आया बसंत
कश्मीर को धरती पर स्वर्ग कहते हैं. वसंत की शुरुआत पर वहां न सिर्फ पेड़ों पर फूल खिलने लगे हैं, धीरे धीरे बहार की छटा देखने पर्यटक भी आने लगे हैं. कविताओं के साथ लीजिए वसंत का आनंद.
1. आयो बहार बयार सखी अस, अंगहिं अंग उमंग जगायो. -ओम प्रकाश तिवारी
2. कामनाओं को जगाने सुप्त सपने सजाने, रंग अपना जमाने ऋतुराज आ गए. -कमल किशोर भावुक
3. अमराई ऐसी बौराई पात पात नाची मतवारी, वन में बागन वीथिन में बगरे बसंत की बलिहारी. -कमल किशोर भावुक
4. कही अनकही बची रह गई थी कितनी बातें प्रिय से आज वसंत सभी कह जानेवाला है. -कुसुम सिन्हा
5. पीला रूप तुम्हारा पीला सूट पहन, पीली बिंदी लगा पीली चूड़ियाँ पहन, पीली सरसों के खेत से निकल आ गईं तुम. -जीतेन्द्र चौहान
6. पहाड़ पर भी बसंत ने दी है दस्तक, बान के सदाबहार जंगल में, कविता की एक रसता को तोड़ते-से, बरूस के पेड़ों पर आकंठ खिले हैं लाल फूल. -तेजराम शर्मा
7. वसंत का आना पेड़ों का खुशी से झूमना, ठंडी बयार का बहना वसंत की दस्तक मात्र से मौसम में रुनक झुनक आई तन मन में मीठी पीर समाई. -मधुलता अरोरा
8. खिल गया अनेक फूल-पात से चमन, झूम-झूम मौन गीत गा रहा गगन, अंग-अंग में उमंग आज तो पिया, बसंत आ गया! -महेन्द्र भटनागर
9. सखी बसंत आया कोयल की कूक तान, व्याकुल से हुए प्राण बैरन भई नींद आज, हवा में मद छाया सखी बसंत आया. -मानोशी चैटर्जी
10. दूर तक शोर है ख़्वाबों के कंवल खिलते हैं, ये तो बतलाओ नये रंग किधर मिलते हैं. - अली अहमद अब्बास उम्मीद