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आतंकवाद

आईएस के सदस्यों के साथ क्या सलूक किया जाए?

२८ मार्च २०१८

बर्बर तरीके से लोगों की जान लेने में वो जरा भी नहीं हिचके. जिस सिस्टम को वो नापंसद करते थे, अब उसी सिस्टम से रहमदिली की उम्मीद कर रहे हैं. लेकिन सिस्टम परेशान है.

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ISIS / Mossul / Kämpfer
तस्वीर: Reuters

युद्ध के दौरान इस्लामिक स्टेट के सफाए के बहुत कोशिशें हुईं, लेकिन सैकड़ों लड़ाके फिर भी बच गए. इनमें से कई यूरोपीय संघ के नागरिक हैं. कइयों को इराकी प्रशासन या सीरिया के उग्रवादी संगठनों ने हिरासत में रखा है. कई यूरोपीय देश बिल्कुल भी नहीं चाहते कि इस्लामिक स्टेट के लिए लड़ने वाले उनके ये नागरिक वापस यूरोप लौटें.

इस्लामिक स्टेट के पैर उखाड़ने में इराक की मदद करने वाले यूरोपीय नेता, जिहादियों को इराकी न्याय तंत्र के सहारे सजा दिलवाने में राहत महसूस कर रहे हैं. इराक सरकार का कहना है कि इस्लामिक स्टेट के लिए सक्रिय रूप से लड़ने या अहम भूमिका निभाने वालों को ही मौत की सजा दी जाएगी.

यूरोपीय संघ बहुत ही मुखर होकर दुनिया भर में मौत की सजा का विरोध करता रहा है. यूरोपीय संघ ने इराक के पूर्व शासक सद्दाम हुसैन को फांसी दिए जाने का भी विरोध किया था. लेकिन अब यूरोपीय संघ इराक और सीरिया में पकड़े गए अपने ही नागरिकों के भविष्य पर चुप्पी साधे हुए है.

सजा ए मौत की आउटसोर्सिंग

जिहादी गतिविधियों पर नजर रखने वाले बेल्जियम के विशेषज्ञ पीटर फान ओस्टाआयेन यूरोपीय संघ की दुविधा से वाकिफ हैं, वह सवाल करते हैं, "क्या हम इराक के सहारे मौत की सजा की आउटसोर्सिंग कर रहे हैं? यह एक नैतिक सवाल है. लेकिन इस दौरान हमें यह भी ध्यान में रखना होगा कि ये जो लोग पकड़े गए हैं, उन्हें वापस लौटकर फिर से हमारे समाज में फिट बैठना होगा और यह देखना होगा कि हम उनके साथ क्या करेंगे?"

एक जर्मन महिला को तो इराकी अदालत मौत की सजा सुना चुकी है. उसे "संसाधन संबंधी सहयोग मुहैया करने और आपराधिक कृत्यों में आतंकवादी संगठन की मदद करने" का दोषी करार दिया गया. महिला ने अपना अपराध कबूल करते हुए कहा कि वह इस्लामिक स्टेट के इलाके में गई और उसने अपनी दो बेटियों की शादी भी आईएस के लड़ाकों से की. दोषी महिला की मौत की सजा के खिलाफ अपील की जा सकती थी, लेकिन जर्मनी ने ऐसा नहीं किया.

आईएस जिहादी: ना घर के रहे, ना घाट के

आईएस के जर्मन लड़ाके और निराश माता-पिता

सीरिया में कुर्द संगठन इस्लामिक स्टेट से जुड़े लोगों पर कार्रवाई कर रहे हैं. कुछ कुर्द कार्यकर्ता और उनके अमेरिकी साझेदार यूरोपीय संघ के देशों पर अपने नागरिकों को वापस लेने का दबाव डाल रहे हैं. इसके चलते यूरोपीय संघ चिंता में है. एगमॉन्ट इंस्टीट्यूट के आतंकवाद विशेषज्ञ थोमस रेनार्ड कहते हैं, "यूरोपीय सरकारों के लिए हालात बहुत असहज हो गए हैं. इस बात का डर है कि किसी बिंदु पर आकर कुर्द दबाव बढ़ा देंगे." कैदियों की रिहाई की चेतावनी देते हुए कुर्द राजनीतिक मांगें मनवाने की कोशिश करेंगे. हो सकता है कि वो कुछ कैदियों को रिहा भी कर दें.

उसूलों में उलझा यूरोप

यूरोप को यह चिंता यूं ही नहीं है. यूरोपीय न्यायिक तंत्र में लचीलापन है, जिसके चलते आतंकवादी देर सबेर रिहा हो ही जाएंगे. फ्रांस की एक महिला का उदाहरण देते हुए रेनार्ड कहते हैं, उसे इराक में आतंकवादी अपराधों का दोषी करार दिया गया और कुछ महीने की सजा दी गई. सजा के बाद उसे फिर यूरोप लौटने के लिए रिहा कर दिया गया. रेनार्ड के मुताबिक अब उस महिला को दोबारा न्याय के कठघरे में नहीं लाया जा सकता क्योंकि वह अपने अपराध के लिए सजा भुगत चुकी है, "यूरोपीय प्रशासन के लिए यह चुनौती है. अगर हम इराकी प्रशासन को नेतृत्व सौंपने का फैसला करेंगे तो हमें वहां दी जाने वाली सजा को स्वीकार करना होगा, हो सकता है कि कुछ मामलों में हमें यह पसंद न आए."

जर्मनी की 17 साल की किशोरी लिंडा के मामले में जर्मन अधिकारियों ने दखल दिया. इस्लामिक स्टेट के लड़ाके से शादी करने वाली लिंडा को आजीवन कैद की सजा दी गई. इराकी अधिकारियों के मुताबिक उम्र कम होने की वजह से उसे मौत की सजा नहीं दी गई. लिंडा जर्मनी लौटना चाहती है. ज्यादातर यूरोपीय देश ऐसे दोषियों को पुलिस की सुरक्षा में वापस ला रहे हैं. 10 साल से कम उम्र के बच्चों के मामले में यूरोपीय देश ज्यादा परेशान नहीं हैं. ऐसे बच्चों को फिर से समाज में शामिल करने का काम किया जाएगा.

क्या समाज में शामिल हो सकेंगे आईएस लड़ाकों के बच्चे

बेल्जियम की दो महिलाएं भी सीरिया के हिरासत केंद्र में बंद हैं. सीरिया और इराक में इस्लामी खिलाफत का सपना देख चुकी ये महिलाएं अब चाहती हैं कि उन्हें कैद की सजा बेल्जियम में दी जाए ताकि उनके बच्चे वहां स्कूल भी जा सकें. बेल्जियम के न्याय मंत्री ने इस केस के बारे में कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.

ह्यूमन राइट्स वॉच की नदीम हौरी मौत की सजा के मुद्दे पर यूरोपीय संघ की इस चुप्पी की आलोचना कर हैं, "यह यूरोपीय संघ का एक अहम अभियान था. अब इराक के चलते इस मुद्दे की अनदेखी करना लक्ष्यों के प्रति बहुत गलत संदेश भेजेगा और दुनिया के दूसरे हिस्सों से मौत की सजा खत्म करवाने की उनकी कोशिशों को पीछे धकेलेगा."

टेरी शुल्ज/ओएसजे