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आखिरी चरण से पहले बंगाल में तेज होती हिंसा

प्रभाकर मणि तिवारी
१५ मई २०१९

पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनावों के हर चरण के साथ राजनीतिक हिंसा लगातार तेज हो रही है. यहां पहले चरण से जारी हिंसा अब रविवार को होने वाले आखिरी चरण से पहले चरम पर पहुंचने लगी है.

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Indien Kalkutta Wahlkampf | Amit Shah
तस्वीर: DW/P. Mani Tiwari

यह अलग बात है कि अपनी सांगठनिक मजबूती और खासकर ग्रामीण इलाकों में पैठ की वजह से तृणमूल कांग्रेस ज्यादातर जगह बीजेपी पर बीस साबित होती रही है. आखिरी चरण से पहले मंगलवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के जरिए पार्टी ने अपनी ताकत दिखाने की योजना बनाई थी. लेकिन इस दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा, हंगामे और आगजनी की वजह से रोड शो को बीच में ही खत्म करना पड़ा. दोनों दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी तेज हो गया है.

हिंसा का दौर

पश्चिम बगाल में लगातार तेज क्यों हो रही है हिंसा ? दरअसल, इस सवाल का जवाब बंगाल की चुनावी संस्कृति में छिपा है. यहां जब-जब किसी सत्तारुढ़ पार्टी को विपक्ष से मजबूती चुनौती मिली है तब-तब चुनावी हिंसा बढ़ती रही है. बंगाल में इस बार बीजेपी ने लोकसभा की 42 में से 23 सीटें जीतने का लक्ष्य तय कर जिस कदर अपनी पूरी ताकत झोंकी है उससे सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस का भी आत्मविश्वास डगमगा गया है. हिंसा की मूल वजह भी यही है.

Indien Kalkutta Wahlkampf | Mamta Banerjee
तस्वीर: DW/P. Mani Tiwari

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बंगाल में एक दर्जन रैलियां कर चुके हैं और ममता बनर्जी के साथ उनका वाद-विवाद काफी निचले स्तर तक पहुंच चुका है. अब आखिरी दौर से पहले बुधवार को दक्षिण 24-परगना जिले के डायमंड हार्बर में भी मोदी ने एक रैली को संबोधित किया है. अमित शाह, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी विभिन्न इलाको में दर्जनों रैलियां कर चुके हैं. बंगाल में अबकी ज्यादातर सीटों पर तृणमूल और बीजेपी के बीच सीधा टकराव है.

कांग्रेस तो पहले से ही राजनीतिक हाशिए पर थी. साढ़े तीन दशक तक बंगाल पर राज करने वाले सीपीएम का भी इन चुनावों में कहीं कोई नामलेवा नहीं नजर आ रहा है. यह दोनों दल अबकी तृणमूल और बीजेपी के मुकाबले को दिलचस्पी से देखते हुए बिल्ली के भाग्य से छींका टूटने की उम्मीद लगाए बैठे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह अपनी रैलियों में दावा करते रहे हैं कि हार के डर से दीदी बौखला गई हैं और उसी बौखलाहट में तृणमूल के लोग बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमले कर रहे हैं. मौजूदा चुनावों के दौरान राज्य में अब तक हिंसा में कम से कम चार लोगों की मौत हो चुकी है. घायलों की तादाद तो दर्जनों में हैं. अबकी रिकार्ड तादाद में केंद्रीय बलों की तैनाती के बावजूद हिंसा पर अंकुश नहीं लगाया जा सका है.

Indien Kalkutta Wahlkampf
तस्वीर: DW/P. Mani Tiwari

दूसरी ओर, मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस अद्यक्ष ममता बनर्जी बीजेपी पर धार्मिक आधार पर लोगों को बांटने का आरोप लगाती हैं, ममता कहती हैं, "बंगाल के लोग बेहद जागरुक हैं. बीजेपी की अलगाववादी नीतियों का यहां कोई असर नहीं होगा. लोग उसका खेल समझ चुके हैं.”

ताजा मामला

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने आखिरी चरण के मतदान से पहले मंगलवार शाम को कोलकाता के शहीद मीनार इलाके से उत्तर कोलकाता स्थित स्वामी विवेकानंद के पैतृक आवास तक रोड शो करने का फैसला किया था. पुलिस की ओर से रोड शो के रास्ते पर लगे मोदी और शाह के बैनरों और कटआउटों को हटाने की वजह से विवाद शुरू हो गया. उसके बाद भी रोड शो में भारी भीड़ जुटने की वजह से कालेज स्ट्रीट के पास तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद के कार्यकर्ताओं ने "अमित शाह गो बैक” के नारे लगाते हुए उनको काले झंडे दिखाए. उसी इलाके में कलकत्ता विश्वविद्यालय के साथ प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय और विद्यासागर कालेज भी है.

तृणमूल के छात्रों ने कथित रूप से शाह के वाहन पर पथराव किया और डंडे फेंके. उसके बाद कालेज के अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं ने भी जवाबी हमला किया और कुछ देर में ही वहां युद्धभूमि का नजारा पैदा हो गया. एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने विद्यासागर कालेज के भीतर घुस कर तोड़-फोड़ की. उसी दौरान वहां रखी विद्यासागर की एक प्रतिमा भी तोड़ दी गई. उनलोगों ने कालेज के बाहर कुछ मोटरसाइकिलों में भी आग लगा दी.

West Bengal Kalkutta
तस्वीर: DW/P. Samanta

हिंसा पर उतारू छात्रों पर काबू पाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. उसके बाद सुरक्षा के लिहाज से शाह को अपना रोड शो वहीं खत्म कर देना पड़ा. शाह ने पत्रकारों से कहा, "तृणमूल कांग्रेस के गुंडों ने जान-बूझ कर हिंसा की. उनका मकसद मुझे भगदड़ में कुचल कर मारना था.”

दूसरी ओर, ममता ने इस मुद्दे को लपकते हुए बीजेपी पर महापुरुषों के अपमान का आरोप लगा दिया और कहा कि चुनावों में राज्य के लोग इसका करारा जवाब देंगे. ममता ने शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के साथ रात को ही कालेज का दौरा किया.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि आखिरी दौर में कोलकाता और आसपास के जिन इलाकों में मतदान होना है उनको तृणमूल का गढ़ माना जाता है. पिछली बार यह तमाम सीटें उसी को मिली थीं. लेकिन अबकी बीजेपी उसके इस गढ़ में सेंध लगाने का प्रयास कर रही है. उसे खासकर हिंदीभाषियों की ज्यादा आबादी वाले कोलकाता उत्तर और बांग्लादेश सीमा से लगी बशीरहाट सीट पर जीत की उम्मीद है. इसके लिए उसने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम और नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजंस को मुद्दा बनाया है.

 ममता बीजेपी, कांग्रेस और सीपीएम में मिलीभगत का आरोप लगाते हुए लोगों से तमाम सीटों पर तृणमूल की जीत सुनिश्चित करने की अपील कर रही हैं ताकि चुनावों के बाद केंद्र की अगली सरकार के गठन में पार्टी की भूमिका निर्णायक हो. राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर सुब्रत सेन कहते हैं, "आखिरी दौर की सीटों पर जीत से यह मजबूत संदेश जाएगा कि पार्टी ग्रामीण इलाकों के साथ शहरी इलाकों में भी पैठ बना चुकी है. इसलिए दोनों में से कोई भी दावेदार जीत के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते. ऐसे में आखिरी चरण के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा के अंदेशे से इंकार नहीं किया जा सकता.”

रिपोर्टःप्रभाकर, कोलकाता

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