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अब अपनी भाषा में होगी इंटरनेट तक पहुंच

प्रभाकर मणि तिवारी
२४ अगस्त २०१८

इंटरनेट के डोमेन नेम अब जल्दी ही भारत की विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध होंगे. यानी लोग अब अंग्रेजी की बजाय किसी वेबसाइट का नाम हिंदी में लिख कर भी उस तक पहुंच सकते हैं. 

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

हिंदी में गूगल डॉट काम लिखते ही गूगल की साइट खुल जाएगी. इसका मकसद दुनिया की ऐसी 48 फीसदी आबादी को इंटरनेट से जोड़ना है जो अंग्रेजी में टाइप नहीं कर सकती. देश में इंटरनेट के डोमेन नेम अब तक अंग्रेजी में ही होते हैं, लेकिन अब जल्दी ही भारतीय भाषाओं में भी यह उपलब्ध होंगे. अब कोई भी व्यक्ति अपनी क्षेत्रीय भाषा में यह डोमेन नेम हासिल कर सकेगा. पूरी दुनिया में इंटरनेट डोमेन नेम प्रणाली का प्रबंधन देखने वाली अमेरिकी संस्था द इंटरनेट कॉरपोरेशन फॉर असाइंड नेम्स एंड नंबर्स (आईसीएएनएन) भारत में बोली जाने विभिन्न भाषाओं में डोमेन नेम की तैयारियों में जुटा है. इनमें देश की 22 आधिकारिक भाषाएं भी शामिल हैं. आईसीएएनएन के भारतीय प्रमुख समीरन गुप्ता बताते हैं, "नौ भारतीय लिपियों देवनागरी, बांग्ला, गुजराती, गुरूमुखी, कन्नड़, मलयालम, ओडिया, तमिल, मलयालम व तेलुगू में यह काम चल रहा है. इससे कई दूसरी भाषाएं भी कवर हो जाएंगी.”

वह बताते हैं कि निगम दुनिया भर में इस्तेमाल होने वाली लिपियों के लिए शीर्ष डोमेन को सुरक्षित और स्थिर रूप से परिभाषित करने के लिए नियम तय करने की दिशा में काम कर रहा है. इसका मकसद यह है कि अंग्रेजी नहीं जानने वाले लोग भी ऑनलाइन जाकर अपनी भाषा में डोमेन नेम लिख कर मनचाही वेबसाइट को देख सकें. हिंदी सामग्री के लिए फिलहाल उपभोक्ता को अंग्रेजी में ही डोमेन नेम टाइप करना पड़ता है. लेकिन अब जल्दी ही कोई भी व्यक्ति हिंदी में डोमेन नेम लिख सकता है.
गुप्ता बताते हैं, "अब दुनिया की 52 फीसद आबादी की इंटरनेट तक पहुंच है. आईसीएएनएन डिजिटल खाई को पाटने की दिशा में काम कर रहा है.” वह बताते हैं कि जिन 48 फीसद लोगों की इंटरनेट तक पहुंच नहीं है उनमें से ज्यादातर गैर-अंग्रेजीभाषी हैं और वे अंग्रेजी में टाइप नहीं कर सकते. उन लोगों के लिए अब अपनी भाषा में काम करना आसान हो जाएगा.
हालांकि गूगल और दूसरे सर्च इंजनों में तो अब भी क्षेत्रीय भाषाओं में सामग्री तलाशना संभव है? इस पर गुप्ता कहते हैं, "मौजूदा प्रयास का मकसद क्षेत्रीय भाषाओं में डोमेन नेम लिखने की सुविधा मुहैया कराना है.” वह बताते हैं कि इस काम के लिए गठित समूह में भारत के अलावा बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और सिंगापुर के 60 से ज्यादा तकनीकी विशेषज्ञ और भाषाविद् शामिल हैं. गुप्ता कहते हैं, "फिलहाल पूरी दुनिया में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की तादाद 4.2 अरब है जिसके वर्ष 2022 तक बढ़ कर पांच अरब तक पहुंच जाने की संभावना है.”

बढ़ते उपभोक्ता

स्मार्टफोन और ब्रॉडबैंड के बढ़ते चलन के कारण देश के ग्रामीण इलाकों में भी इंटरनेट का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. देश में इंटरनेट सेवा 15 अगस्त 1995  को शुरू हुई थी. बीते साल देश में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की तादाद लगभग 32 करोड़ थी जिसके 2022 तक बढ़कर लगभग 52 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है. वर्ष 2016 के आंकड़ों के मुताबिक देश में 32 करोड़ से ज्यादा लोग मोबाइल पर इंटरनेट का इस्तेमाल करते थे. यह तादाद 2022 तक बढ़ कर 49 करोड़ से ज्यादा होने का अनुमान है. पीपुल्स लिंग्विस्टिक सर्वे के मुताबिक भारत में लगभग 780 भाषाएं बोली जाती हैं. इनमें से 22 आधिकारिक भाषाएं हैं.

हिंदी संवैधानिक रूप से देश की राजभाषा होने के साथ-साथ देश में सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है. फिलहाल देश की कुल आबादी में से लगभग 65 प्रतिशत लोग हिंदी भाषा को जानने-समझने वाले हैं. लेकिन अंग्रेजी जानने-समझने वालों की तादाद महज पांच फीसदी है. बाकी 30 फीसदी लोगों में गैर-हिंदी और गैर-अंग्रेजी जानने वाले शामिल हैं. गुप्ता कहते हैं, "क्षेत्रीय भाषाओं में डोमेन नाम की उपलब्धता विशेष तौर पर ग्रामीण इलाके के लोंगों के लिए काफी उपयोगी साबित होगी. इससे उनके लिए संभावनाओं की नई राह खुल जाएगी और सुदूर इलाकों में भी इंटरनेट का तेजी से प्रसार होगा.”