अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और भारतीय "हित"
५ नवम्बर २००८अधिकांश विश्लेषकों की राय है कि भारत के हितों की दृष्टि से मैक्केन का राष्ट्रपति चुना जाना बेहतर होगा. आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ स्वामीनाथन एस अंक्लेशवर अय्यर का कहना है कि बराक ओबामा संरक्षणवादी नीतियों के पक्ष में हैं और सेवाओं की आउटसोर्सिंग खिलाफ हैं, जबकि मैक्केन संरक्षणवाद के खिलाफ हैं.
आउटसोर्सिंग के कारण भारत की सूचना टेक्नोलॉजी क्षेत्र की कम्पनियाँ हर साल अमेरिका के साथ 60 अरब डॉलर का कारोबार करती हैं. यदि आउटसोर्सिंग पर अंकुश लग गया तो यह भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बुरी ख़बर होगी.
पूर्व राजनयिक अरुंधती घोष का माना है कि कश्मीर पर बराक ओबामा के विचार भारत के लिए चिंता पैदा करने वाले हैं. ओबामा का विचार है कि कश्मीर विवाद के सुलझने से पाकिस्तान अफगानिस्तान पर ध्यान दे सकेगा. भारत हमेशा से कश्मीर के मामले में अमेरिकी हस्तक्षेप का विरोध करता आया है. दूसरे, डेमोक्रेट हमेशा भारत को परमाणु अप्रसार और मानवाधिकारों आदि पर उपदेश देते रहते हैं.
अरुंधती घोष याद दिलाती हैं कि भारत - अमेरिका परमाणु समझौते पर राष्ट्रपति जॉर्ज डबल्यू बुश द्वारा दिए गए आश्वासनों को ओबामा पूरा करेंगे , इसमें संदेह है. उन्होंने तो इस समझौते में एक ऐसा संशोधन पेश किया था जो इसे ख़त्म ही कर देता और जिसके कारण भारत को आज तक परेशानी हो रही है.वहीं जॉन मैक्केन से उम्मीद की जा सकती है कि वह बुश द्वारा दिए गए आश्वासनों को पूरा करने से पीछे नहीं हटेंगे.
कुलदीप कुमार , नई दिल्ली