इंजिन बीएमडब्ल्यू का, शक्ल अंतरिक्ष यान की
२० सितम्बर २०१३पॉल बेकन एक ऐसी कार चलाना चाहते हैं जो फैशनेबल भी हो और तेज भी भागे. साधारण गाड़ियां उन्हें बोरिंग लगती हैं, इसलिए वह अपनी गाड़ी खुद बनाते हैं. बेकन की कार 'कॉस्मोट्रॉन' भविष्य की कार जैसी लगती है और पुरानी साइंस फिकशन फिल्मों की याद दिलाती है. इस तरह की गाड़ियों की कल्पना 1950 और 60 के दशक में होती थी. गाड़ी की मोटर कार से बाहर झांकती जैसी दिखती है और ड्राइवर पनडुब्बी की तरह खुलने वाले प्लेक्सिग्लास के गुंबदनुमा चैंबर में बैठता है.
अपनी कार के बारे में बेकन बताते हैं, "मुझे लगता है कि 1950 के दशक में भविष्य की जो कल्पना गई थी वह काफी सकारात्मक थी. तब चांद पर उतरने और अंतरिक्ष में पहुंचने की होड़ थी. मैं अपनी गाड़ी उस भविष्य की कल्पना के आधार पर बनाता हूं. अब शायद हम जिस भविष्य की कल्पना करते हैं, वह ऐसा नहीं है."
स्कूबी डू कार्टून जैसी
इंग्लैंड के लेस्टर में बेकन का अपना गराज है. वैसे तो वे पेशे से बढ़ई हैं लेकिन इस गराज में बेकन रद्दी माल से नई साइकिलें बनाते हैं. फिर उन्हें किराए पर देते हैं या बेचते हैं. इन दिनें वह एक 'लोराइडर' पर काम कर रहे हैं, एक ऐसी साइकिल, जिसकी सीट बहुत नीचे होती है.
पॉल बेकन को बचपन से ही ऐसी अनोखी गाड़ियों का शौक था. वह बताते हैं, "मेरे पापा ने मेरे लिए पहली वेल्डिंग मशीन खरीदी. फिर मुझे समझ में आया कि साइकिलसे आप एक ही दिन में कुछ बिलकुल ही अलग बना सकते हैं. कार बनाने में 18 महीने लगते हैं, लेकिन 12 घंटे में ही आपकी साइकिलको देखने सड़क पर लोग जमा हो जाते हैं."
उनकी 'कॉस्मोट्रॉन' को देख कर भी ऐसा ही होता है. फौरन आसपास लोग जमा हो जाते हैं. इसलिए बेकन अकसर लेस्टर के पुराने हिस्से में जाते हैं और लोगों का मनोरंजन करते हैं. किसी को यह 1970 के स्कूबी डू कार्टून जैसी लगती है, तो कोई इसमें बस एक राउंड मारने की चाह रखता है.
पुराने जमाने का आधुनिक
बात सिर्फ दिखावे की नहीं. गाड़ी पुराने जमाने की दिखती है, लेकिन इसकी तकनीक बेहद मॉडर्न है. इसमें बीएमडब्ल्यू जेड3 का इंजिन है और गाड़ी का मॉडल 1998 का है. बेकन को इसे नया रूप देने में 18 महीने लगे, "मैं सबकुछ बीएमडब्ल्यू का चाहता था, गियरबॉक्स, सस्पेंशन, सबकुछ. मैंने इन्हें छुआ भी नहीं, यह वैसा ही है जैसा फैक्ट्री से आया था. मैंने बस ऊपर का डिजाइन बदला, बीएमडब्ल्यू का बेस बढ़िया था."
कॉस्मोट्रॉन बनाने के बाद कार के बचे खुचे टुकड़ों से बेकन ने एक साइकिल बनाई. 50 किलोमीटर की गति के लिए यह साइकल ठीक है. बेकन का कहना है कि यह टिकाऊ है. लेकिन यह तेज नहीं चलती. व्यावहारिक भले ही ना हो, लेकिन उनकी बनाई यह साइकल कूल जरूर है.
रिपोर्ट: ओलिवर जालेट/एम गोपालकृष्णन
संपादन: ईशा भाटिया