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अब्बा के सपने पूरे करतीं शबाना

१९ सितम्बर २०१२

दूधिया रोशनी और मद्धिम सुरों के बीच रैम्प पर बालीवुड के सितारे, खुबसूरत अदाओं और बेहतरीन ट्रेंडी कपड़ों पर बजती तालियां आजमगढ़ जिले के मिजवां गांव की लड़कियों के हौसलों को पंख भी लगा देती हैं.

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तस्वीर: DW/Suhail Waheed

तालियों की आवाज से इन लड़कियों के चेहरों पर चमक दौड़ जाती है और मिजवां गांव की हर आंख में ' शबाना दीदी ' के लिए इज्ज़त और लगाव की चमक और तेज हो जाती है. फिल्म अभिनेत्री, पूर्व सांसद और सामाजिक कार्यकर्त्ता शबाना आज़मी अपने अपने अब्बा लोकप्रिय शायर कैफी आजमी के गांव मिजवां को देखते ही देखते चिकन और कशीदाकारी का अच्छा खासा अड्डा बना डाला और हजारों लड़कियों को आत्मनिर्भर भी. मिजवां में बहुत से काम खुद कैफी ने ही शुरू कर दिए थे. इसी का नतीजा है कि कैफी आजमी गर्ल्स इंटर कालेज, कैफी आजमी कंप्यूटर सेंटर, कैफी आजमी चिकनकारी सेंटर जैसी कई संस्थाएं चल रहीं हैं.

आजमगढ़ से 40 किलोमीटर दूर बसे करीब साढ़े पांच सौ आबादी वाले 60 घरों के इस गांव तक जाने के लिए सड़क इतनी खराब है की हिचकोले खाना पड़ते हैं. बिजली भी चार-पांच घंटे ही मिल पाती है. यूपी सरकार ने इस गांव पर कभी ध्यान नहीं दिया. गांव वालों पर शबाना दीदी की ऐसी मेहरबानी है कि इन्हें कोई मलाल नहीं.

Frauen in Indien Shabana Azmi NGO
तस्वीर: DW/Suhail Waheed

मिजवां को चिकनकारी का केंद्र बनाने का ये सिलसिला तब शुरू हुआ जब शबाना आज़मी मशहूर फैशन डिज़ाईनर अनीता डोंगरे को लेकर मिजवां आईं . उन्होंने चिकनकारी सेंटर की कढाई देखी तो देखती ही रह गईं और फौरन अपनी कंपनी के लिए ढेर सारा आर्डर दे दिया. उन्होंने एक्सपोर्ट शुरू किया.

असली बदलाव तब आया जब शबाना के साथ फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा के कदम 2009 में मिजवां में पड़े. उसी के बाद मुंबई में ' मिजवां सानेट्स इन फैब्रिक ' फैशन शो आयोजित किया गया और यहां की लड़कियों की किस्मत चमकी. अब यहां की लड़कियां एक महीने में औसतन 2000 रूपये तक कमा लेती हैं, वह भी रोजाना सिर्फ तीन घंटे काम करके. चिकनकारी सेंटर सुबह 9 बजे से 12 बजे तक ही चलता है.

Frauen in Indien Shabana Azmi NGO
तस्वीर: DW/Suhail Waheed

मुंबई में होने वाले फैशन शो की बदौलत मिजवां की चिकनकारी का जादू इस क़दर सर चढ़कर बोल रहा है कि इस सेंटर के आलावा गांव के 60 घरों में से 58 घरों में चिकन का काम शुरू हो चुका है और उससे होने वाली आमदनी की लोकप्रियता मिजवां के आस पास के गांव तक फैल गई है. इसी का नतीजा है कि मिजवां के आलावा अब इसके 6 और सेंटर खुल गए हैं .रविवार को ही मिजवां से 4 किलोमीटर दूर फदबुदिया गांव में शबाना आजमी ने एक सेंटर का उद्घाटन किया. हर सेंटर में 40-50 लड़कियां काम करती हैं. गांव के रियासत हुसैन के मुताबिक अब तक करीब सवा सौ औरतें पूरी तरह से इसी काम पर निर्भर हो चुकी हैं और अपना परिवार खुद चला रहीं हैं. सैकड़ों लड़कियों ने अपनी शादी का दहेज इन्ही सेंटरों में काम करके जुटाया है.

अपनापन और सम्मान

चिकनकारी सेंटर के इंचार्ज सखावत हुसैन इस बात से अभिभूत हैं कि मुंबई फैशन शो में रैम्प पर उतरे सितारों के साथ उन सबने फोटो खिंचवाए. इससे ज्यादा वो अपने आप को भाग्यशाली मानते हैं कि शबाना मुंबई में बेहद इज्ज़त के साथ उन सबको बुलाती हैं. कैफी आजमी के जुहू वाले घर जानकी कुटीर में ठहराती हैं और अपने सागर सम्राट के फ्लैट में खाने पर बुलाती हैं.

मिजवां सानेट्स इन फैब्रिक

हाल ही में मुंबई में ' मिजवां सानेट्स इन फैब्रिक ' का तीसरा फैशन शो हुआ जिसमें लन्दन ओलंपिक से कांस्य पदक हासिल कर लौटी मेरी कौम, विख्यात उद्योगपति मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अम्बानी, मिस इण्डिया इंटरनेशनल अंकिता शोरे, प्रियंका चोपड़ा, सोनाक्षी सिन्हा, दिया मिर्जा, कल्कि कोचेलिन, श्रद्धा कपूर, समीरा रेड्डी, मलैका अरोड़ा के साथ इमरान खान, करण जौहर, प्रतीक बब्बर और शबाना आजमी खुद भी मिजवां में कढाई किए हुए और फैशन डिज़ाईनर मनीष मल्होत्रा के डिजाइन किए पोशाकों में सज कर रैम्प पर उतरीं. इससे पहले 2010 और पहली बार 2009 में इसी तरह का फैशन शो मुंबई में शबाना आजमी करा चुकी हैं. मिजवां में बिजली नहीं आती कि लोग इसे सीधे प्रसारण से देख सकें. इसलिए सेंटर पर सीडी में सबको ये फैशन शो दिखाया जाता है. यही सबकी प्रेरणा का स्रोत बनता है.

रिपोर्टः सुहैल वहीद, लखनऊ

संपादनः एन रंजन

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