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समाज

अस्पताल पर मुर्दों का सौदा करने के आरोप

२ जनवरी २०१९

पिता के सामने अपने ही बेटे का शव था. लेकिन उस शव को ले जाने के लिए उसे मोटी रकम चुकानी थी. सूनामी के बाद इंडोनेशिया के एक अस्पताल पर मुर्दों का सौदा करने के आरोप लग रहे हैं.

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Indonesien  -  - Bezirkskrankenhaus in Pandeglang
तस्वीर: DW/J. Küng

जैक्सन सिनागा रुआंसे होकर इंडोनेशिया के सेरांग जिला अस्पताल में पहुंचे. क्रिसमस से ठीक पहले अनाक क्राकातोआ ज्वालामुखी फटा और ध्वस्त हुआ. उसके चलते आए सूनामी से बातेन प्रांत के तटीय इलाके में भारी तबाही मचाई. 400 लोग मारे गए. जैक्सन का आठ महीने का बच्चा भी उन्हीं लहरों में समा गया. जैक्सन कहते हैं, "सब कुछ इतनी तेजी से हुआ कि मुझे अपने छोटे से बेटे को बचाने का समय ही नहीं मिला."

अब लाचारगी की भावना जैक्सन को परेशान कर रही है. लेकिन अस्पताल प्रशासन के रवैये ने जैक्सन को कहीं ज्यादा व्यथित किया है. जैक्सन जब जिला अस्पताल में अपने बच्चे का शव लेने पहुंचे तो उन्हें किसी तरह की हमदर्दी नहीं दिखाई पड़ी. अस्पताल ने उन्हें आठ लाख रुपिया (इंडोनेशियाई मुद्रा) का बिल थमा दिया. जैक्सन ने पैसे चुकाए और बच्चे के शव को सीने से चिपटाए हुए अस्पताल से बाहर निकले.

बाहर जैक्सन की मुलाकात तीन और ऐसे पीड़ित परिवारों से हुईं, जिन्हें 40 लाख रुपिया चुकाना था. इंडोनेशिया के स्वास्थ्य मंत्रालय ने सूनामी आपदा से जुड़े सभी पीड़ितों के बिल चुकाने का एलान किया है. इसके बावजूद अस्पताल, एंबुलेंस और शव वाहन सेवाएं पीड़ितों से खूब पैसा वसूल रही हैं.

डॉयचे वेले के पत्रकार आरोपों से घिरे एक अस्पताल में पहुंचे. हॉस्पिटल के डिप्टी डायरेक्टर रहमत फितरिआदी ने उनसे बात भी की. जब उन्हें इस गैरकानूनी भुगतान के बारे में बताया गया तो फितरिआदी की आंखों में आंसू आ गए. वह कहने लगे, "न तो अस्पताल प्रशासन ने, न ही किसी डॉक्टर ने किसी भी सेवा के लिए कोई शुल्क लिया है."

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रिश्वत से परेशान पीड़ित परिवारतस्वीर: DW/J. Küng

फितरिआदी को ऑफिशियल लेटरहेड वाली रसीदें भी दिखाई गईं, तब जाकर पता चला कि ये सब फर्जी हैं. फितरिआदी कहते हैं, "यह हमारे अस्पताल के लिए बेहद दुखद है. मुझे उम्मीद है कि इस कांड से हमारी प्रतिष्ठा खराब न हो. हम जांच अधिकारियों से सहयोग करेंगे और हर उपलब्ध सूचना उनके साथ साझा करेंगे."

बातेन प्रांत की पुलिस ने डॉक्टरों, फॉरेंसिक साइंटिस्टों और अस्पताल के कर्मचारियों से पूछताछ की और मामला उजागर होने लगा. ऐसा अनुमान है कि आपदा के बाद अस्पताल के कर्मचारियों की जेब में 1.5 करोड़ रुपिया पहुंचा. फर्जीवाड़े का शिकार होने वाले छह परिवारों की पहचान हो चुकी है. इमरजेंसी सर्विस के दो और फॉरेंसिंक डिपार्टमेंट के एक कर्मचारी की गिरफ्तारी हुई. उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं.

इंडोनेशिया में सरकारी दफ्तरों में रिश्वतखोरी और फर्जी रसीदें जारी करना कोई नई बात नहीं है. समय पर ड्राइविंग लाइसेंस पाने के लिए भी "एक्स्ट्रा पेमेंट" करनी पड़ती है. परीक्षा के दौरान उत्तर बताने के लिए पब्लिक स्कूल के टीचरों को रिश्वत भी दी जा सकती है. राष्ट्रपति जोको विडोडो बार बार भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के एलान कर चुके हैं. लेकिन सूनामी जैसी आपदा के पीड़ितों से रिश्वत लेने की घटनाएं बताती हैं कि राष्ट्रपति के वादे कितने असरदार साबित हुए हैं.

अस्पताल के कर्मचारियों पर अगर भ्रष्टाचार के आरोप सही साबित हुए तो उन्हें चार साल की कैद हो सकती है. लेकिन जैक्सन सिनागा को अब इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है. वह कहते हैं, "मैं सिर्फ यही उम्मीद करता हूं कि जिंदा बचे परिजनों को अब इस कपट और असंवेदनशीलता का सामना न करना पड़ा." जैक्सन अब सूनामी में बुरी तरह घायल अपने भाई बहन को इलाज के लिए जकार्ता ले आए हैं. अपने इलाके के अस्पताल से उनका मन खट्टा हो चुका है.

(सूनामी से टकराएंगी विशाल दीवारें)

यूलियान कून्ग/ओएसजे