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आरूषि मामले में सीबीआई से सुप्रीम कोर्ट के सवाल

२५ अप्रैल २०११

सोमवार को भारत के सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो से पूछा है कि क्या वजह है कि अचानक वह जाग कर आरूषि के मां बाप के खिलाफ सबूतों की तलाश करने में जुट गई है. कोर्ट ने पूछा है कि सीबीआई के हाथ कौन सी जानकारी लगी है.

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तस्वीर: AP

सर्वोच्च अदालत ने पूछा है कि सीबीआई ये दावा करती रही है कि आरुषि और हेमराज की हत्या के मामले में राजेश और नूपुर तलवार के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं तो फिर अब अचानक क्या नया हो गया है. कोर्ट ने सॉलीसीटर जनरल से पूछा है, "सीबीआई कब से सक्रिय हो गई है. ट्रायल कोर्ट में पेश की गई जांच रिपोर्ट में पेज दर पेज में आपने कहा है कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है. अब आप कैसे मानने लगे हैं कि उनके खिलाफ सबूत है. क्या सिर्फ ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लिया है."

Oberstes Gericht in Indien
तस्वीर: Wikipedia/LegalEagle

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी औ एस एस निज्जर की बेंच ने एक बार नूपुर और राजेश तलवार से भी पूछा कि ट्रायल कोर्ट की तरफ से जारी सम्मन का जवाब देने में वे हिचक क्यों रहे थे. मई 2008 में हुए हत्याकांड में उनके कथित रुप से शामिल होने के अभियोग में ट्रायल कोर्ट ने ये सम्मन जारी किए.

सुप्रीम कोर्ट ने काफी देर तक चली बहस को सुनने के बाद कहा कि वह ट्रायल कोर्ट के उस फैसले की पड़ताल करेगी जिसमें इन दोनों के खिलाफ सम्मन जारी किया गया है. अगली सुनवाई के लिए 12 जुलाई की तारीख रखी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने तब तक दोनों पक्षों से अगर जरूरी हो तो लिखित जवाब दाखिल करने को कहा है.

14 साल की आरुषि की 16 मई 2008 को नोएडा के उसके घर में किसी ने गला काट कर हत्या कर दी. उसके नौकर हेमराज की भी हत्या उसी दिन की गई लेकिन उसका शव एक दिन बाद छत पर पड़ा मिला.

इस साल 19 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले के अमल पर रोक लगा दी जिसमें उसने गाजियाबाद की विशेष अदालत से जारी सम्मन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. सीबीआई ने ढाई साल से ज्यादा समय तक जांच करने के बाद गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत में अपनी रिपोर्ट दाखिल करते हुए कहा कि उसे तलवार दंपति के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है और वह जांच बंद करना चाहती है. ट्रायल कोर्ट ने जांच बंद करने से इनकार कर दिया और सीबीआई की रिपोर्ट में ऐसे कई कारण मौजूद हैं जो पहली नजर में सामने आ रहे हैं और जिनके आधार पर तलवार दंपति के खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है. इसके बाद कोर्ट ने तलवार दंपति के खिलाफ सम्मन जारी कर उन्हें कोर्ट आकर सुनवाई का सामना करने को कहा. इसके बाद तलवार दंपति इलाहाबाद हाईकोर्ट गए लेकिन वहां भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी.

रिपोर्टः एजेंसियां/ एन रंजन

संपादनः उभ

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