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अमेरिकी गए तो क्या, इराक में जंग जारी है

२१ दिसम्बर २०११

अमेरिकी सेना की वापसी के कुछ ही घंटों बाद अमेरिका को इराक की चिंता सताने लगी है और उप राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि वहां जातिगत बंटवारा नहीं होना चाहिए. इराक अचानक से राजनीतिक उलझन में पड़ गया है.

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तस्वीर: dapd

एक तरफ आखिरी अमेरिकी सैनिक ने इराक की धरती छोड़ी और दूसरी तरफ अगले ही दिन इराक की सरकार ने अपने ही उप राष्ट्रपति तारिक अल हाशिमी के खिलाफ आतंकवाद से जुड़े मामले ठोंक दिए और उनके विरुद्ध वारंट भी जारी कर दिया गया. अल हाशिमी सुन्नी नेता हैं, जबकि सद्दाम हुसैन के बाद से इराक की राजनीतिक जमीन पर शिया नेताओं का दबदबा रहा है. अब इस कदम से खतरा बढ़ चला है कि इराक में एक बार फिर से शिया सुन्नी विवाद न खडा़ हो जाए. यानी अमेरिका के लिए आठ साल बाद भले ही इराक युद्ध खत्म हो गया हो, खुद इराक और इराकियों के लिए जंग अभी जारी है.

ओबामा प्रशासन परेशान

इस घटना ने अमेरिका के बराक ओबामा प्रशासन की पेशानी पर अचानक से लकीरें खींच दी हैं. हाल ही में इराक का दौरा करने वाले अमेरिकी उप राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस घटनाक्रम के बाद इराकी प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी और संसद के स्पीकर ओसामा अल नजूफी से बात की है और उनसे कहा है कि पूरे मामले में किसी तरह का पक्षपात नहीं किया जाना चाहिए. व्हाइट हाउस ने बाइडन के हवाले से कहा है, "अमेरिका पूरे मामले पर बारीकी से नजर रखे हुए है. पूरी घटना पर कार्रवाई बिना किसी पक्षपात के की जानी चाहिए."

बाइडन ने कहा है कि अमेरिका लंबे वक्त तक इराक के साथ रणनीतिक साझीदारी निभाना चाहता है और वह इराक की सरकार को समर्थन देता रहेगा. हालांकि इराक में जब से शिया और सुन्नियों की मिली जुली सरकार बनी है, राजनीतिक स्थिरता नहीं हो पा रही है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/dpaweb

शिया सुन्नी दरार बढ़ी

ताजा घटनाक्रम के बाद उप राष्ट्रपति अल हाशिमी के समर्थकों ने संसद का बायकॉट करने का एलान किया है. बड़ी मुश्किल से साल भर पहले बनी सरकार एक बार फिर संकट में आ गई है. समाचार एजेंसियों ने खबरें दी हैं कि इराक में अमेरिकी राजदूत ने इस मामले पर नूरी अल मलिकी और दूसरे नेताओं से मुलाकात भी की है. मलिकी खुद शिया संप्रदाय के हैं.

उधर, अल हाशिमी ने कुर्द इलाके की राजधानी अरबील में एक प्रेस कांफ्रेंस करके कहा, "मैं खुदा की कसम खा कर कहता हूं कि जब इराकी खून की बात आती है तो मैंने कोई भी गुनाह नहीं किया है. अगर मामले को कुर्दिस्तान ट्रांसफर कर दिया जाए, तो मैं इस मामले में मुकदमे के लिए भी तैयार हूं." उन्होंने आतंकवाद से जुड़े किसी भी मामले में शामिल होने से साफ इनकार करते हुए कहा कि मैं अरब लीग के प्रतिनिधियों से भी दरख्वास्त करूंगा कि वे इस जांच में शामिल हों.

उप राष्ट्रपति पर आरोप

इससे पहले इराकी अधिकारियों ने अल हाशिमी के विदेश जाने पर रोक लगा दी और सोमवार को उनके खिलाफ वारंट जारी कर दिया. उनके 13 अंगरक्षकों को भी हिरासत में रखा गया है. हालांकि अल हाशिमी के दफ्तर का कहना है कि सिर्फ तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. राष्ट्रीय समाचार चैनलों ने अल हाशिमी के कुछ अंगरक्षकों का वीडियो दिखाया है, जिसमें दावा किया गया है कि वे हमलों की साजिश रच रहे हैं और कह रहे हैं कि इसके लिए खुद उप राष्ट्रपति अल हाशिमी उन्हें पैसे मुहैया करा रहे हैं.

बगदाद सुरक्षा कमांड के कार्यालय ने इसके बाद मंगलवार को दो बयान जारी कर कहा कि अल हाशिमी के खिलाफ जो वारंट जारी किया गया है, उस पर तामील की जाएगी. प्रधानमंत्री अल मलिकी और दूसरे नेता इस राजनीतिक गतिरोध को खत्म करने की मांग कर रहे हैं लेकिन अल हाशिमी का गुट किसी दूसरे देश की मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं है.

रिपोर्टः एएफपी, रॉयटर्स/ए जमाल

संपादनः ईशा भाटिया

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