आतंकवाद से खिलाफ पाकिस्तान के कदमों को बताया नाकाफी
२२ फ़रवरी २०१९पेरिस स्थित वित्तीय एक्शन टास्क फोर्स, एफएटीएफ का कहना है कि पाकिस्तान ने अभी तक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद को मिलने वाली वित्तीय मदद को रोकने के लिए ज्यादा कदम नहीं उठाए हैं. संस्था ने इसका अर्थ यह निकाला कि पाकिस्तान को इस्लामिक स्टेट, अलकायदा और अन्य आतंकवादी संगठनों से होने वाले खतरों का अंदाजा नहीं है.
एफएटीएफ ने कहा कि वह इस दिशा में पाकिस्तान के साथ काम करता रहेगा लेकिन फिलहाल उसे अपनी "ग्रे लिस्ट" से नहीं निकालेगा. एफएटीएफ की "ग्रे लिस्ट" में वे देश होते हैं जो आतंकवाद को रोकने के लिए जरुरी और पर्याप्त कदम नहीं उठा पाते हैं.
एफएटीएफ ने पाकिस्तान से अपनी कार्य योजना को तेजी से पूरा करने का आग्रह किया और कहा कि देश विशेष रूप से मई 2019 की समयसीमा में दिए हुए कामों पर ध्यान दे. पाकिस्तान के पश्चिमी सहयोगी उससे लंबे समय से आतंकवादी समूहों पर अंकुश लगाने पर जोर दे रहे हैं.
इस लिस्ट में रहने की वजह से पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार से कर्ज लेना और मुश्किल हो जाएगा. खासतौर पर इस वक्त देश कि अर्थव्यवस्था खराब चल रही है. हालांकि इस लिस्ट की कोई कानूनी बाध्यता नहीं होती मगर अंतरराष्ट्रीय रेगुलेटर और वित्तीय संस्थान कर्ज देने से पहले ज्यादा सावधान रहते हैं. इससे देश के व्यापार और निवेश पर बुरा असर पड़ सकता है.
एफएटीएफ का कहना है कि पाकिस्तान को ये साबित करना होगा कि उसने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद को मिलने वाली वित्तीय मदद पर आवश्यक प्रतिबंध लगाए हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि पाकिस्तान में अवैध धन की पहचान करने वाले अधिकारियों के बीच में बेहतर तालमेल लाना होगा और अभियोजन पक्ष को भी ज्यादा समर्थन देना पड़ेगा.
भारतीय कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद, भारत ने कथित तौर पर आतंकी फंडिंग पर अंकुश लगाने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ एफएटीएफ के सामने एक मजबूत अपील की थी. भारत ने आतंकवाद निरोधक निगरानी सूची में अपने पड़ोसी राष्ट्र को बनाए रखने के लिए दबाव भी डाला था.
भारत ने कश्मीर में तीन दशकों में हुए सबसे बड़े हमले को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को दोषी ठहराया है. आत्मघाती बम हमले में 40 से अधिक भारतीय अर्द्धसैनिक मारे गए हैं. इस आतंकी घटना पर कार्रवाई के लिए नई दिल्ली पड़ोसी इस्लामाबाद पर नए सिरे से दबाव बढ़ा रहा है.
दवाब के माहौल में पाकिस्तान ने दो आतंकवादी संगठनों पर बैन भी लगाया है. ये वही आतंकवादी संगठन हैं, जिनके तार 2008 के मुंबई आतंकी हमले से जुड़े हैं. पाकिस्तान के आंतरिक मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इन्सानियत फाउंडेशन को आतंकवादी संगठन माना जाएगा और बताया कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने अधिकारियों से कहा है कि इन संगठनों को रोकने के लिए तेजी से कदम उठाए जाए. बयान में और कोई जानकारी नही दी गई.
मुंबई हमले में 166 लोग मारे गए थे और इस हमले ने भारत और पाकिस्तान को युद्ध की कगार पर ला दिया था. ये सारे कदम दक्षिण एशिया में बढ़ते हुए तनाव की वजह से लिए गए हैं. वाशिंगटन और नई दिल्ली लंबे समय से पाकिस्तान से लश्कर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए आग्रह कर रहे है. लश्कर को 2002 में इस्लामाबाद ने प्रतिबंधित कर दिया था, लेकिन लश्कर ने खुद को जमात उद दावा और एफआईएफ के रूप में फिर से लांच किया है. दोनों समूहों का कहना है कि वे दानी संस्था है और उग्रवादियों से उनका कोई संपर्क नही है. अमेरिका ने जमात उद दावा नेता हाफिज सईद पर एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा है लेकिन इसके बावजूद वे पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर स्वतंत्र रूप से काम कर रहा है. हाफिज सईद ने मुंबई हमलों में शामिल होने से भी इनकार किया है.
एनआर/आरपी (रॉयटर्स, एएफपी)