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अमेरिका की चेतावनी, फरवरी में हमला कर सकता है रूस

२८ जनवरी २०२२

अमेरिकी राष्ट्रपति ने यूक्रेन के राष्ट्रपति से कहा है कि रूस फरवरी में हमला कर सकता है. रूस ने भी मामला सुलझने की "उम्मीद कम" होने की बात कही है. इस बीच संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन मामले पर सुरक्षा परिषद की बैठक होगी.

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US-Präsident Biden
तस्वीर: Susan Walsh/AP/dpa/picture alliance

रुसी अधिकारियों का कहना है कि संकट टालने के लिए बातचीत अब भी हो सकती है. हालांकि यूक्रेन की सीमा पर रूस ने जिस तरह सैनिकों का जमावड़ा लगा रखा है उसे देखते हुए उनके यूक्रेन की सीमा में घुसने की बात बहुत दूर की नहीं लग रही है. युद्ध की आशंकाओं के बीच अमेरिका और जर्मनी रूस को कड़ी चेतावनी दे रहे हैं. जर्मन विदेश मंत्री ने तो बकायदा संसद में एलान किया है कि हमले की स्थिति में उनकी सरकार ने रूस के लिए कड़े प्रतिबंधों का एक पैकेज तैयार कर लिया है और नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन भी इसमें शामिल हो सकता है. ये पाइपलाइन रूस का गैस जर्मनी तक लाएगी और बन कर तैयार है लेकिन गैस की सप्लाई चालू नहीं हुई है.

फरवरी में रूसी हमले की आशंका

गुरुवार को अमेरिका और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों की टेलिफोन पर बातचीत हुई. इसी बातचीत में अमेरिकी राष्ट्रपति ने फरवरी में हमले की आशंका जताई है. व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता एमिली होर्ने ने बताया, "राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा है कि इस बात की स्पष्ट आशंका है कि रूस फरवरी में यूक्रेन पर चढ़ाई करेगा. उन्होंने यह सार्वजनिक रूप से कहा हम इसकी चेतावनी कई महीनों से दे रहे हैं."

यूक्रेन के राष्ट्रपति के साथ बातचीत में बाइडेन ने अमेरिका और सहयोगी देशों से मदद का भी भरोसा दिया. हाल ही में अमेरिका ने यूक्रेन को सैनिक साजोसामान की सहायता मुहैया कराई है. बाइडेन ने जेलेंस्की से कहा कि जमीन पर बर्फ जमने के बाद रूसी सैनिक कीव के उत्तर से यूक्रेन पर चढ़ाई कर सकते हैं. जेलेंस्की ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है कि दोनों राष्ट्रपतियों ने यूक्रेन को अतिरिक्त आर्थिक सहयोग देने पर भी बातचीत की है.

रूस और यूक्रेन की सीमा पर तनाव तो पहले से ही है लेकिन बीते हफ्तों में यह बढ़ गया है. अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों ने चिंता जताई है कि यूक्रेन के पास  एक लाख से ज्यादा सैनिकों का जमावड़ा यही संकेत दे रहा है कि रूस अपने पूर्व सोवियत पड़ोसी पर चढ़ाई की तैयारी में है. रूस ने हमले की योजना से इनकार किया और इलाके में सुरक्षा बेहतर करने के लिए अपनी मांगों की एक सूची अमेरिका के सामने रख दी है. हालांकि जैसी कि उम्मीद थी अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों ने रूस की मांगों को ठुकरा दिया. इसमें यूक्रेन को नाटो में शामिल करने पर स्थाई रोक की भी मांग है. इन देशों का कहना है कि पूर्वी यूरोप में सैनिकों और सैन्य उपकरणों की तैनाती पर कोई समझौता नहीं हो सकता.

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यूक्रेन में आम लोगों को आपातकाल के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है.तस्वीर: Mykola Myakshykov/Avalon|Photoshot/picture alliance

अभ्यास में लगी है सेना 

कूटनीति अपनी चाल से चल रही है लेकिन इस बीच रूस की सैन्य गतिविधियों में कोई कमी नहीं है. रूस दक्षिण पश्चिमी इलाके में लगातार सैन्य अभ्यास कर रहा है जिसमें भारी टैंकों और दूसरे जंगी हथियारों के साथ ही बाल्टिक सागर से लड़ाकू विमान, आर्कटिक और बाल्टिक सागर में दर्जनों जंगी जहाज और बेलारूस में पैराट्रूपर भी शामिल हो रहे हैं. नाटो का कहना है कि वह बाल्टिक सागर में अपनी प्रतिरक्षा को मजबूत कर रहा है दूसरी तरफ अमेरिका ने भी अपने 8,500 सैनिकों को यूरोप में तैनात किए जाने की आशंका के बीच बिल्कुल तैयार रहने को कहा है.

जंग की आशंका बढ़ने के साथ ही यूक्रेन के हजारों लोग रूसी दबाव के सामने डट कर खड़े होने की शपथ ले रहे हैं. वहां #UkrainiansWillRessist ट्विटर और फेसबुक पर खूब चल रहा है. यूक्रेन के गृह मंत्रालय ने आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए लोगों को ट्रेनिंग की भी शुरुआत कर दी है. यूक्रेन के बहुत से युवाओं ने सेना में भर्ती होने की तैयारी भी शुरू कर दी है और सेना ऐसे लोगों को रिजर्व लिस्ट में रख रही है.

Russland | Militärübung Zapad-2021 in der Kaliningrad Region
अभ्यास में जुटे रूसी पैराट्रूपर.तस्वीर: Vitaly Nevar/REUTERS

समझौते से ज्यादा धमकियों का शोर

अमेरिका ने कुछ बातों पर समझौता करने की बात जरूर कही है जिनसे की रूस की चिंता दूर की जा सके और तनाव कम हो. हालांकि इससे ज्यादा इस मामले में प्रतिबंधों का शोर गूज रहा है. अमेरिका ने रूसी अधिकारियो और प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों को प्रतिबंधों का निशाना बनाने के साथ ही यह भी कहा कि जर्मनी नए गैस पाइपलाइन को भी चालू नहीं होने देगा. अब सारी नजरें पुतिन पर टिकी हैं जिनका फैसला यूरोप में एक नई जंग छेड़ सकता है. 

सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि रूस शायद उचित जमीनी हालात के इंतजार में है ताकि अपने भारी हथियारों के साथ कीव पर चढ़ाई कर सके. आठ साल पहले रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप पर फरवरी में ही हमला कर उसे अपने साथ मिला लिया.

इस बीच अमेरिका ने यह एलान भी किया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इस मामले पर सोमवार को एक खुली बैठक करेगा. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा है कि यूक्रेन की सीमा पर एक लाख से ज्यादा सैनिकों की तैनाती और अस्थिरता लाने वाली दूसरी हरकतें, "निश्चित रूप से अंतरराष्ट्रीय शांति, सुरक्षा और यूएन चार्टर के लिए खतरा हैं."

Ukraine-Konflikt - Russlands Außenminister Lawrow
रूस बार बार कह रहा है कि वह युद्ध नहीं चाहता.तस्वीर: The State Duma/AP/picture alliance

"युद्ध नहीं चाहता रूस"

शुक्रवार को रूसी विदेशमंत्री ने कहा कि उनका देश यूक्रेन के साथ युद्ध नहीं चाहता है. लावरोव ने यह भी कहा कि अमेरिका का जवाब नाटो के जवाब की तुलना में बेहतर है.  रूसी विदेश मंत्री की अगले कुछ दिनों में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन से मुलाकात होने की संभावना है. लावरोव ने यह भी कहा कि अमेरिका के जवाब का क्या उत्तर दिया जाए इसका फैसला राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन करेंगे.

इससे पहले रूसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने इससे पहले पत्रकारों से कहा कि अमेरिका और नाटो का जवाब लगभग एक जैसा ही है इसने "उम्मीदों के लिए बहुत कम ही जमीन छोड़ी है." हालांकि इसके साथ ही पेस्कोव ने यह भी कहा, "बातचीत जारी रखने की संभावना हमेशा रहती है और यही हमारे और अमेरिका के हित में है." रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव का कहना है कि अमेरिका के जवाब में कुछ ऐसे बिंदु हैं जो दूसरे मामलों में गंभीर बातचीत का आधार बन सकते हैं लेकिन इसके साथ ही मुख्य मुद्दे पर कोई सकारात्मक जवाब नहीं है. रूस की प्रमुख मांग है इलाके में नाटो के सैनिकों और साजो सामना की तैनाती को रोकना और यूक्रेन को नाटो की सदस्यता नहीं मिलने देना.

एनआर/आरपी (एपी, रॉयटर्स)

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