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समाज

इंडोनेशिया में भूकंप से 91 की मौत

६ अगस्त २०१८

इंडोनेशिया के लोम्बोक द्वीप पर रविवार को आए भूकंप में 91 लोगों की मौत की खबर है और 200 से अधिक घायल हुए हैं. यह द्वीप पर्यटकों में लोकप्रिय बाली के करीब है.

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Indonesien nach dem Erdbeben in Lombok hunderte versuchen die Gili-Inseln zu verlassen
तस्वीर: Reuters/Indonesia Water Police

इंडोनेशिया में यह एक हफ्ते में दूसरा भूकंप है. पिछली बार 29 जुलाई को धरती कांपी थी, जिस कारण 16 लोगों की जान गई और सैकड़ों घरों को नुकसान पहुंचा. लेकिन 5 अगस्त को आया भूकंप और भी ज्यादा खतरनाक साबित हुआ. रिक्टर स्केल पर सात की तीव्रता वाले भूकंप के कारण कम से कम 91 लोगों की जान गई है. सरकार के अनुसार इस आंकड़े के बढ़ने की आशंका है. अभी भी ऐसे कई इलाके हैं, जहां तक राहतकर्मी पहुंच नहीं सके हैं.

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी के प्रवक्ता सुतोपो पुर्वो नुग्रोहो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि उत्तरी लोम्बोक में "भारी नुकसान" हुआ है. कई जगहों पर सड़कें और पुल बुरी तरह टूट गए हैं और बिजली भी चली गई है. इस कारण इन इलाकों तक पहुंचना और वहां से लोगों को निकाल पाना मुश्किल हो गया है. नुग्रोहो ने बताया कि हजारों की संख्या में घरों और इमारतों को नुकसान पहुंचा है और फिलहाल करीब 20,000 लोग अस्थाई रूप से शेल्टर में रह रहे हैं.

Indonesien nach dem Erdbeben in Lombok zertörte Häuser
तस्वीर: Reuters/Antara Foto/A. Subaidi

लोम्बोक में राहतकार्य के लिए सेना को बुलाया गया है. सेना के जवान लोगों को कभी स्ट्रेचर पर, तो कभी कालीन में डाल कर सुरक्षित जगहों तक पहुंचा रहे हैं. नुग्रोहो ने बताया, "लोग बहुत डरे हुए थे और सड़कों पर इधर उधर भाग रहे थे. और पिछले भूकंप में जिन घरों और इमारतों को नुकसान पहुंचा था, वे और भी ज्यादा टूट गए और कई तो गिर भी गए." सोशल मीडिया पर भूकंप के दौरान और उसके बाद के कई वीडियो पोस्ट किए जा रहे हैं. इनमें लोगों को मदद के लिए चीखते चिल्लाते और इधर उधर भागते देखा जा सकता है.

Indonesien nach dem Erdbeben in Lombok
तस्वीर: Reuters/J. P. Christo

रविवार को भूकंप के बाद सूनामी की चेतावनी भी जारी की गई लेकिन ज्यादा ऊंची लहरों के ना उठने के कारण बाद में इसे वापस ले लिया गया. हालांकि इस दौरान लोगों में डर का माहौल रहा और वे अपने परिवारों के साथ ऊंचे इलाकों का रुख करने लगे. लोम्बोक की एक निवासी हारियान ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "मैं टीवी देख रही थी जब मुझे झटके महसूस हुए. छत पर लगी लाइट हिलने लगी और लोग चिल्लाने लगे - बाहर निकलो. मैं अंधेरे में भाग कर बाहर गई क्योंकि बिजली भी कट गई थी."

लोम्बोक के आसपास अन्य द्वीपों पर भी लोगों ने सूनामी के डर से सारी रात बाहर सड़कों पर ही बिताई. ब्रिटेन के एक पर्यटक ने बताया, "लोग बहुत चिल्ला रहे थे, रो रहे थे. खास कर स्थानीय लोग. हमने उनसे बात भी की. सब लोम्बोक में अपने परिवारों के लिए डरे हुए थे. किसी को समझ नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है."

Indonesien nach dem Erdbeben in Lombok
तस्वीर: Getty Images/AFP/Pikong

नुग्रोहो के अनुसार मरने वालों में कोई पर्यटक शामिल नहीं है और तीन समुद्री जहाजों को सैलानियों को सुरक्षित जगहों पर ले जाने के काम पर लगाया गया है. रविवार रात बाली और लोम्बोक के हवाई अड्डों पर सामन्य रूप से हवाई सेवा चलती रही. आधे घंटे के लिए एयरपोर्ट को खाली कराया गया क्योंकि भूकंप के बाद बिजली कट गई थी. सुरक्षा को सुनिश्चित करने के बाद सेवाएं फिर आरंभ की गई. हवाई अड्डे के बाहर भी घबराए हुए लोगों को रोते बिलखते देखा गया.

Indonesien nach dem Erdbeben in Lombok Notunterkünfte
तस्वीर: picture alliance/AP/A. Pranandi

प्रशांत महासागर में इंडोनेशिया की लोकेशन के कारण वहां अकसर भूकंप आते हैं. इंडोनेशिया ऐसी जगह स्थित है जिसे "रिंग ऑफ फायर" कहा जाता है क्योंकि आसपास कई ज्वालामुखी हैं. इनके कारण धरती की परतों में हलचल होती है. दिसंबर 2004 में सुमात्रा द्वीप पर 9.1 की तीव्रता वाले भूकंप और उसके बाद उठे सूनामी के कारण आसपास के दर्जन भर देशों पर असर हुआ और 2,30,000 से भी ज्यादा लोगों की जान गई. भारत के दक्षिणी हिस्से पर भी इसका भयानक असर देखने को मिला.

आईबी/एमजे (एएफपी, रॉयटर्स)

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