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अदालत ने बढ़ाया जर्मन संसद का अधिकार

१९ जून २०१२

जर्मन संवैधानिक न्यायालय ने कहा है कि अंगेला मैर्केल की सरकार ने यूरोजोन बेलआउट स्कीम के बारे में संसद को ठीक तरह से सूचित नहीं किया. अदालत का कहना है कि सरकार ने "जर्मन संसद को सूचित करने के अधिकार का उल्लंघन किया है."

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तस्वीर: dapd

इस फैसले का यूरो को बचाने की प्रक्रिया पर सीधा असर नहीं होगा लेकिन सरकार पर संसद को ज्यादा तेजी से और अधिक सूचना देने का दबाव बढ़ गया है. ग्रीन संसदीय दल ने संवैधानिक अदालत में शिकायत की थी कि सरकार ने यूरो बचाव पैकेज पर यूरोपीय संघ में चल रही वार्ता के बारे में संसद को सही समय पर और पर्याप्त जानकारी नहीं दी. मुख्य न्यायाधीश आंद्रेयास फॉसकूले ने कहा कि यह फैसला यूरोपीय एकीकरण के सिलसिले में संसद की जिम्मेदारी को मजबूत बनाने का एक और कदम है.

एक सरकारी सूत्र ने कहा है कि जर्मनी इस महीने के आखिर तक यूरोप में बजट अनुशासन कायम करने के लिए बनाई गई यूरोपीय स्थिरता प्रक्रिया (ईएसएम) और बजट समझौते पर वोटिंग के लिए तैयार है. संसद के निचले सदन में मैर्केल सरकार के बजट मामलों के प्रवक्ता नोर्बर्ट बार्थले का कहना है कि अदालत के फैसले से ईएसएम को लागू करने में कोई देरी नहीं होगी, "ईएसएम और बजट समझौते पर संसद की कार्रवाई में कोई बदलाव नहीं आएगा. इसे लागू करने में कोई देरी नहीं की जाएगी." बार्थले ने कहा कि अदालत ने जो आदेश दिए हैं उसका असर सिर्फ भविष्य में संसद को दी जाने वाली सूचना पर पड़ेगा.

Bundesverfassungsgericht Beteiligungsrechte des Bundestags
जर्मन संवैधानिक न्यायालयतस्वीर: picture-alliance/dpa

ईएसएम को पास करने के लिए संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत की जरूरत है. इसे एक जुलाई को लागू किया जाना है, लेकिन जर्मनी में इस पर रजामंदी के बिना ऐसा नहीं हो सकेगा. अब तक यूरोजोन के 17 में से केवल चार सदस्यों ने इसे पास किया है.

मैर्केल की सीडीयू को ईएसएम को पास करने के लिए मुख्य विपक्षी पार्टी एसपीडी के समर्थन की जरूरत पड़ेगी. एसपीडी ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है. एसपीडी सांसद थोमास ओपरमन ने कहा, "यह संसदीय लोकतंत्र के लिए एक अहम दिन है. यूरो को बचाने की प्रक्रिया और पारदर्शी होनी चाहिए और लोगों तक इसकी और जानकारी जानी चाहिए."

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि अदालत ने यूरो को बचाने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया हो. इस से पहले पिछले साल अदालत ने आदेश दिए थे कि सरकार यूरोजोन बेलआउट स्कीम पर किसी भी फैसले पर सहमति दिखाने से पहले जर्मन संसद बुंडेसटाग की बजट कमिटी से स्वीकृति ले.

बर्लिन की फ्री यूनिवर्सिटी में कानूनी मामलों के जानकार प्रोफेसर क्रिस्टियान कालीस का कहना है कि इस बार का फैसला अलग है और इस से यूरो संकट के मुद्दे पर जर्मनी के सहयोग पर कोई असर नहीं पड़ेगा. अदालत के इस फैसले के बाद डॉलर के मुकाबले यूरो के दाम में भारी गिरावट देखी गई. कालीस का इस पर कहना है, "बाजार ओवररिएक्ट कर रहे हैं. यह पिछले साल के अदालत के फैसले जैसा नहीं है. इसका यूरोजोन के संकट से कोई लेना देना नहीं है."

आईबी/एमजे (रॉयटर्स)

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