आरुषि हत्याकांड की फाइल बंद
२९ दिसम्बर २०१०अपनी रिपोर्ट में सीबीआई ने कहा है कि उसे तफ्तीश करने के लिए अपराध की जगह से पर्याप्त सबूत नहीं मिल पाए और वह इस मामले को और आगे बढ़ाने में असमर्थ है. गाजियाबाद की विशेष अदालत अब सीबीआई की इस रिपोर्ट को देखेगी.
तलवार परिवार के वकील रह चुके पिनाकी मिश्रा ने केस बंद किए जाने पर गहरा आश्चर्य जताया है. उन्होंने कहा कि अभी उन्होंने रिपोर्ट नहीं देखी है, इसलिए ज्यादा टिप्पणी नहीं कर सकते लेकिन केस को बंद किया जाना हैरानी भरा फैसला है.
मई, 2008 में नोएडा के पॉश इलाके में डॉक्टर राजेश और नुपूर तलवार के घर उनकी 14 साल की बेटी आरुषि की लाश मिली. गला काट कर उसकी हत्या कर दी गई थी. सबसे पहला शक घर के नौकर हेमराज पर गया. लेकिन अगले ही दिन घर की छत से 45 साल के हेमराज की लाश बरामद हुई. उसकी भी हत्या कर दी गई थी.
उत्तर प्रदेश की पुलिस इस मामले को सुलझा नहीं पाई, जिसके बाद केस सीबीआई के सुपुर्द किया गया. इसके फौरन बाद आरुषि के पिता राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया गया. शक जताया गया कि यह ऑनर किलिंग का मामला है. लेकिन सबूतों के अभाव में लगभग 50 दिन बाद उन्हें छोड़ दिया गया.
इस बीच मामले ने बेहद नाटकीय मोड़ ले लिया और राजेश तलवार के कंपाउंडर कृष्णा को गिरफ्तार किया गया. बाद में पड़ोस के एक और नौकर विजय मंडल को भी पुलिस ने पकड़ लिया. उधर, डॉक्टर राजेश तलवार का नार्को और पोलीग्राफिक टेस्ट भी हुआ लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.
सीबीआई की पहली टीम ने जब 18 महीने तक कोई नतीजा नहीं दिया, तो इसकी जांच का जिम्मा सीबीआई के एसपी नीलाभ कृष्णा के नेतृत्व में दूसरी टीम को दिया गया. सबूत के नाम पर सीबीआई सिर्फ आरुषि का मोबाइल फोन बरामद कर पाई लेकिन उससे भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला.
इस तरह 2008 की सबसे चर्चित मर्डर मिस्ट्री एक मिस्ट्री बन कर ही रह गई और शायद कभी पता न लग पाए कि 14 साल की आरुषि को किसने मारा.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः ए कुमार