1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

आस्था का महाकुंभ शुरू

१४ जनवरी २०१३

मकर संक्रांति के सूर्योदय की आभा ने आसमान में जैसे ही हल्की सी लालिमा बिखेरी महानिर्वाणी अखाड़े के नागा साधुओं और सैकड़ों भक्तों ने इलाहबाद के संगम पर डुबकी लगाकर महाकुंभ का शुभारंभ किया. महाकुंभ 12 साल पर लगता है.

https://p.dw.com/p/17JQW
तस्वीर: Reuters

पहले शाही स्नान के बाद भारी संख्या में भक्तों के स्नान का सिलसिला शुरू हुआ. मकर संक्रांति पर करीब एक करोड़ से अधिक संख्या में श्रद्धालुओं के स्नान करने का अनुमान है. महाकुंभ का दूसरा स्नान 27 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर, तीसरा स्नान 10 फरवरी को, चौथा 15 फरवरी, पांचवां 25 फरवरी को और अंतिम स्नान 10 मार्च को महा शिवरात्रि के दिन होगा.

करीब 55 दिन के इस महाकुंभ में लगभग आठ करोड़ श्रद्धालु संगम तट पर स्नान करेंगे. उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहबाद में लगे महाकुंभ पर करीब 1,100 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. हिन्दु धर्म में महाकुंभ में स्नान का काफी महत्व है और मान्यता है कि यहां डुबकी लगाने से मोक्ष मिलता है.

मकर संक्रांति की पूर्व संध्या से ही संगम तट पर बसाए गए कुंभनगर में भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंच गए. सर्दी थोड़ी कम हुई लेकिन फिर भी इतनी कि चाहकर भी लोग कुंभनगरी में रात भर रुकने का आनंद नहीं ले सके.

Naga Sadhu
तस्वीर: picture alliance/dpa

पर भोर के पांच बजने से पहले ही पूरी कुंभनगरी में ढोल और नगाड़े बजने लगे. अखाड़ों में शाही स्नान की तैयारी और हर तरफ गहमा गहमी. भक्त अखाड़ों के द्वार के सामने कतार में खड़े हो गए और अखाड़ों से नागा साधु संतों के जुलूस की प्रतीक्षा करने लगे. ठीक सवा पांच बजे महानिर्वानी अखाड़े का जुलुस निकला. गाजे बजे और पारंपरिक शस्त्रों तलवार, भाले, त्रिशूल, गदा लिए घोड़ों पर सवार नंग धडंग नागा बाबा सभी के आकर्षण का केंद्र थे. घोड़ों के अलावा साधु पैदल और मोटर गाड़ियों पर भी सवार थे.

साधुओं के डुबकी लगाते ही आम लोग भी स्नान के लिए उतर गए. गंगा का पानी प्रदूषित है लेकिन इसकी चिंता किए बगैर आस्था से सराबोर लोगों ने आचमन किया और इस जल को पिया भी. हालांकि कुछ लोगों ने अखाड़े के जुलूस का शाही ढंग से नेतृत्व तो किया पर स्नान नहीं किया. उन्होंने केवल भगवा वस्त्रों पर संगम का जल छिड़का.

स्नान के बाद बाबाओं का नृत्य और करतब भी हुआ, जो लोगों के लिए खासा कौतूहल का विषय रहा. महाकुंभ में कुल 13 अखाड़े आए हैं और उन्होंने अपने विशाल शिविर लगाए हैं. पहले स्नान के बाद सर्दी को देखते हुए कुछ दिनों तक लोगों की संख्या कम हो सकती है. अगली भीड़ 27 जनवरी को देखने को मिल सकती है.

रिपोर्टः सुहेल वहीद, इलाहाबाद

संपादनः ए जमाल