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असम के बाद दक्षिण भारत में तनाव

१६ अगस्त २०१२

पूर्वोत्तर भारतीय राज्य असम में मार काट के बाद दक्षिणी राज्यों में भी तनाव फैल गया है. कर्नाटक के कई छात्र वहां से भाग रहे हैं. मुंबई और पुणे में भी तनाव.

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तस्वीर: Reuters

पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों के छात्र दक्षिणी शहर छोड़कर भाग रहे हैं. प्रशासन सिर्फ सख्त कदम उठाने की चेतावनी दे रहा है. गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कई दिनों की हिंसा के बाद पहला बयान दिया है. उन्होंने कहा, "जो लोग अफवाह फैला रहे हैं उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी." हालांकि अफवाह फैलाने वालों के बारे में सरकार अब तक कोई पता नहीं लगा पाई है.
मुंबई और दक्षिण भारतीय राज्यों में अचानक एसएमएस से भड़काऊ बातें लोगों तक पहुंचाने की रिपोर्टें हैं, जिसके बाद ज्यादा लोग वहां से भाग रहे हैं. केंद्र सरकार और राज्य पुलिस ने लोगों से संयम बनाए रखने की अपील की है और कहा है कि पूर्वोत्तर के लोग पूरे भारत में हर जगह सुरक्षित हैं.
बैंगलोर-हैदराबाद से पलायन
बैंगलोर से पूर्वोत्तर के 5,000 छात्रों के भागने की खबर है. हमले के डर से कई छात्रों ने परीक्षा तक छोड़ दी. रेलवे स्टेशन पर अचानक उमड़ी भीड़ से निपटने के लिए अतिरिक्त ट्रेनों की व्यवस्था की गई. बैंगलोर के पुलिस कमिश्नर विंसेन्ट डिसूजा ने हालांकि दावा किया है, "हम लोग छात्रों को और पूर्वोत्तर के दूसरे लोगों को भरोसा दिला रहे हैं कि वो लोग कर्नाटक में सुरक्षित हैं. उत्तर पूर्व के लोगों पर किसी भी प्रकार के हमले की घटना नहीं हुई है."
एक अनुमान के मुताबिक अकेले कर्नाटक में ही उत्तर पूर्व के करीब दो लाख लोग रहते हैं. काम और रोजगार की तलाश में ये यहां आते हैं लेकिन अलग शक्ल और रूप रंग की वजह से इन्हें अकसर भेदभाव का शिकार होना पड़ता है.
मुंबई-पुणे में तनाव
महाराष्ट्र के मुख्य शहर पुणे में पूर्वोत्तर के लोगों के साथ मारपीट की घटना सामने आई है. मारपीट करने वाले कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया गया है. नाम न छापने की शर्त पर पुणे में रह रहे एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने बताया, "शहर का माहौल तनावग्रस्त है. हालांकि कोई बड़ी हिंसक घटना नहीं हुई है. लेकिन पूर्वोत्तर के लोगों के साथ मारपीट हुई है. शनिवार की रात पुणे में प्रेमानंद खोमड्राम नाम के शख्स पर हमला किया गया. इसके बाद से वह डरा हुआ था और अब वापस घर चला गया है."
भारत की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई भी असम दंगों की आग से अछूती नहीं है. कुछ ही दिन पहले यहां आजाद मैदान में रजा फाउंडेशन की ओर से असम दंगों के खिलाफ एक प्रदर्शन किया गया. इस दौरान भी हिंसा भड़क उठी. मीडिया के लोगों के साथ मारपीट हुई और तीन चैनलों की ओबी वैन जला दी गई.
लाखों लोग बेघर
असम का दंगा रह रह कर भड़क रहा है. राज्य के मुख्यंत्री तरुण गोगोई ने अब जाकर हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा किया है. इसके बाद उनकी तरफ से आश्वासन आया कि 'स्थिति सामान्य हो रही है.'
इस बीच गुवाहाटी में हिंसा की ताजा घटना हुई है. गुस्साई भीड़ ने एक बस को फूंक दिया है और सड़क पर बने पुल को उड़ा दिया है. नलबाड़ी और कामरूप जिलों में मुसलमानों और बोडो आदिवासी समुदायों के बीच ताजा झड़प हुई हैं.
करीब एक महीने से जारी हिंसा में कम से कम 80 लोग मारे गए और चार लाख से ज्यादा लोग बेघर हुए हैं. बेघरों के रहने के लिए हालांकि 120 शिविर बनाए गए हैं लेकिन ये अपर्याप्त बताए जा रहे है.
दंगे का इतिहास पुराना
असम में बांग्लादेश से आए मुसलमानों और बोडो जनजाति के लोगों के बीच हिंसक टकराव का इतिहास पुराना है. हिंसा की शुरुआत पिछले महीने 19 जुलाई को हुई जब मुस्लिम समुदाय के दो छात्र नेताओं की कोकराझार इलाके में हत्या कर दी गई. ये इलाका बोडो बहुल है. इसी के बाद से दोनों पक्षों के बीच हिंसा शुरू हुई. जानकार बताते हैं कि बोडो समुदाय और मुसलमानों के बीच झड़प की वजहें अलग बोडोलैंड राज्य की मांग से भी जुड़ी है. जिन इलाकों में बोडो आबादी ज्यादा है, वहां के लोग अलग से बोडोलैंड राज्य की मांग कर रहे हैं जबकि मुसलमानों का संगठन अखिल बोडोलैंड मुस्लिम छात्र संघ इस मांग का विरोध करता आया है. कुछ स्थानीय नेताओं का दावा है कि बांग्लादेश से आए मुसलमानों की वजह से यहां हिंसा शुरू हुई है.
वीडी/एजेए (डीपीए, एएफपी, पीटीआई)

Indien Unruhen in Assam zwischen Bodo-Volksgruppe und muslimischen Siedlern
तस्वीर: Reuters