1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

अरब जगत का पहला परमाणु संयंत्र

१७ फ़रवरी २०२०

बीते सौ सालों से दुनिया में ऊर्जा और राजनीति का केंद्र तेल रहा है. अब तेल से लबालब अरब जगत परमाणु उर्जा की तरफ बढ़ चला है. संयुक्त अरब अमीरात में पहला परमाणु बिजली घर शुरू हो रहा है.

https://p.dw.com/p/3XtKB
Vereinigte Arabische Emirate Barakh Kernkraftwerk
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Emirates Nuclear Energy Corporation/A. Girija

सोमवार को संयुक्त अरब अमीरात ने बताया कि उसने बाराकाह न्यूक्लियर पावर प्लांट के चार रिएक्टरों में से एक के लिए लाइसेंस जारी कर दिया है. यह परमाणु संयंत्र देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में योगदान करेगा. हालांकि देश के पास तेल का विशाल भंडार है लेकिन वह दोबारा इस्तेमाल होने वाली ऊर्जा के स्रोतों में भारी निवेश कर रहा है.

करीब 22.4 अरब डॉलर की लागत से बना बाराकाह प्लांट आबू धाबी के पश्चिम में खाड़ी के तट पर है. इसे कोरिया इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन के नेतृत्व में एक कंसोर्टियम बना रहा है. पूरी तरह चालू होने के बाद संयंत्र के चार रिएक्टरों से 5,600 मेगावाट बिजली पैदा होगी. यह संयुक्त अरब अमीरात की एक चौथाई बिजली की जरूरत पूरी कर सकता है.

आबू धाबी के अधिकारियों ने जनवरी में बताया कि अगले कुछ महीनों में प्लांट चालू हो जाएगा. सोमवार को इसकी तारीखों के बारे में तो कुछ नहीं कहा गया लेकिन अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग के यूएई प्रतिनिधि का कहना है कि यह जल्दी ही शुरू हो जाएगा.  यह परमाणु संयंत्र पूरे अरब जगत में पहला है. पड़ोसी देश सऊदी अरब ने भी घोषणा की है कि वह 16 परमाणु रिएक्टर बनवाएगा लेकिन अभी इस पर काम शुरू नहीं हुआ है.

Vereinigte Arabische Emirate Abu Dhabi
तस्वीर: Getty Images/D. Kitwood

यूएई के सात अमीरातों में करीब एक करोड़ की आबादी है. इनमें ज्यादातर लोग विदेशी हैं. कांच की दीवारों वाली गगनचुंबी इमारतों का यह देश ऊर्जा का भूखा है. खासतौर से गर्मियों में यहां के एयर कंडिशन संयंत्रों के लिए बिजली की भारी जरूरत होती है.

तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक में चौथा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश तेल के एक विशाल भंडार पर बैठा है और हाल ही में यहां गैस के भी एक बहुत बड़े भंडार की खोज हुई है. तेल से भरापूरा होने के बावजूद यूएई ने हाल के वर्षों में दोबारा इस्तेमाल होने वाले उर्जा के संसाधनों पर काफी निवेश किया है. कोशिश इस बात की है कि 2050 तक यह अपनी ऊर्जा जरूरतों का आधा इन्हीं संसाधनों से पूरा कर ले.

यूएई को उम्मीद है कि सस्ती बिजली पैदा करने से उसका दर्जा क्षेत्रीय स्तर पर ऊंचा हो जाएगा और उसका प्रभाव यमन, अफ्रीका के इलाकों और लीबिया तक बढ़ जाएगा. खाड़ी देशों पर नजर रखने वाले एक विश्लेषक ने कहा, "यह यूएई की ऊर्जा अर्थव्यवस्था को विविध रूपों में बांटने की कोशिश का हिस्सा है, इससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटेगी और यह विज्ञान और तकनीक के मामले में खुद को एक क्षेत्रीय नेता की तरह पेश कर सकेगा."

यूएई की दूसरी बड़ी परियोजनाओं में एक अंतरिक्ष कार्यक्रम भी है. इसके तहत पहले अमिराती अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजने और साथ ही मंगल ग्रह के लिए एक खोजी रोबोट भेजने की योजना है. बाराकाह संयंत्र का पहला रिएक्टर 2017 में ही चालू हो जाना था लेकिन नियम कायदों का पालन करने के लिए इसे कई बार टालना पड़ा. दिसंबर में एमिरेट्स न्यूक्लियर इनर्जी कॉर्प ने घोषणा की कि रिएक्टर में पहला ईंधन 2020 की पहली तिमाही में लोड किया जाएगा.

Saudi Arabien | Metro
तस्वीर: picture-alliance/dpa/epa/A. Haider

यूएई का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है और उसने लोगों की सुरक्षा चिंताओं को भी दूर करने की कोशिश की है. परमाणु संयंत्र के 50 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को यह बताया गया है कि हादसे की स्थिति में क्या करना है.

बाराकाह संयंत्र सऊदी अरब की सीमा पर है और यह आबू धाबी की तुलना में कतर की राजधानी के ज्यादा करीब है. संयंत्र वाला इलाका अमीरात के तट पर है जो ईरान से भी लगता है. ईरान और संयुक्त अरब अमीरात के बीच फिलहाल तनाव बढ़ा हुआ है.

खासतौर ईरान पर अमेरिका के दबाव बढ़ाने के बाद. सऊदी अरब के तेल संयंत्र पर मिसाइल से हमला भी हुआ था जिसकी जिम्मेदारी यमन के हूथी विद्रोहियों ने ली लेकिन अमेरिका ईरान की ओर उंगली उठाता है. अमेरिका और ईरान के बढ़ते तनाव के बीच इलाके के ऊर्जा संयंत्रो पर ईरान के हमले की आशंका मंडरा रही है. हालांकि यूएई ने संयंत्र के कारण किसी भी तरह की सुरक्षा चिंता को खारिज किया है.

एनआर/आईबी (एएफपी)

__________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी