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आतंकियों की कैद में मुसलमान बनी इतालवी महिला

४ जून २०२०

18 महीनों तक इस्लामी चरमपंथियों की कैद में रहने के बाद एक इतालवी सहायता कर्मी अपने देश लौट आई है. लेकिन इस दौरान सिलिवा रोमानो इस्लाम कबूल करने के बाद आयशा हो गई है. इस बात पर इटली में हंगामा हो रहा है.

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वतन लौटी इतालवी कार्यकर्ता सिलविया रोमानो
वतन लौटी इतालवी कार्यकर्ता सिलविया रोमानोतस्वीर: Reuters/Italian Ministry of Foreign Affairs

सिलविया रोमानो अफ्रीकी देश केन्या के दक्षिणपूर्वी हिस्से में एक गांव के अनाथालय में बतौर वॉलिंटियर काम कर रही थीं. नवंबर 2018 में बंदूकधारियों ने उनका अपहरण कर लिया. उसके बाद उन्हें सोमालिया में ले गया. माना जाता है कि वहां वह आंतकवादी गुट अल शबाब की हिरासत में रहीं.

रिहाई के बाद 24 वर्षीय रोमानो रविवार को जब अपने देश इटली लौटीं तो देश के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ने उनकी अगवानी की. मुस्कराती हुई रोमानो ने अपना सिर एक कपड़े के ढंक रखा था. रोमानो ने सार्वजनिक तौर पर इस बारे में कुछ नहीं कहा है कि बंधक रहने के दौरान उन्होंने क्या क्या झेला, लेकिन उनके परिवार ने इस बात की पुष्टि की है कि उन्होंने चरमपंथियों की कैद में रहने के दौरान ही इस्लाम स्वीकार किया और अपना नाम भी बदलकर आयशा कर लिया.

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक रोमानो ने अधिकारियों को बताया कि वह "अपनी मर्जी से मुसलमान" बनी हैं और यह फैसला उन्होंने कुरान पढ़ने के बाद लिया. रोमानो ने यह भी कहा कि उन्हें बंधक बनाकर रखने वालों ने उनके साथ कुछ गलत नहीं किया है. लेकिन उनके धर्म परिवर्तन की खबरों पर कई हल्कों में गहरी नाराजगी जताई गई है.

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एक दक्षिणपंथी अखबार इल जियोरनाले ने सोमवार को हेडलाइन लगाई: "इस्लामी और खुश: अहसानफरामोश रोमानो" ट्रेविसो प्रांत के एक राजनेता ने तो यहां तक लिख दिया कि रोमानो को फांसी दे देनी चाहिए. हालांकि उनकी फेसबुक पोस्ट को तुरंत हटा दिया गया. इटली मुख्यतः रोमन कैथोलिक देश है और चर्च ने रोमानो की सुरक्षित वापसी का स्वागत किया है.

इतालवी मीडिया में खबरें हैं कि देश की सरकार ने रोमानो की रिहाई के लिए 15 लाख यूरो की फिरौती दी है, जैसा कि इस तरह के मामलों में अकसर होता है. हालांकि सरकार ने इस बारे में कुछ टिप्पणी नहीं की है.

नफरत भरे संदेश

धुर दक्षिणपंथी लीग पार्टी के नेता मातेएओ सालविनी ने कहा, "इस्लामी आतंकवादियों के बारे में कल्पना कीजिए: उन्हें इतना सारा पैसा भी मिल गया, एक आतंकवादी गतिविधि के लिए और उन्होंने इस्लामी पर्दे और धर्मांतरण के नाम पर सांस्कृतिक लड़ाई भी जीत ली."

उधर, अल शबाब के एक प्रवक्ता ने ला रिपब्लिका अखबार के साथ इंटरव्यू में फिरौती मिलने की पुष्टि की लेकिन यह नहीं बताया कि कितनी राशि दी गई है. उसने कहा, "कुछ रकम से हथियार खरीदे जाएंगे, जिनकी हमें जिहाद के लिए ज्यादा से ज्यादा जरूरत है. बाकी देश को चलाने के लिए खर्च किया जाएगा, स्कूलों के लिए, गरीबों में बांटे जाने वाला खाना खरीदने के लिए और उन पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग देने के लिए कुरान के कानूनों को लागू करते हैं और व्यवस्था कायम करते हैं."

इस प्रवक्ता के मुताबिक रोमानो ने खुद अपनी मर्जी से धर्मांतरण क्योंकि "उसने साफ तौर पर अपनी आंखों से उससे कहीं बेहतर दुनिया देखी जिसे वह अब तक जानती थी."

दूसरी तरफ रोमानो को बहुत सारे नफरत भरे संदेश मिल रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि मैजिस्ट्रेटों ने एक जांच शुरू की है कि क्या ऐसे संदेश भेजने वाले कुछ लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला किया जा सकता है.

एजीआई समाचार एजेंसी के अनुसार एक राजनेता मासिमी जियोरजेत्ती ने लिखा, "क्या मैं सिलविया रोमानो की रिहाई पर खुश हूं? बिल्कुल नहीं. अब हमारे यहां एक और ज्यादा मुसलमान हो गया है और चालीस लाख यूरो कम हो गए हैं." हालांकि बाद में उन्होंने अपनी ये पोस्ट डिलीट कर दी.

एके/ओएसजे (रॉयटर्स, एएफपी)

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