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ट्रंप कैसे करेंगे मैर्केल का सामना

१७ मार्च २०१७

पहले कई बार जर्मन चांसलर मैर्केल की नीतियों की आलोचना कर चुके अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप जब वॉशिंगटन में आमने सामने उनसे मुलाकात करेंगे, तो क्या उनकी बातचीत पर पिछली टिप्पणियों का भी कुछ असर दिखेगा.

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Angela Merkel und Donald Trump
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Kappeler/R. Sachs

अगस्त 2016 में वर्जिनिया में रिपब्लिकन पार्टी की चुनाव रैली में मैर्केल की शरणार्थी नीति का विरोध करने वाले डॉनल्ड ट्रंप ने कहा था, "क्या गलत हुआ? अंगेला क्या हुआ?" हो सकता है कि अब राष्ट्रपति बन चुके ट्रंप अपनी पहली भेंट में मैर्केल से यह सवाल ना पूछें. लेकिन इस मुलाकात में नाटो संगठन को मजबूत बनाने, आतंकी गुट इस्लामिक स्टेट से निपटने और यूक्रेन संकट को सुलझाने जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा जरूर होगीय ये मुद्दे अमेरिका और जर्मनी दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं.

इन अंतरराष्ट्रीय मसलों के अलावा भी विश्व के इन दो ताकतवर नेताओं की मुलाकात से एक नये साझा संबंध की शुरुआत होने की भी उम्मीद है. चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप ने अपनी प्रतिद्वंदी हिलेरी क्लिंटन को लेकर कहा था कि वे "अमेरिका की मैर्केल" बनना चाहती हैं. जब प्रतिष्ठित 'टाइम' पत्रिका ने अंगेला मैर्केल को साल 2015 का "पर्सन ऑफ द ईयर" बनाया तो इस पर भी ट्रंप को बड़ी आपत्ति थी, क्योंकि वे खुद को वहां देखना चाहते थे.

चुनाव अभियानों के दौरान ही ट्रंप ने संतुलन साधते हुए कुछ मौकों पर मैर्केल के प्रति सम्मान भी जताया. जैसे सितंबर 2016 में एक टीवी इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि किस विश्व नेता की वे प्रशंसा करते हैं, तो उन्होंने मैर्केल का नाम लिया था.

पद संभालने के बाद से ट्रंप जिन भी विश्व नेताओं से मिले हैं, हमेशा उन्होंने चुनाव अभियान के मुकाबले कहीं अधिक सौम्य सार्वजनिक छवि दिखायी है. हाल ही में ट्रंप ने जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ फ्लोरिडा में एक वीकेंड बिताया, जब दोनों नेताओं ने साथ में गॉल्फ खेला. कई सालों से परिचित इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू के साथ भी ट्रंप की करीबी दोस्ती है.

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ मैर्केल के बिल्कुल अलग तरह के संबंध थे. मैर्केल को यूरोप में ओबामा के सबसे करीबी सहयोगियों में से माना जाता था. यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और लंबे समय से देश की चांसलर रहीं मैर्केल ने धीमे आर्थिक विकास, शरणार्थी संकट और आतंकी हमलों के बढ़ते खतरे जैसी कठिन चुनौतियों पर भी साफ साफ बात रखी है. इस साल मैर्केल के सामने चौथी बार जर्मनी का चांसलर चुने जाने की चुनौती है. उनके लिए ये चुनाव भी आसान नहीं होने वाले.

ब्रिटेन के ईयू से बाहर निकलने के फैसले के बाद जर्मनी को भी स्थायित्व की जरूरत है. ट्रंप ने पहले कई बार ब्रेक्जिट के समर्थन में बोलते हुए, ईयू के बहुपक्षीय व्यापारिक समझौतों पर संदेह जताया है. उनके "अमेरिका फर्स्ट" के नारे से भी यूरोप में संशय है. ट्रंप से अपनी मुलाकात में मैर्केल यह जताने की कोशिश जरूर करेंगी कि एक मजबूत यूरोप अमेरिका के हित में है. यह संदेश मैर्केल एक महीने पहले ही म्युनिख पहुंचे अमेरिकी उप राष्ट्रपति माइक पेंस से मुलाकात में भी दे चुकी हैं.

मुलाकात में नाटो का सैनिक मुद्दा भी अहम रहेगा. ट्रंप नाटो सदस्य देशों से रक्षा खर्च के लिए तय न्यूनतम बजट देने की मांग कर चुके हैं. फिलहाल अमेरिका के अलावा केवल चार और देश ही जीडीपी का 2 फीसदी देते हैं, जबकि जर्मनी इनसे पीछे है. लेकिन दोनों नेताओं की मुलाकात में पारस्परिक हित के मुद्दों पर चर्चा के अलावा सबसे ज्यादा ध्यान इनकी बातचीत के स्वर पर होगा. क्योंकि वार्ता का 'लहजा' काफी हद तक भविष्य के द्विपक्षीय संबंधों पर असर डालेगा. 

आरपी/एमजे (एपी)