अल्बान बैर्ग की 'एक परी की याद में'
१७ मई २०२१जर्मन शास्त्रीय संगीत महोत्सव में भाग लेने के लिए आपका टिकट: कंसर्ट आवर में इस सीजन की पसंद - दो घंटे का संगीत नियमित रूप से अपडेट किया जाता है. मेजबान रिक फुलकर के साथ, संगीतकार स्वयं घटनाओं और संगीत के बारे में अपना नजरिया सामने रखते हैं.
भाग एक
बर्लिन संगीत समारोह में, जर्मनी के यकीनन सबसे नामी बर्लिन फिलहार्मोनी और उसके मुख्य कंडक्टर किरिल पेट्रेंको और वायलिन वादक फ्रांक पीटर सिम्मरमन ने अल्बान बर्ग के वायलिन कंसैर्टो "एक परी की स्मृति में" की प्रस्तुति की.
कौन थी वो परी जिसकी स्मृति में अल्बान बैर्ग ने वह कंसैर्टो लिखा था? उसका नाम था, मैनन ग्रोपियस. वह अल्बान बैर्ग की पारिवारिक मित्रों अल्मा मालर वेर्फेल और वाल्टर ग्रोपियस की बेटी थी. 1935 में 18 साल की उम्र में मैनन की पोलियो से मौत हो गई थी. विडंबना यह है कि बैर्ग खुद उसके बाद और कुछ महीने ही जिए. उनकी पचास साल की उम्र में खून में जहर फैसने से मौत हो गई. बैर्ग के कंसैर्टो के बारे में कंडक्टर किरिल पेट्रेंको कहते हैं, "यह सीधे रुमानियत से निकली हुई कहानी लगती है. लेकिन बैर्ग ने भी इस संगीत की प्रस्तावना में लिखा था कि उन्होंने किसी से कहा था: 'आखिरकार हम सब रोमांटिक हैं." और आप सुन सकते हैं कि यह कंसैर्टो उनकी व्यक्तिगत विदाई थी. पेट्रेंको कहते हैं, " मैं हमेशा सोचता हूं कि महान कलाकारों को पता होता है कि उनका समय आ गया है. "
अल्बान बैर्ग द्वारा रचित वायलिन कंसैर्टो का पहला प्रदर्शन 1936 में स्पेन के बार्सिलोना में किया गया था. दर्शकों में बेंजामिन ब्रिटेन नाम का एक 25 वर्षीय संगीतकार भी था, जो उसे सुनकर मुग्ध रह गया. शायद उस प्रदर्शन और उस साल शुरू हुए स्पेनिश गृहयुद्ध की प्रेरणा से बेंजामिन ब्रिटेन ने डी माइनर में खुद अपना वायलिन कंसैर्टो लिखा. ये रचना 1939 में पूरी हुई जब वे न्यू यॉर्क के लॉन्ग आईलैंड पर रह रहे थे.
भाग दो
कंसर्ट आवर के इस घंटे में पेश है संगीतकार एंटोनिन द्वोराक की जिंदगी के एक खास खुशनुमा पल में तैयार संगीत. साथ ही कंसर्ट और युद्ध के दौरकान नष्ट हुए कला केंद्रों की याद में तैयार संगीत.
रिचर्ड स्ट्राउस जर्मनी में नाजी शासन के दौरान रहते थे. वे न सिर्फ इस दौरान रहे, बल्कि नाजी शासन के साथ उनकी मिलीभगत भी थी, खासकर शुरुआती वर्षों में राइष संगीत चैंबर के अध्यक्ष के रूप में. लेकिन उन्होंने उसका अंतिम नतीजा भी देखा और मेटामॉर्फोसिस में वे म्यूनिख और जर्मनी के दूसरे बड़े शहरों और उसके कला केंद्रों के पूरे विनाश की शिकायत करते हैं. काम में, स्ट्राउस का एक सरल पैटर्न है और वे इसे 25 मिनट की रचना में बार बार इस्तेमाल करते हैं.
अगर दुनिया भर में पसरे कोरोना महामारी की कोई अच्छी बात है तो यह कि वह हमें कुछ खास चीजों को करीब से और कुछ अलग तरीके से देखने को मजबूर कर रहा है. इसी का एक उदाहरण है कि जब किरिल पेट्रेंको ने द्वोराक की पांचवीं सिम्फनी को सुना तो उनके साथ क्या हुआ. पेट्रेंको बताते हैं, "शटडाउन के दौरान, जब हम इतने लंबे समय तक अकेले थे और कुछ करने को नहीं था, तो मौका था डेस्क के दराज से कुछ रचनाएं निकालने का जो खुद एकांत में थे. तो मैंने द्वोराक के सातवीं या नौवीं सिंफनी को नहीं चुना, पांचवें क चुना." उनके लिए ये निजी तौर पर एक खोज थी.
द्वोराक की पांचवीं सिंफनी 1875 की गर्मियों में लिखी गई थी. पेट्रेंको कहते हैं, "उनकी अभी अभी उस औरत से शादी हुई थी जो दशकों तक उसके साथ में रहने वाली थी. यह उनके जीवन के सबसे खुशनुमा सालों में से एक था, जो, आप कह सकते हैं, कुल मिलाकर एक सुखी जीवन था. आप शायद ही कभी ऐसे संगीतकारों से मिलते हैं जो वास्तव में खुश थे, शादीशुदा, कामयाब और मान्यता प्राप्त. ये खुशी आप इस संगीत में सुन सकते हैं."