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अमूल गर्ल के 52 साल, मिलिए इसको बनाने वालों से

३ जुलाई २०१८

पोल्का डॉट्स की छोटी फ्रॉक, नीले रंग के बालों में चोटी, बड़ी-बड़ी, गोल-गोल मटकती आंखें और मक्खन खाती हुई यह लड़की पिछले 52 वर्षों से भारतीयों के दिलों पर राज कर रही है. इसके कार्टून को बनाने में 3 लोगों की मेहनत है.

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Indien Amul Girl
अमूल गर्ल को बनाने वाले कार्टूनिस्ट जयंत राणेतस्वीर: Getty Images/P. Paranjpe

भारत में लगे आपातकाल के दौरान नसबंदी पर कटाक्ष हो या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर मजाकिया लहजे में दी गई बधाई, अमूल गर्ल के कार्टून्स होर्डिंग्स, अखबार, टीवी ऐड से लेकर सोशल मीडिया पर छाए रहते हैं. अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी व्यंग्यात्मक तरीके से अपनी बात कहने वाली अमूल गर्ल ने हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन की मुलाकात पर भी प्रतिक्रिया दी. इस कार्टून में अमूल गर्ल के साथ मक्खन-मलाई चखते ट्रंप और किम के चेहरे भी गुलाबी और गोलमटोल बनाए गए जिसे लोगों ने काफी सराहा.

अमूल के विज्ञापन को बनाने में 3 लोगों का दिंमाग और क्रिएटिविटी है. इन विज्ञापनों की कैंपेन डाकुन्हा कम्युनिकेशंस करती है जिसके क्रिएटिव हेड राहुल डाकुन्हा हैं. उनके साथ कॉपी राइटर मनीष झावेरी और करीब 3 दशकों से अमूल गर्ल को बनाने वाले कार्टूनिस्ट जयंत राणे की जुगलबंदी हम तक ये विज्ञापन पहुंचाते है. 

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डाकुन्हा कम्युनिकेशंस के क्रिएटिव हेड राहुल डाकुन्हातस्वीर: Getty Images/P. Paranjpe

डाकुन्हा कहते हैं कि उनकी कोशिश है कि अलग-अलग विषयों को चुना जाए जिसपर अमूल गर्ल की प्रतिक्रिया को दिखाया जाए और अमूल का प्रचार भी हो. कार्टून में हिंदी और इंग्लिश दोनों का इस्तेमाल होता है और कोशिश होती है कि भारतीय युवा इससे जुड़ाव महसूस करे. मसलन, राजनीतिक उतार-चढ़ाव, भ्रष्टाचार, फिल्म और फिल्मी हस्तियां, क्रिकेट जैसे कई मुद्दों को छूने की कोशिश होती है. इसे अमूमन चटकीले रंगों और शब्दों के साथ अभिव्यक्त किया जाता है. वहीं अगर किसी बड़ी हस्ती की मौत हुई हो तो उसे ब्लैक एंड वाइट में दिखाने की कोशिश होती है. 

मार्केटिंग एक्सपर्ट दीपाली नायर मानती हैं कि उनके कैंपने का मकसद सिर्फ कार्टून बनाना और अमूल का प्रचार नहीं बल्कि लोगों में जागरूकता पैदा करना भी है. इन कार्टून्स को देखकर कभी हंसी आती है तो कभी आंखें नम हो जाती हैं. 

1966 में राहुल डाकुन्हा के पिता सिल्वेस्टर डाकुन्हा द्वारा शुरू हुए इस कैंपेन में अब तक 4 हजार विज्ञापन बनाए जा चुके हैं जिसमें अमूल गर्ल ने डेयरी प्रोडक्ट्स के प्रचार के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों को छुआ है. पहले जहां एक महीने में एक ऐड बना करते थे वहीं अब के सोशल मीडिया के दौर में एक हफ्ते में औसतन 4 से 5 ऐड बनाए जाते हैं. 90 के दशक में पिता का काम संभालने वाले डाकुन्हा कहते हैं कि अपनी मासूम अदाओं से बात कहने वाली अमूल गर्ल का मजाक और कटाक्ष हर किसी को पसंद आता है.

अमूल प्रोडक्ट्स के पैकेट पर नजर आने वाली यह छोटी लड़की विवादों में भी रही है. 1976 में नसबंदी पर कटाक्ष करते हुए कार्टून में अमूल गर्ल नर्स के अवतार में दिखी. 2015 में ब्रिटिश एयरवेज को अमूल गर्ल का कार्टून पसंद नहीं आया जिसमें मशहूर क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के सामान की अदला-बदली पर तंज कसा गया था. 

अमूल गर्ल को बनाने वाली टीम की कोशिश होती है कि देश में आई प्राकृतिक आपदा या धर्म से जुड़ी अतिसंवेदनशील घटनाओं पर कार्टून न बनाए जाए. हालांकि पिछले दिनों कठुआ और उन्नाव में बच्ची के साथ हुए गैंगरेप पर टीम खुद को रोक न सकी और उन्होंने अमूल गर्ल का सिर झुकाए और रोता हुआ कार्टून बनाया और लिखा- जरा आंखों में भर लो पानी. 

वीसी/ओएसजे (एएफपी)

कार्टूनों में डींग हांकते ट्रंप और किम