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अन्ना आंदोलन: सड़क से संसद तक

२ अगस्त २०१२

राजनीति न करना भी एक तरह की राजनीति है. टीम अन्ना अब तक यही करती आ रही थी. भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत से ही अन्ना ने सक्रिय राजनीति से इनकार किया है.

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तस्वीर: AP

लेकिन अब टीम ऐलान किया है कि भ्रष्टाचार की लड़ाई अब सड़क पर नहीं संसद में लड़ी जाएगी. देश को एक नए राजनीतिक विकल्प की जरूरत है इस बात पर जोर देते हुए अन्ना ने कहा, "राजनीतिक विकल्प क्या होगा ये जनता को तय करना है. ये लोग तय करेंगे कि किसे टिकट दिया जाए." अन्ना के इस एलान से उनके कुछ समर्थक हैरान भी हैं. कुछ आधे अधूरे मन से इस फैसले पर सहमति जता रहे है. फेसबुक और दूसरी सोशल साइट्स पर इसकी प्रतिक्रिया देखी जा सकती है. अन्ना आंदोलन का समर्थन करने वाले एक पत्रकार ने अपने फेसबुक वॉल पर लिखा है, "इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि राजनीतिक विकल्प की जरूरत है लेकिन टीम अन्ना ही वो विकल्प दे पाएगी इस बात पर शक है." एक दूसरे मीडिया कर्मी की टिप्पणी की, "टीम अन्ना को उसी पिच पर खेलना चाहिए जिस पर वो मजबूत है." यानि ये पिच है संसद के बाहर रहकर बेहतरी के लिए संघर्ष करने की.

समर्थकों के बीच बेशक मिली-जुली प्रतिक्रिया है लेकिन सरकार जरूर राहत की सांस ले रही है. सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने इस पर प्रतिक्रिया देने में देर नहीं की. उन्होने कहा, "टीम अन्ना के राजनीति में शामिल होने का स्वागत है. अन्ना के लोग अनशन करके जनता के द्वारा चुनी गई सरकार पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रहे थे." अन्ना आंदोलन का शुरु से ही समर्थन करने वाले अभिनेता अनुपम खेर भी संसदीय राजनीति का समर्थन करते हैं, "टीम अन्ना के सदस्यों को अपना अनशन खत्म कर देना चाहिए ताकि वो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी रख सकें." उन्होंने कहा, "ऐसा लगता है कि वक्त आ गया है कि हम अपनी आवाज संसद में ले जाएं."

Indien Korruption
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नई राजनीतिक पार्टी का नाम क्या होगा और इसका क्या ढांचा होगा, इसके बारे में जानकारी अनशन खत्म होने के बाद दी जाएगी. योग गुरु रामदेव इस पार्टी में शामिल होंगे या नहीं ये सवाल भी काफी अहम होगा. पूछना लाजिमी है कि जब राजनीतिक पार्टी ही बनानी थी तो फिर इतनी देरी क्यों की. इसका जबाव अरविंद केजरीवाल के उस बयान से समझा जा सकता है जो उन्होंने दिया है, "हमें करीब 50 हजार लोगों ने समर्थन दिया. इनमें से 94 प्रतिशत लोगों का मानना था कि हमें राजनीतिक पार्टी बना लेनी चाहिए." इससे पहले श्री श्री रविशंकर, अनुपम खेर और सेना के पूर्व अध्यक्ष वीके सिंह ने भी अन्ना से अनशन समाप्त करने की अपील की थी. एक वजह ये भी मानी जा रही है कि इस बार सरकार ने अन्ना आंदोलन को लेकर कड़ाई से आंख मूंद ली थी. इस वजह से भी टीम पर अनशन खत्म करने का दबाव था. पिछले 16 महीनों में ये चौथी बार है जब अन्ना अनशन पर बैठे थे. लेकिन इस बार उनके अनशन को जनता का वो सहयोग नहीं मिला जिसकी उम्मीद की जा रही थी. इस बीच टीम अन्ना ने इस मुद्दे पर देश की राय जानने के लिए 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' की वेबसाइट पर लोगों की राय भी मांगी है. लोगों से सवाल पूछा गया है कि क्या टीम अन्ना को राजनीति में कूदना चाहिए या नहीं. जबाव मिल चुका है. अब इंतजार नौ दिन बाद अनशन खत्म होने का और नए एलान होने का है.

वीडी/ओएसजे ( एपी)