ इलाका
बास्तुकला का बाजार सुस्त पड़ने से गाऊ की हालत भी खराब हो गई.तब भी उन्होंने लोगों से पैसे उधार लिए और नील नदी के किनारे खड़े मंदिर पर शोध कार्य शुरू किया. इससे पहले बहुत ही कम यूरोपीय कलाकारों ने इस तरफ ध्यान दिया था.
बाढ़ की मार
ऊ ने अपने भ्रमण के दौरान जिन मंदिरों का लेखा जोखा तैयार किया वे अब नहीं हैं. असवान बांध के बनने के दौरान कई बाढ़ की भेंट चढ़ गए. इनमें से कई नष्ट करके दूसरे ठिकानों पर बनाए गए जैसे इस तस्वीर में दिखाया गया कलब्शा मंदिर. आज गाऊ के बनाए चित्र प्राचीन मिस्र सभ्यता के प्रमुख प्रमाण हैं.
अबू सिंबेल मंदिर
अबू सिंबेल मंदिर पर गाऊ का काम बहुत बड़ा योगदान है. यह मंदिर अब यूनेस्को के तहत विश्व धरोहर है. गाऊ पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 1264 बीसी में बने इन मंदिरों की आंतरिक सज्जा का लेखा जोखा जमा किया. इस तस्वीर में अबू सिंबेल का हाथर मंदिर दिखाया गया है.
सटीक रिकॉर्ड
गाऊ की चित्रकारी एकदम फोटो की तरह सटीक होती थी. 1850 फ्रांसीसी फोटोग्राफर में मॉरिस दु कांप की यह खींची हुई यह तस्वीर इस बात की पुष्टि करती है. गाऊ के 30 साल बाद उन्होंने भी मिस्र के इन इलाकों की यात्रा की.
भ्रमण पर किताब
गाऊ 1819 में एलेक्जेंड्रिया वापस लौटे. बाद में वह पेरिस, फिलिस्तीन और रोम गए. पेरिस में उन्होंने नूबिया के बारे में अध्ययन शुरू किया. नूबिया के बारे में जर्मन और फ्रेंच भाषाओं में छपी उनकी किताबें खूब पसंद की गईं. उनकी चित्रकारी को तांबे पर नक्श किया गया.
पर्यटन में मदद
गाऊ के चित्रों और किताबों ने मिस्र के बारे में पुरातत्व शोधों में मदद की, साथ ही इससे वहां के पर्यटन को भी फायदा मिला. उनके काम ने कलाकारों को भी यात्रा करने के लिए प्रोत्साहित किया. नॉबर्ट बिटनर की वॉटर कलर से बनाई गई यह पेंटिंग भी कुछ ऐसा ही दिखाती है.
दो देशों के बीच पुल
मिस्र के बारे में अपने काम के लिए गाऊ को फ्रांस में सम्मानित किया गया. उन्होंने बाद में फ्रांसीसी नागरिकता ले ली. हालांकि कोलोन के कैथीड्रल को बनाने में उनका योगदान रहा. वास्तुकला और पुरातत्व के क्षेत्र में उनका योगदान जर्मनी और फ्रांस दोनों के लिए महत्वपूर्ण रहा.