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समाज

आंखों की जांच से लेकर मलेरिया का पता लगाते स्मार्टफोन

१८ फ़रवरी २०१९

अब तक आपने स्मार्टफोन से सेहत पर पड़ने वाले बुरे असर को लेकर तमाम बातें सुनी होगी. लेकिन अब स्मार्टफोन के जरिए आप आंखों की जांच के साथ-साथ मलेरिया का पता भी लगा सकते हैं. जानिए कैसे?

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Älterer Herr bedient ein Smartphone
तस्वीर: picture-alliance/imagebroker/T. Born

जब भी लोग स्मार्टफोन की बात करते हैं तो अकसर इसके खराब इस्तेमाल पर जोर देते हैं. कोई स्मार्टफोन की लत कहता है तो कोई आंखों के खराब होने जैसे जुमले दोहराता है. ऐसे में अगर आपको इसकी अच्छी बातों के बारे में बताया जाए तो क्या आप इस्तेमाल बढ़ा देंगे? जी हां, कुछ स्मार्टफोन तकनीकें अब यह साबित कर रही हैं कि उनका इस्तेमाल जटिल मेडिकल परीक्षणों में किया जा सकता है. मसलन आंखों की जांच हो या मलेरिया जैसी बीमारी का पता लगाना हो स्मार्टफोन हर जगह अपना दखल बढ़ा रहा है. 

आंखों की जांच

आंखों की जांच के लिए अस्पतालों में डॉक्टर बड़ी महंगी-महंगी मशीनों का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन पिछले कई सालों से रिसर्चर इन मशीनों की जगह स्मार्टफोन कैमरों को लाने की कोशिश कर रहे थे. वह भी ऐसी जगहों पर जहां यह मशीनें उपलब्ध नहीं हैं. इसमें अब वैज्ञानिकों को कुछ सफलता जरूर मिली है. अब खास उपकरणों की मदद से वैज्ञानिकों के लिए स्मार्टफोन कैमरे का इस्तेमाल कर इंसानों की आंख के पीछे की तस्वीरें लेना संभव हो गया है.

हाल में जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ बॉन के आई-क्लीनिक और भारत में बेंगलुरु स्थित शंकर आई सेंटर के एक समूह ने ऐसी ही तकनीक का बेंगलुरु में पायलट परीक्षण किया. इस परीक्षण में तकरीबन 200 मरीजों की जांच की गई. ये मरीज डायबिटीज से पीड़ित थे और इनमें डायबिटिक रेटिनोपेथी जैसी बीमारी की संभावना अधिक थी. डायबिटिक रेटिनोपेथी, आंखों में होने वाली एक ऐसी बीमारी होती है जिसका अगर समय से इलाज नहीं किया जाए तो मरीज अंधा भी हो सकता है. इस जांच में हर पांच में से एक मरीज के भीतर इस बीमारी के लक्षण नजर आए. 

पारंपरिक रूप से इस बीमारी की जांच में उपयोग होने वाले कैमरे की कीमत कई हजारों में होती है, लेकिन भारतीय नेत्र विशेषज्ञों ने एक एलईडी लाइट, बैटरी और चिपकाने वाले टेप की मदद से महज 50 रुपये की लागत वाला तरीका ईजाद कर लिया है. हालांकि शोधकर्ता यह भी मानते हैं कि स्मार्टफोन से मिलने वाली रिकॉर्डिंग और पारंपरिक मशीनों से होने वाली जांच की तुलना नहीं की जा सकती. लेकिन इन सब के बावजूद भी स्मार्टफोन तकनीक सस्ती है और लोगों की पहुंच में हैं.

फोन में माइक्रोस्कोप

जिसने भी माइक्रोस्कोप को देखा होगा वह यह शायद ही कभी मानेगा कि मोबाइल फोन कभी इसका विकल्प साबित हो सकते हैं, लेकिन अब ऐसा संभव है. अफ्रीका के सुदूर अंदरुनी इलाकों में मिनी मोबाइल लैब तैयार की गई हैं जिनका प्रयोग मलेरिया और अन्य संक्रामक रोगों की जांच के लिए किया जा रहा है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, स्मार्टफोन के भीतर माइक्रोस्कोप की तरह काम करने जैसा सब कुछ है. लेंस और कैमरा सेंसर स्मार्टफोन में बिल्कुल माइक्रोस्कोप की तरह लगे होते हैं जिससे आप इमेज को बड़ा करके या अधिक रोशनी में देख सकते हैं.

Smartphone Handy Telefon
तस्वीर: picture alliance / dpa Themendienst

हालांकि गुणवत्ता के मामले में स्मार्टफोन में तमाम अंतर हैं लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि थोड़ी बहुत इंजीनियरिंग के दम पर स्मार्टफोन का माइक्रोस्कोप की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. मसलन 3डी प्रिंट क्लिप ऑन डिवाइस स्मार्टफोन को माइक्रोस्कोप में तब्दील कर सकता है, वह भी बिना किसी प्रिज्म या लेंस की मदद से.

अफीम से बचाना

ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ स्मार्टफोन कैमरे ही स्वास्थ्य और सेहत के क्षेत्र में कमाल कर रहे हैं. वैज्ञानिक मोबाइल फोन में मौजूद सोनार तकनीक की मदद से लोगों को अफीम की लत से छुटकारा दिला रहे हैं. सोनार तकनीक में ध्वनि तरंगों की मदद से एक निश्चित दूरी पर स्थित वस्तु तक पहुंचा जा सकता है. वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर वैज्ञानिकों ने 'सेंकड चांस' नाम का एक ऐप तैयार किया है जो इंसान के सांस लेने के पैटर्न की निगरानी करता है.

यह सोनार साउंड पर काम करता है जो सांस लेने के तरीके को एक मीटर दूर से समझ लेता है. अगर अफीम लेने वाले व्यक्ति के सांस लेने का पैटर्न बदलता है तो यह अलार्म बजा देता है. ऐसे में अगर मोबाइल यूजर कुछ भी रिस्पांस नहीं देता तो इमरजेंसी सर्विसों को कॉल चला जाता है. 

दुनिया भर में तकरीबन 39 फीसदी लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं. वहीं विकासशील देशों की तकरीबन 50 फीसदी आबादी के हाथों में स्मार्टफोन पहुंच गए हैं. ऐसे में यह तो माना ही जा सकता है कि हर दिन ईजाद होती नई तकनीकों में स्वास्थ्य सेवा को बदलने की क्षमता है. खासकर ग्रामीण और गरीब क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए ये नये बदलाव ला सकती हैं.  

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