अहम है जर्मन राष्ट्रपति का भारत दौरा
२२ मार्च २०१८जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर आज से अपना भारत दौरा शुरू करने जा रहे हैं. राष्ट्रपति की पांच दिनों की भारत यात्रा दोनों देशों के बीच आर्थिक और रणनीतिक संबंधों के लिहाज से अहम मानी जा रही है. यूरोप में जर्मनी, भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है. भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा कि जर्मन राष्ट्रपति की यह यात्रा दोनों देशों के बीच दि्वपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और सहयोग बढ़ाने के लिहाज से अहम साबित होगी. एक अधिकारी के मुताबिक, "जर्मनी और भारत जानते हैं कि दोनों देश आपसी संबंधों को और भी बेहतर कर सकते हैं. क्योंकि जर्मनी न सिर्फ आर्थिक रूप से मजबूत देश है बल्कि यूरोपीय संघ की नीतियों में भी इसका खासा दखल है." अपनी इस यात्रा में श्टाइनमायर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उप राष्ट्रपति वेकैंया नायडू, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज समेत अन्य उच्च अधिकारियों से मुलाकात करेंगे. श्टाइनमायर प्रधानमंत्री मोदी के ससंदीय क्षेत्र वाराणसी का भी दौरा करेंगे. इसके अलावा वह चेन्नई भी जाएंगे. चेन्नई, भारत में जर्मन कारोबारियों का बड़ा हब है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने टि्वीट कर जर्मन राष्ट्रपति श्टाइनमायर के भारत पहुंचने की जानकारी दी. ट्वीट में कहा गया है केंद्रीय मंत्री एसएस आहूवालिया ने एयरपोर्ट पर फूलों का गुलदस्ता देकर उनका स्वागत किया. श्टाइनमायर के साथ उनकी पत्नी और एक प्रतिनिधिमंडल भी भारत आया है.
भारत-जर्मनी सहयोग
पूर्व राजनयिक जी पार्थसारथी के मुताबिक, "ब्रेक्जिट के बाद फ्रांस और जर्मनी की भूमिका यूरोपीय संघ की राजनीति में बढ़ जाएगी. इस लिहाज से यह दौरा अहम है." कुछ दिनों पहले फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने भी भारत का दौरा किया था. सेंटर फॉर यूरोपियन स्टडीज के प्रोफेसर राजेंद्र जैन के मुताबिक, "दुनिया में अपनी आर्थिक और रणनीतिक भूमिका के चलते जर्मनी, भारत की विदेश नीति के लिहाज से निर्णायक है. भारत चाहता है कि जर्मनी देश के बुनियादी ढांचे, अक्षय ऊर्जा परियोजानाओं समेत कौशल विकास और जल प्रबंधन जैसे कार्यक्रमों में निवेश करे."
दि्वपक्षीय कारोबार
दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ रहा है. साल 2016-17 के दौरान दोनों देशों के बीच हुए कारोबार का कुल टर्नओवर करीब 18.76 अरब डॉलर का है. इसमें भारत से निर्यात किए गए उत्पादों की कीमत 7.18 अरब डॉलर है तो वहीं जर्मनी से भारत को आयातित उत्पाद 11.58 अरब डॉलर के थे.
साल 2010 के बाद से लेकर अब तक भारतीय कंपनियां जर्मनी में 140 परियोजाओं में निवेश कर चुकी हैं. वहीं जर्मनी ने भी भारत के परिवहन, मैटालर्जी, रसायन, ऑटो, बुनियादी निर्माण और सेवा क्षेत्रों में निवेश किया है. जर्मनी की ऑटो कंपनियां मसलन बीएमडब्ल्यू, फोल्क्सवागेन भी अब भारत के बाजारों में काफी लोकप्रिय हो गई हैं और इनकी उत्पादन इकाइयां भी वहां काम कर रही हैं. इसके अलावा जर्मनी ने भारत की सबसे बड़ी नदी गंगा की सफाई के लिए चलाए जा रहे राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन भारत और जर्मनी को करीब लाता "मेक इन इंडिया" में निवेश किया है. जर्मन सरकार ने इस कार्यक्रम के तहत डाटा मैनेंजमेंट और क्षमता निर्माण के लिए भारत सरकार को 30 लाख यूरो देने की प्रतिबद्धता जताई है.