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समाज

"गौरक्षकों को बचाता रहा प्रशासन"

२१ फ़रवरी २०१९

मानवाधिकारों पर काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा है कि भारत में प्रशासन और पुलिस अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाले स्वघोषित गौरक्षक समूहों को कानून से बचाती रही है.

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Indien Uttar Pradesh - Protest der Farmer
तस्वीर: DW/S. Mishra

ह्यूमन राइट्स वॉच संस्था की 104 पन्नों की रिपोर्ट के मुताबिक 2014 के बाद से देश के मुस्लिम, दलित और अन्य अल्पसंख्यक समूहों पर स्वघोषित गौरक्षक समूहों की ओर से होने वाले हमले तेजी से बढ़े हैं. 2014 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने लोक सभा चुनावों में भारी जीत हासिल की. केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार बनी.

रिपोर्ट कहती है कि 2015 से 2018 के दौरान ऐसे मामलों में 44 लोगों की मौत हुई, जिसमें से 36 मुस्लिम थे. इसके साथ ही हमलावरों पर किसी भी तरह की अदालती कार्रवाई करने में भी देरी की गई, और कई मौकों पर तो बीजेपी के नेताओं ने खुलेआम हमलों को सही ठहराया.

Verwandte von Mohammad Akhlaq, der von einem Mob gelyncht wurde
तस्वीर: Reuters/Stringer

संस्था की दक्षिण एशिया डायरेक्टर मीनाक्षी गांगुली ने कहा, "गायों की रक्षा की अपील पहले शायद हिंदू वोटों को आकर्षित करने के लिए की गई होगी. लेकिन इसने स्वघोषित रक्षक समूहों और भीड़ को अल्पसंख्यकों पर निशाना साधने का खुला मौका दे दिया." गांगुली ने कहा कि प्रशासन को भी अल्पसंख्यकों पर होने वाले हमलों को उचित ठहराना और पीड़ितों को दोष देना बंद करना चाहिए.

रिपोर्ट में 11 मर्डर केसों पर विस्तार से बात की गई है. इसमें से अधिकतर मामलों में पुलिस की ओर से शुरुआती देरी दिखाई गई या नियमों की अनदेखी कर प्रक्रिया में ढुलमुल रवैया अपनाया गया. एक मामले में तो यह भी कहा गया कि उत्तेजक भीड़ द्वारा मारे गए एक मुस्लिम व्यक्ति की मौत को पुलिस के कागजों में "मोटरबाइक एक्सीडेंट" कह डाला था.   

एक रिटायर पुलिस अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में लिखा गया है, "पुलिस पर गौरक्षक समूहों के साथ नरमी दिखाने, कमजोर जांच और उन्हें छोड़ देने जैसा राजनीतिक दबाव था." उन्होंने बताया, "पुलिस ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई करने को लेकर मजबूर थी. ऐसे में संदेह में घिरे लोगों को पकड़ने की बजाए कई बार शिकायतकर्ता और पीड़ित परिवारों पर दबाव बनाया गया."

मानवाधिकार समूहों ने सरकार से ऐसे गौरक्षक समूहों के खिलाफ मामला चलाने की अपील की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे मामलों की पूरी तरह से जांच हो और दोषी को सजा मिले. साथ ही मुस्लिम, दलित और अन्य अल्पसंख्यक समूहों पर होने वाले सांप्रदायिक या जातीय हमलों के खिलाफ एक जनअभियान भी छेड़ा जाना चाहिए.

रिपोर्ट ने यह भी कहा है कि कड़े कानूनों और गौरक्षा नीतियों के अभाव के चलते पशु व्यापार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ा है. इसके साथ ही चमड़ा और मांस उद्योग भी इससे प्रभावित हुआ है. हिंदू धर्म में गाय को पवित्र माना जाता है और देश के कई राज्यों में इसे मारने पर प्रतिबंध है.

एए/ओएसजे (डीपीए)

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