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अमेठी ने राहुल और कांग्रेस को आईना दिखाया

ओंकार सिंह जनौटी
२३ मई २०१९

42 साल बाद कांग्रेस की अमेठी में हार हुई है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की हार बताती है कि उनकी पार्टी किस तरह सच्चाई के धरातल से दूर हो गई है. खुद राहुल गांधी की राजनीतिक समझ पर सवाल उठ रहे हैं.

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Rahul Gandhi
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Kiran

1977 में आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी के खिलाफ लोगों में बहुत गुस्सा था. उस वक्त अमेठी की जनता ने संजय गांधी को चुनाव में झटका दिया. लेकिन उसके बाद फिर कभी वहां कांग्रेस नहीं हारी. गांधी परिवार के सदस्यों के लिए उत्तर प्रदेश की अमेठी और रायबरेली सीट

सबसे सुरक्षित मानी जाती थी. लेकिन 2019 में अमेठी में बीजेपी की स्मृति ईरानी ने सुरक्षा चक्र भेद दिया और कांग्रेस अध्यक्ष को हरा दिया.

राहुल गांधी को हार का अंदेशा पहले से था. यही वजह थी कि राहुल ने केरल के वायनाड से भी चुनाव लड़ने का फैसला किया, जहां उनकी बंपर जीत हुई है. हालांकि इस जीत से ज्यादा चर्चा अमेठी की हार की हो रही है.

Indien Schauspieler gewannen Wahl 2019 Smriti Zubin Irani
तस्वीर: Imago Images/Hindustan Times

इस हार की वजह बीजेपी के कार्यकर्ता दीपक तिवारी बताते हैं. दीपक पांच अप्रैल से पांच मई तक अमेठी में स्मृति ईरानी के साथ प्रचार अभियान में थे. स्मृति ईरानी ने एक महीने में अमेठी के भीतर 7,000 किलोमीटर की यात्रा की. वह गांव गांव गईं और लोगों से कहा,

"वह जीतने के बावजूद अमेठी छोड़ वायनाड चला गया, मैं हारने के बावजूद अमेठी नहीं छोड़ी."

दीपक के मुताबिक बीते पांच साल में स्मृति ईरानी 30 बार अमेठी गईं, उन्होंने वहां 144 काम करवाए. 2014 से 2019 के बीच अमेठी के लोगों को हारी हुईं स्मृति ईरानी अपने सांसद राहुल गांधी से ज्यादा नजर आईं. पांच साल पहले मैडम कह कर पुकारी जाने वाली स्मृति 2019

तक दीदी कहलाने लगीं. इसी दौरान राहुल की छवि लापता सांसद की बनती गई.

महीने भर के चुनाव प्रचार के दौरान स्मृति ईरानी अमेठी में ही थीं. वह सुबह नौ बजे से लेकर रात को दस बजे तक जनसंपर्क कर रही थीं. वहीं राहुल गांधी दो बार दिल्ली से कुछ घंटों के लिए आए.

सुरक्षित मानी जाने वाली सीट से हारना, वह भी कांग्रेस अध्यक्ष का हारना, यह बताता है कि कांग्रेस किस अंधकार में जी रही है. पार्टी को आज भी लगता है कि चुनाव की तैयारी सिर्फ तीन या चार महीने पहले की जाती है. लेकिन अमेठी और देश भर के नतीजे बताते हैं कि अब चुनाव की तैयारी हर वक्त जारी रखनी पड़ती है. यह बात बीजेपी के कार्यकर्ता तक जानते हैं और कांग्रेस के दिग्गज अपनी ही धुन में मगन रहते हैं.