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अदालत जाने की तैयारी में मांस कारोबारी

२९ मई २०१७

भारतीय मांस कारोबारी मवेशियों के व्यापार पर प्रतिबंध लगाने वाले नये नियम के खिलाफ सरकार को अदालत में ले जाने की योजना बना रहे हैं. कारोबारी इसे मुसलमानों के खिलाफ नरेंद्र मोदी सरकार का कदम मान रहे हैं.

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Kühe und Milchproduktion in Indien
तस्वीर: AP

बीते हफ्ते भारत के पर्यावरण मंत्रालय ने कहा था कि पशु बाजार में कृषि उद्देश्यों की पूर्ति करने वाले पशुओं का ही व्यापार किया जा सकेगा. सरकार के इस कदम को मांस कारोबारी बड़ा झटका मान रहे हैं. हिंदू धर्म में गाय को एक पवित्र पशु माना जाता है और इसके वध को लेकर प्रत्येक राज्य के अपने कुछ नियम-कानून हैं. लेकिन पिछले तीन साल से गौ-वध को लेकर मामला काफी संवेदनशील बना हुआ है.

देश की 14 फीसदी मुस्लिम आबादी का एक बड़ा हिस्सा मांस कारोबार में लगा हुआ है. यहां तक की भारत दुनिया में भैंस का मांस बेचने वाला सबसे बड़ा देश है. भारत सालाना तकरीबन 4 अरब डॉलर का मांस वियतनाम और मलेशिया जैसे देशों को निर्यात करता है. लेकिन 23 मई को सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के बाद यह सूरत बदल सकती है. 23 मई को जारी अधिसूचना में सरकार ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम में बदलाव के संकेत दिये हैं. अब नये नियम के मुताबिक पशु मालिकों को यह घोषणा करनी होगी कि बाजार में पशुओं को वध करने के उद्देश्य से नहीं लाया गया है. साथ ही बाजार समितियों को उसके कागज देखकर यह सत्यापित करना होगा कि खरीदार "कृषक" हैं. नये नियम के अनुसार मवेशियों की श्रेणी में, गाय, भैंस, सांड, बछड़े, ऊंट आदि शामिल किये गये हैं.

डेल्ही बफेलो ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अकील कुरैशी के मुताबिक कारोबार ठप्प सा हो गया है. कुरैशी दिल्ली के बाहरी इलाके में अपना बूचड़खाना चलाते हैं. कुरैशी के मुताबिक, "कौन अपनी रोजी-रोटी के लिये नहीं लड़ता और इसके लिये हम भी आवाज उठायेंगे, कानूनी मदद लेंगे."

पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक नियमन का मकसद पशुओं को क्रूरता से बचाना है न ही बूचड़खानों के कारोबार का नियमन करना. इसमें कहा गया है कि हत्या के लिये पशुओं को सीधे किसानों से खरीदा जाना होगा.

हैदराबाद के एक वकील और ऑल इंडि़या जमातुल कुरैश एक्शन कमेटी के प्रमुख अब्दुल फहीम कुरैशी के मुताबिक, प्रयत्क्ष बिक्री हमेशा संभव नहीं है और अब वे अपने तमाम कारोबारी क्लाइंट्स से मिलकर कोर्ट में अपील करने की तैयारी कर रहे हैं.

उत्तर प्रदेश के निर्यातक अल फहीम मीटेक्स मुताबिक भैंसों की किसानों से सीधी खरीद इसकी लागत में बढ़ोतरी कर सकती है. कुरैशी ने कहा कि नया कानून केवल स्वघोषित गौरक्षक समूहों को प्रोत्साहित करेगा. इस मसले पर भारतीय जनता के पार्टी के नेताओं की ओर से कोई टिप्पणी नहीं की गयी है.

एए/आरपी (रॉयटर्स)