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प्रेस स्वतंत्रता

क्या मायने हैं अर्नब गोस्वामी पर हमले के?

चारु कार्तिकेय
२३ अप्रैल २०२०

टीवी पत्रकार अर्नब गोस्वामी पर कथित हमले के बाद मीडिया और राजनीति के संबंधों पर फिर बहस तेज हो गई है. इस बहस में ना अर्नब के आलोचकों की कमी है और न उनके समर्थकों की. आजकल सवाल उठाने वाले पत्रकार खुद सवालों में घिरे हैं.

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Indischer Journalist Arnab Goswami
तस्वीर: CC BY-SA 3.0/Abhinav619

टीवी पत्रकार अर्नब गोस्वामी पर कथित हमले के बाद मीडिया और राजनीति के संबंधों पर फिर बहस तेज हो मुंबई में एक जाने माने न्यूज चैनल के मालिक और सेलिब्रिटी एंकर पर हमले की खबर के बाद सोशल मीडिया पर उन्हीं की चर्चा है. अर्नब गोस्वामी रिपब्लिक टीवी के मालिक हैं और अपने चैनल के सबसे चर्चित एंकर भी. बुधवार 22 अप्रैल की देर रात उन्होंने खुद एक वीडियो संदेश में बताया कि रात के लगभग 12.15 बजे उनके घर से थोड़ी ही दूर मोटरसाइकिल सवार दो अंजान लोगों ने उनकी गाड़ी पर हमला किया, गाड़ी के शीशे तोड़ने की कोशिश की और गाड़ी पर कोई लिक्विड फेंका.

वीडियो में अर्नब गोस्वामी ने बताया है कि गाड़ी में बैठे वो और उनकी पत्नी किसी तरह से खुद को बचा कर अपनी बिल्डिंग में घुस गए. अर्नब के अनुसार उनकी बिल्डिंग के पहरेदारों ने उन्हें बताया कि वे युवा कांग्रेस के सदस्य थे और उन्हें कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अर्नब को सबक सिखाने के लिए भेजा था. अर्नब ने वीडियो में यह नहीं बताया कि उनके पहरेदारों ने जब दोनों हमलावरों को पकड़ लिया था तो वे भाग कैसे गए.

अर्नब ने इस हमले की शिकायत पुलिस में की, पुलिस ने मामला दर्ज किया और बताया जा रहा है कि दो लोगों को हिरासत में ले भी लिया गया है. पुलिस ने इनकी पहचान के बारे में अभी कुछ नहीं बताया है. हमले के कुछ घंटे पहले अर्नब ने अपने रोजाना दिखाए जाने वाले कार्यक्रम में पिछले सप्ताह महाराष्ट्र के पालघर में हुई दो साधुओं और उनके ड्राइवर की लिंचिंग का मामला उठाया था और इस घटना पर कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी की चुप्पी पर सवाल उठाया था. लेकिन सवाल उठाते उठाते उन्होंने सोनिया गांधी पर कई आरोप भी लगा दिए.

सोनिया गांधी पर आरोप

उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी जहां उनकी पार्टी की सरकार है उस राज्य में साधुओं को पीट पीट कर मारे जाने पर "मन ही मन में खुश हैं" और इस बारे में "वो इटली में रिपोर्ट भेजेंगी" कि "जहां मैंने सरकार बनवा ली वहां मैं हिन्दू संतों को मरवा रही हूं."

कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं और दूसरे लोगों ने अर्नब के इन शब्दों और इन आरोपों की निंदा की. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गोस्वामी की टिप्पणियों को बेहद निंदनीय बताया है.

और उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करने की बात की. युवा कांग्रेस ने कई राज्यों में अपनी स्थाई इकाइयों के माध्यम से आईपीसी की कई धाराओं के तहत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

अर्नब गोस्वामी की पत्रकारिता

अर्नब और उनके टीवी चैनल पर आरोप हैं कि वह सरकार के समर्थन वाली पत्रकारिता करते हैं, सरकार से कोई सवाल नहीं करते, उनके सारे सवाल विपक्ष के लिए होते हैं. आरोप यह भी लगते हैं कि यह चैनल शुरू ही हुआ था ऐसे लोगों की वित्तीय मदद से जो या तो बीजेपी के सदस्य हैं या बीजेपी से किसी ना किसी तरह से जुड़े हुए हैं.

मई 2017 में जब ये चैनल शुरू हुआ था तब इसकी अभिभावक कंपनी एआरजी आउटलायर एशियानेट न्यूज प्राइवेट लिमिटेड में उद्योगपति और राजनेता राजीव चंद्रशेखर का बड़ा निवेश था. राजीव चंद्रशेखर उस समय राज्यसभा के निर्दलीय सदस्य थे लेकिन सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन का हिस्सा भी थे. अप्रैल 2018 में राजीव ने आधिकारिक रूप से बीजेपी की सदस्यता ले ली और एआरजी आउटलायर के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया.

लोकतंत्र पर हमला

अर्नब और उनके चैनल के किसी भी दल के साथ कैसे भी संबंध हों, बुधवार की घटनाओं ने एक बार फिर उन्हीं सवालों को खड़ा कर दिया है जो पत्रकारों पर होने वाले हर हमले के बाद पूछे जाते हैं. पत्रकारों पर हर हमला निंदनीय है. उनकी पत्रकारिता अगर किसी को खटकती है तो वो उस पर बहस कर सकता है, या उन्हें देखना पढ़ना बंद कर सकता है और अगर कोई रिपोर्ट मनगढ़ंत हो तो उसके खिलाफ पुलिस या अदालतों में शिकायत कर सकता है.

किसी को परेशान करने के लिए देश के कोने कोने में केस दर्ज कराना लोकतांत्रिक व्यवहार कहीं से नहीं है. यही युवा कांग्रेस कर रही है. बीजेपी के कार्यकर्ता भी कई मामलों में ऐसा करते दिखे हैं. सवाल ये भी किया जा सकता है कि अगर कांग्रेस अर्णब गोस्वामी के खिलाफ केस दायर करने के बारे में गंभीर होती तो एक ही जगह करती और सारे साक्ष्य और प्रमाण के साथ अपनी पूरी कोशिश करती कि केस अपनी परिणति तक पहुंचे. हर पत्रकार और मीडिया संगठन को संविधान के अनुच्छेद 19 (ए) के तहत संरक्षण प्राप्त है और उन पर हमला लोकतंत्र पर हमला है.

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