अफ़ग़ान मुद्दे पर गिरी डच सरकार
२१ फ़रवरी २०१०प्रवक्ता के अनुसार प्रधानमंत्री बाल्केनएंडे ने शनिवार को ही रानी से टेलिफ़ोन पर बात की जो ऑस्ट्रिया में छुट्टियां बिता रही हैं. सोमवार को रानी द हेग में बाल्केनएंडे, लेबर पार्टी के नेता और वित्तमंत्री वाउटर बॉस और क्रिश्चियन यूनियन के नेता आंद्रे रूवोट से मिलेंगी. गृह मंत्रालय के अनुसार आने वाले सप्ताहों में लेकिन ज़्यादा से ज़्यादा जून में नए चुनाव होंगे.
प्रधामंत्री यान पेटर बाल्केनएंडे की क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक अपील पार्टी और लेबर पार्टी के बीच मतभेदों को दूर करने के लिए शुक्रवार को द हेग में कैबिनेट की बैठक हुई और कैबिनेट के सदस्य 16 घंटे तक मतभेदों को दूर करने का प्रयास करते रहे. मतभेदों को पाटने में विफल रहने के बाद बाल्केनएंडे ने कहा, "कैबिनेट के नेता की हैसियत से मैं इस नतीज़े पर पहुंचा हूं कि सीडीए, लेबर पार्टी और क्रिश्चियन यूनियन के लिए भविष्य के लिए साझा रास्ता नहीं बचा है."
पश्चिमी सैनिक सहबंध नाटो के महासचिव आंदर्स फ़ो रासमुसेन ने इस महीने के आरंभ में नीदरलैंड से अफ़ग़ानिस्तान में अपने सैनिक मिशन की अवधि बढ़ाने का आग्रह किया था. उन्होंने डच सरकार से अफ़ग़ानिस्तान में ट्रेनिंग की भूमिका लेने और 2011 तक रहने की अपील की थी. लेकिन लेबर पार्टी के उप प्रधानमंत्री वाउटर बॉस ने इसी सप्ताह कहा था कि उनकी पार्टी डच सैनिकों की तैनाती 2010 के बाद नहीं बढ़ाएगी.
बॉस की टिप्पणी के बाद बाल्केनएंडे ने कहा था कि मामले पर अभी विचार किया जा रहा है, जबकि सत्ताधारी मोर्चे की छोटी पार्टी क्रिश्चियन यूनियन ने बिना ज़रूरत बोलने के लिए बॉस की आलोचना की थी.
अफ़ग़ानिस्तान में तैनाती के मुद्दे पर सत्ताधारी दलों में मतभेद के कारण गुरुवार को इस मुद्दे पर संसद में भी चर्चा हुई और साथी दलों ने बॉस पर राजनैतिक लाभ के लिए इस मुद्दे के उपयोग का आरोप लगाया. नीदरलैंड में 3 मार्च को स्थानीय निकायों के चुनाव हो रहे हैं और लेबर पार्टी जनमत सर्वेक्षणों में पीछे चल रही है.
अफ़ग़ानिस्तान में डच सैनिकों की तैनाती को शुरू से ही लोगों का समर्थन नहीं था. नाटो के नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सहायता फ़ोर्स आईसैफ़ के तहत नीदरलैंड के 1950 सैनिक अफ़ग़ानिस्तान में तैनात हैं. 2006 में शुरू हुए डच मिशन को दो साल के लिए बढ़ाया जा चुका है और इसके दौरान 21 डच सैनिक मारे गए हैं.
प्रधानमंत्री बाल्केनएंडे ने जुलाई 2002 से चार सरकारों का नेतृत्व किया है लेकिन उनकी सरकारें हर बार कार्यकाल पूरा किए बग़ैर गिर गई हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: एस गौड़