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अनाज उत्पादन बढ़ाने की अपील

३ जून २००८

रोम में हो रहे खाद्य सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र ने खेती पर ज़ोर देना की बात की, और कहा कि बीस साल में अनाज उत्पादन पचास फ़ीसदी बढ़ाना होगा.

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रोम में खाद्य सम्मेलन से पहले प्रदर्शनतस्वीर: AP

रोम में खाद्य सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा कि हमारे सामने कृषि उत्पादन बढ़ाने का ऐतिहासिक मौका है, खास कर उन देशों में जहां कृषि उत्पादन कम रहा है. और इसके लिए आज राजनीतिक और आर्थिक समाधानों की सख्त ज़रूरत है.

माना जा रहा है कि 2030 तक, दुनिया की बढ़ती खाने की ज़रूरत को पूरा करने के लिए, दोगुने अनाज की ज़रूरत होगी. खाने की चीज़ों की कमी लगातार बड़ा संकट बनता जा रहा है. अनाज और खाने पीने की चीज़ों की कीमतें आसमान छू रही हैं. कई देशों में इसे लेकर दंगे भी हुए हैं और दुनिया के सामने भुखमरी का संकट लहरा रहा है. बान की मून कहते है कि इस संकट का हल तभी हो सकता है जब हम सब मिल कर, एक साथ काम करें. साथ ही उन्होने कहा कि भूख से बड़ा अभिशाप कुछ नहीं हो सकता, ख़ास कर तब, जब ये इनसानों की वजह से हो.

संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन के महानिदेशक जेक्स डीओफ़ ने अमीर देशों को इस संकट का बड़ा ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहा कि खाद्य सुरक्षा एक राजनीतिक मामला है. आज बहुत से देश ऐसे हैं जो सब्सिडी के ज़रिए अपने किसानों को मदद करते हैं, जिसका सीधा असर खाने की कीमतों पर पड़ता है.

आज लगभग 8500 लाख लोग भुखमरी का शिकार हैं. इनमें से ज़्यादातर लोगों पर मौसमी बदलाव की मार पड़ी है. गरीब देशों को अपने खाद्य आयात में 40 प्रतिशत का इज़ाफ़ा करना पड़ा है। जानकार मानते हैं कि कई देशों को खाने की चीज़ों के लिए पिछले साल के मुकाबले दोगुने पैसे खर्च करने पड़े हैं.

पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के चलते, फर्टिलाइज़र यानी खाद की कीमतें भी बढ़ गई हैं. माना जा रहा है कि खेती की ज़मीन पर जैव ईंधन के लिए उत्पादन करने से भी ये संकट गहराया है. हालांकि ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला डि सिल्वा ने भी अमीर देशों की कुछ नीतियों की आलोचना की, और कहा कि जैविक ईंधन के उत्पादन को इस संकट के लिए ज़िम्मेदार ठहराना सही नहीं है.

उधर ईरान के राष्ट्रपति महमूद एहमदनीजाद का मानना है कि दुनिया में पेट्रोल की कोई कमी नहीं है, और बढ़ती कीमतें कुछ देशों की मनमानी का नतीजा है.