आधे से अधिक जमीनी झगड़े अब भी अनसुलझे
सलाहकारी सेवायें देने वाली लंदन की कंपनी टीएमपी सिस्टम और गैर सरकारी संस्था राइट्स एंड रिसोर्स इनीशिएटिव की स्टडी के मुताबिक दुनिया में भूमि अधिकारों पर विवाद बढ़े हैं.
विकासशील देशों में बड़ा मुद्दा
स्टडी के मुताबिक विकासशील देशों में आधे से अधिक जमीनी विवाद अनसुलझे हैं. कई बार ये विवाद हिंसा का रूप भी ले लेते हैं. जब स्थानीय लोगों को ऐसी किसी जगह से हटाया जाता है जहां वे बिना किसी कानूनी अधिकार के रह रहे हैं तो ये विवाद काफी बढ़ जाता है.
दक्षिणपूर्व एशिया की समस्या
स्टडी के मुताबिक साल 2001 के बाद पैदा हुए दुनिया के तकरीबन 61 फीसदी विवाद अब तक नहीं सुलझाये जा सके हैं, वहीं दक्षिणपूर्व एशिया में जितने विवाद पैदा हुए उनमें से 88 फीसदी अब तक अनसुलझे हैं.
कारोबारी देरी का कारण
दक्षिणपूर्व एशिया में कारोबारी परियोजनाओं की देरी का एक बड़ा कारण ये जमीनी विवाद है. स्टडी मुताबिक तकरीबन 65 फीसदी परियोजानायें इस वजह से टली हैं और 71 फीसदी कानूनी विवादों में उलझी हुईं हैं.
बंद होती योजनायें
स्टडी के मुताबिक जमीनी विवाद न सिर्फ परियोजनाओं में देरी का कारण हैं बल्कि इनकी परिचालन लागत में भी 29 गुना का इजाफा हो जाता है जिसके चलते कई बार कारोबारी योजनाओं का विस्तार नहीं होता या इन्हें समय से पहले बंद कर दिया जाता है.
आपसी अविश्वास
दक्षिणपूर्व एशिया के इन विवादों का एक बड़ा कारण प्रभावित लोगों और कंपनियों के बीच आपसी अविश्वास भी है. स्टडी के मुताबिक आपसी अविश्वास के चलते ये विवाद बड़ा रूप ले लेते हैं. ऐसे मामले अफ्रीका में सबसे अधिक नजर आते हैं.
घटता निवेश
शोधकर्ताओं का मानना है कि हिंसा और तनाव में बदलते ये विवाद कंपनियां समय रहते सुलझा सकती हैं. रिपोर्ट मुताबिक निजी निवेशक जो भूमि अधिकारों के जोखिम को पहचानते हैं उन्हें कोई भी फैसला लेने से पहले स्थानीय लोगों से बातचीत करनी चाहिए.