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आतंकी इस्लाम से बाहर होंगे

कुलदीप कुमार८ नवम्बर २००८

भारत के 5000 मुसलिम उलेमाओं ने आतंकवाद के ख़िलाफ़ फ़तवे पर दस्तख़त कर दिये हैं. उन्होंने साफ़ किया कि आतंक को बढ़ावा देने वाले शख़्स की इस्लाम में जगह नहीं होगी. हैदराबाद में जमीयत की ख़ास बैठक चल रही है.

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आतंकवाद का धर्म से मतलब नहींतस्वीर: AP

भारत का आम मुसलमान ही नहीं, बल्कि इस्लाम के जानकार विद्वान भी एक स्वर से आतंकवाद का विरोध कर रहे हैं . इस वर्ष 31 मई को देवबंद के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विश्वविद्यालय दारुल उलूम ने एक फतवा जारी किया था जिसमें स्पष्ट शब्दों में कहा गया था कि आतंकवाद गैरइस्लामी है और उसका इस्लाम से कोई सम्बन्ध नहीं.

हैदराबाद में एकत्रित 5,0000 से भी अधिक मौलवियों ने इस फतवे का अनुमोदन करते हुए उस पर हस्ताक्षर कर दिए. ये मौलवी जमीयत उलेमा ए हिंद की 29वीं महासभा के दो दिवसीय सत्र में शामिल होने हैदराबाद आए हैं और आतंकवाद, अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण, साम्प्रदायिक दंगे तथा इसी तरह के अन्य मुद्दों पर विचार विमर्श कर रहे हैं.

BdT Ramadan in Indonesien
5000 उलेमाओं ने लगाई मुहरतस्वीर: AP

देवबंद से अपना आतंकवाद विरोधी संदेश फैलाते हुए लगभग 1,000 मौलवी एक विशेष रूप से सजाई गयी ट्रेन से हैदराबाद पहुंचे हैं. इस ट्रेन को अमन के लिए शेख़ उल हिंद एक्सप्रेस का नाम दिया गया था.

जमीयत उलेमा ए हिंद का ब्रिटिश सरकार विरोधी राष्ट्रीय आन्दोलन के साथ भी घनिष्ठ सम्बन्ध रहा था. जमीयत के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य मौलाना महमूद मदनी आज भी इसे याद करते हैं. उनका कहना है कि अभी तक देवबंद के दारुल उलूम द्वारा जारी फतवे पर सिर्फ़ चार मुफ्तियों के ही दस्तखत थे लेकिन अब देश भर से आए 5,000 मौलवियों के दस्तखत होने से यह संदेश भारत के कोने कोने में जायेगा कि इस्लाम में आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं है.

मदनी ने कहा कि जिस तरह वह इस्लामी आतंकवाद शब्द के खिलाफ हैं, उसी तरह वह हिंदू आतंकवाद शब्द का भी विरोध करते हैं. उन्होंने सरकार से मांग की कि वह आतंकवाद के साथ सख्ती से निपटे.