आइए चलें जर्मनी की लुभावनी गुफाओं में
जर्मनी में गुफाओं की जैसे एक अलग दुनिया ही मौजूद है, जो रहस्मयी भी है और कहीं कहीं तो खतरनाक भी. आइए लिए चलते हैं आपको जमीन के नीच बसे इस अद्भुत लोक की यात्रा पर.
सालफेल्ड की परी गुफाएं
थुरिंगिया के स्लेट पहाड़ों के पास स्थित फिटकरी की एक खदान के लंबे समय तक बंद पड़े रहने के बाद यह गुफा बनी. खनन की वजह से जमीन के नीचे गड्ढे बन गए थे जो धीरे-धीरे स्टैलेक्टाइट की एक रंगीन दुनिया में तब्दील हो गए. इन गुफाओं में भूरे रंग के 100 से भी ज्यादा शेड मौजूद हैं और इन्हें 1993 में गिनीज बुक में "दुनिया में सबसे रंगीन गुफाओं" के नाम से शामिल किया गया था.
लेंगेंस्टाइन के गुफानुमा घर
आज ये लॉर्ड ऑफ द रिंग्स नॉवेल के हॉबिट किरदारों के घरों जैसे लगते हैं, लेकिन यहां वाकई 1916 तक लोग रहा करते थे. असल में इन्हें 19वीं सदी के मध्य में हार्ज पर्वतों के रेतीले पर्वतों में किसान परिवारों ने बनाया था. आज 323 वर्ग फुट के इन घरों में 1916 तक रहने वाले आखिरी व्यक्ति लुडविग श्मिट की कहानी सुनाई जाती है.
बाड सेगेबर्ग की काल्कबर्ग गुफा
चूना पत्थर की यह गुफा उत्तरी जर्मनी की एकमात्र प्राकृतिक गुफा है. यहां तापमान लगभग हमेशा नौ डिग्री सेल्सियस पर रहता है और हवा में काफी नमी रहती है, जिसकी वजह से 30,000 से भी ज्यादा वन्य जीव यहां सर्दियां बिताते हैं. चमगादड़ों के लिए पूरे यूरोप में सर्दियां बिताने के लिए इससे बड़ा प्राकृतिक आसरा नहीं है. इन जीवों के संरक्षण के लिए अक्टूबर से मार्च तक यहां पर्यटकों को आने की अनुमति नहीं दी जाती है.
आटेंडोर्न की ऐटा गुफा
नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया में स्थित यह गुफा जर्मनी की सबसे जानी मानी गुफा है. यह स्टैलैग्माइट और स्टैलेक्टाइट की 6,000 मीटर से भी ज्यादा लंबी एक भूलभुलैया है. 1907 में विस्फोट किए जाने के दौरान इसकी खोज हुई थी और अब जर्मनी में सबसे ज्यादा लोग यहीं आते हैं. इसे प्राकृतिक सौंदर्य के अलावा ऐटा चीज के लिए भी जाना जाता है जो इसके गलियारों में ही बनता है.
एनपेटाल की क्लूटर्ट गुफा
यह भी नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया में ही स्थित है और इसे कभी जर्मनी की सबसे बड़ी गुफा के रूप में जाना जाता था. यह लगभग छह किलोमीटर लंबी है और इसके अंदर 300 से भी ज्यादा गलियारे, जमीन के नीचे बने तालाब और स्रोत हैं. रोमांच प्रेमियों के लिए फ्लैशलाइट सैर आयोजित की जाती है. इसमें तापमान स्थायी रूप से 10 डिग्री पर रहता है, जिसकी वजह से दमे के मरीजों के लिए यह गुफा एक स्पा का भी काम करती है.
हैम्बर्ग की श्लॉसबर्ग कासल गुफाएं
ये प्राकृतिक गुफाएं नहीं है. इनका निर्माण यहां लाल रेतीले पत्थर की खनन की वजह से हुआ. हालांकि इनकी शुरुआत की कहानी शुरुआती मध्य युग तक जाती है. उस समय श्लॉसबर्ग कासल पर्वत के ऊपर बने होहेनबर्ग कासल तक पहुंचने के लिए गुप्त गलियारे बनाए गए थे.
फ्रांकोनियन स्विट्जरलैंड की सोफियेन गुफा
यहां हिम युग के कई वन्य जीवों की हड्डियां मिली हैं. इनमें गुफाओं में रहने वाला भालू "बेनो" भी शामिल है, जिसका कंकाल यहां प्रदर्शित किया गया है. इन पहाड़ों में मिली हड्डियों के 60,000 साल तक पुरानी होने का अनुमान लगाया जाता है. आज यहां कई आयोजन किए जाते हैं, जिनमें कंसर्ट भी शामिल हैं.
ऊंटर्सबर्ग की राइसेंडिंग गुफा
बर्कटेसगाडेन ऐल्प्स के ऊंटर्सबर्ग में स्थित यह गुफा जर्मनी की सबसे लंबी (22.6 किलोमीटर) और गहरी (1,149 मीटर) गुफा है. इसमें झरने भी हैं और एक 30 मीटर लंबी झील भी. 2014 में एक बचाव अभियान के बाद इसे पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया, और अब यहां सिर्फ वैज्ञानिकों को जाने की अनुमति है.
शेलेनबर्ग की बर्फीली गुफा
यह भी ऊंटर्सबर्ग में ही है और यह जर्मनी की इकलौती ऐसी बर्फीली गुफा है जहां तक पहुंचा जा सकता है. यह 1,570 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और इसके अंदर करीब 60,000 क्यूबिक मीटर बर्फ भरी हुई है. यह बर्फ करीब 30 मीटर मोटी है और इसका अधिकांश हिस्सा करीब 3,000 साल पुराना है. अभी तक इसके अंदर 3,261 मीटर तक ही पहुंचा जा सका है, जिसमें से पर्यटक सिर्फ 500 मीटर तक जा सकते हैं. (सोफी डिस्सेमोंड)