आग, तूफान और भूकंप से लड़ने वाले घर
बर्फीले माहौल में रहने वाले एस्कीमो लोगों के गोल गोल घर याद हैं आपको? भारत और थाइलैंड के बाद अब इंडोनेशिया में भी ऐसे घर बड़े मददगार साबित हो रहे हैं.
इंडोनेशिया का एस्कीमो विलेज
इंडोनेशिया में नगेलेपेन गांव को 2006 के भूकंप के बाद खास अंदाज में बसाया गया. गरीब तबके के लिए वहां सस्ते और सुरक्षित घर बनाए गए.
आपदा के बाद
मई 2006 में 5.9 तीव्रता के भूकंप के बाद बांतुल इलाके में बड़ा भूस्खलन हुआ. दासुन सेनगिर नगेलेपेर गांव पूरी तरह जमींदोज हो गया. साल भर बाद वहां नई बस्ती बसाई गई.
साझा वित्तीय मदद
अप्रैल 2007 में बस्ती का उद्घाटन किया गया. अमेरिका और दुबई समेत कई देशों की गैर सरकारी संगठनों ने वित्तीय मदद दी. सारे मकान 5.3 करोड़ रुपये की मदद से बनाये गए.
गुंबदनुमा छत
भूकंप को झेलने के बाद ये घर खास डियाजन में बनाए गए. इनकी गुंबदाकार छत भूकंप के झटके बर्दाश्त कर सकती है. हर घर का व्यास सात मीटर और ऊंचाई 4.6 मीटर है.
आग और तूफान से भी सुरक्षा
छोटे दिखते इन घरों के भीतर दो मंजिलें हैं. गर्मियों में घर ठंडा और बरसात में गर्म रहता है. भूकंपरोधी होने के साथ साथ यह घर आग और तूफानरोधी भी हैं. इनकी 20 सेंटीमीटर मोटी नींव में 200 लोहे के फ्रेम हैं.
एक जैसी बस्ती
बस्ती के 70 से ज्यादा घर एक जैसे हैं. ज्यादातर घरों में चार लोगों का परिवार रहता है. हर घर में दो दरवाजे, चार खिड़कियां और दो बेडरूम हैं. किचन, लिविंग रूम और बाथरूम अलग से हैं. सामने बच्चों के खेलने के लिए जगह भी है.
पटरी पर लौटी जिंदगी
गांव की ज्यादातर आबादी खेती से जुड़ी है. पक्की छत मिलने के बाद लोग फिर से अपने कामकाज के आदी हो चुके हैं.
सारी सुविधाएं
इस बस्ती में पॉलीक्लीनिक, स्कूल और सामुदायिक केंद्र जैसी दूसरी सुविधाएं भी हैं. बच्चों के खेलने के लिए भी पर्याप्त जगह है.
पूजास्थल
गांव में पूजा करने के लिए भी एक इमारत बनाई गई है.
पर्यटक केंद्र
घरों की विशेष बनावट के कारण अब यहां पर्यटक भी पहुंचने लगे हैं. थाइलैंड और भारत में भी ऐसे प्रयोग सफल रहे हैं रिपोर्ट: आयु पूर्वानिंगसिह